Saturday, October 18, 2008

कविता

नया व्याकरण


- राजीव सारस्वत, मुंबई


अब चलो नया व्याकरण लिखें हम
विच्छेदों को संधि लिखें हम
मतभेदों को मैत्री लिखें हम
बहुत कर चुके आप टिप्पणी
अपना अंतःकरण लिखें अब
चलो नया व्याकरण लिखें अब..

1 comment:

Sherfraz said...

The description of new grammer is heart-touching. Should be adapted by the human kind.



Happy Dewali.