दीया
- नलिनीकांत, अंडाल ।
अँधेरा हुआ
तो क्या हुआ, जलाओ
आशा का दीया ।
कूबत भर
लड़ेगा तिमिर से
छोटा सा दीया ।
वर्तिका नन्हीं
तेल नहीं पर्याप्त
उसने पीया ।
फिर भी वह
जन्म और जाति से
ज्योति का दीया ।
रग रग में
उसकी प्रकाश औ
दीप्ति है सीया
सूर्यवंशी है
टिमटिमाता लघु
माटी का दीया ।
वह तो झुग्गी
झोपड़ी का जाग्रत
प्रहरी दीया ।
1 comment:
Japan haiku kavita converted into indian tradition is highly appreciable. Wish you a happy dewali and expect more poetry from your pen.
Post a Comment