हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ रही है : डॉ. शकील अहमद
(प्रकाश जैन, हैदराबाद)
भाषा एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं करती, बल्कि एक दूसरे की पूरक होती है । प्रेम, प्रोत्साहन एवं सद्भावना से राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग को कार्यान्वित करना हमारा कर्तव्य है । धीरे-धीरे देश भर में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता बढ़ रही है । राजभाषा विभाग ने तमिलनाडु में सम्मेलन का आयोजन कर हमारे देश की एकता की कड़ी को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उपरोक्त उद्गार गृह राज्य मंत्री डॉ. शकील अहमद ने राजभाषा विभाग के दक्षिण व दक्षिण पश्चिम क्षेत्रीय कार्यन्वयन कार्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयुध निर्माणी, अरुवंकाडु (ऊटी) में आयोजित क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं शील्ड वितरण समारोह में बकौल मुख्य अतिथि व्यक्त की है ।
पहाड़ों की रानी ऊटी में हरी भरी वादियों के बीच स्थित अरुवंकाडु स्थित आयुध निर्माणी के सांस्कृतिक भवन में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पांडिच्चेरी व लक्ष्यद्वीप में स्थित सरकारी विभागों, बैंकों व सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राजभाषा अधिकारियों ने इस सम्मेलन में अपनी सहभागिता दर्ज कराई ।
राजभाषा के उत्कृष्ट कार्यान्वयन हेतु दिए जानेवाले पुरस्कारों में दक्षिण क्षेत्र के अंतर्गत मुर्गीपालन परियोजन, हैदराबाद, प्रतिभूति मुद्रणालय, हैदराबाद, राष्ट्रीय कैडेट कोर, पावरग्रिड कार्पोरेशन आफ इंडिया, हैदराबाद, भारतीय कपास निगम लिमिटेड, अदिलावाद, भारत संचार निगम लिमिटेड, विजयवाडा, यूनियन बैंक आफ इंडिया, विशाखपट्णम, बैंक आफ इंडिया, हैदराबाद, सिड्बी, हैदराबाद, बैंक नराकास मंगलूर, बैंगलूर व हैदराबाद को शील्ड प्रदान किए गए ।
इस अवसर पर राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव पी.वी. वल्सला जी. कुट्टी ने कहा कि जो कार्यालय एवं संस्थान राजभाषा कार्यान्वयन में अभिरुचि दिखाते हैं उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए राजभाषा विभाग शील्ड प्रदान करता है । साथ ही ऐसे सम्मेलन के आयोजन के माध्यम से राजभाषा कार्यान्वयन से जुड़े पूरे परिवार के सभी सदस्यों को एक दूसरे से मिलने का अवसर भी मिलता है । हिंदी प्रदेश के लोग अक्सर यह कहते हैं कि हिंदीतर (अहिंदी) प्रदेशों में हिंदी में कार्य करने में बहुत कठिनाई है लेकिन मैं इसे हिंदी प्रदेश के लोगों द्वारा हिंदी में काम न करने का बहाना मानती हूँ । मैंने दो साल में यह देखा है कि अहिंदी प्रदेश में ही राजभाषा कार्यान्वयन का काम सुचारू रूप से हो रहा है । जिस प्रकार पानी में उतरे बिना तैरना सीख नहीं सकते उसी प्रकार भाषा के प्रयोग किए बगैर उसे नहीं सीख सकते हैं । उन्होंने अपने उद्बोधन में स्पष्ट किया कि एक विदेश भाषा (अंग्रेजी) के जरिए हमारी सभ्यता, संस्कृति व विरासत को बचाना, उसे विकसित करना हम पर भारी पड़ सकता है । श्रीमती वल्सला कुट्टी ने यह भी कहा कि पिछले आठ सम्मेलन में से छः सम्मेलनों में गृह राज्य मंत्री अपनी उपस्थित होकर राजभाषा की गरिमा बढ़ाई है । उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. शकील अहमद भी इसी प्रकार राजभाषा कार्यान्वयन में अपनी दिलचस्पी दिखाते रहे हैं ।
इस अवसर पर आयुध निर्माणी के महाप्रबंधक वाई.आर. जयसिम्हा, अपर महाप्रबंधक लियो ए. जेराल्ड, राजभाषा विभाग के निदेशक (कार्यान्वयन) बी. आर. शर्मा, निदेशक (तकनीक) केवल कृष्ण भी उपस्थित थे । उद्घाटन सत्र के दौरान राजभाषा विभाग के तकनीकी प्रकोष्ठ, सी-डैक, अक्षर नवीन, एच.सी.एल, मांटेग कम्यूनिकेशन्स द्वारा हिंदी में कार्य करने हेतु विकसित विभिन्न साफ्टवेयरों की जानकारी दी गई । धन्यवाद ज्ञापन विश्वनाथ झा, उप निदेशक (कार्यान्वयन) द्वारा दिया गया ।
1 comment:
The coverage on OL confirence is appreciable and informative. Speach by defence minister is thought provoking. I am sure that OL implimentation will have progressive dimentions in future.
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