Tuesday, December 24, 2013

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रथम ओपन सोर्स स्पेल चेक सॉफ्टवेयर का लोकार्पण समारोह आज

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रथम ओपन सोर्स स्पेल चेक सॉफ्टवेयर का लोकार्पण समारोह आज
 
कम्प्यूटर पर हिन्दी लिखते समय वर्तनी की अशुद्धियों को दूर करेगा स्पेल चेक सॉफ्टवेयर
 
भोपाल/24 दिसम्बर 2013/माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आज (25 दिसम्बर 2013 को) हिन्दी के प्रथम ओपन सोर्स स्पेल चेक सॉफ्टवेयर का लोकार्पण समारोह आयोजित किया जा रहा है। समारोह विश्वविद्यालय परिसर के सभागृह में प्रातः 11.00 बजे प्रारम्भ होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं सम्पादक श्री राहुल देव होंगे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पूर्व सचिव श्री उदय वर्मा होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला करेंगे।
      पत्रकारिता विश्वविद्यालय की एक महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत कम्प्यूटर में काम करते समय हिन्दी के शब्दों को लिखते समय होने वाली वर्तनी त्रुटियों को दूर करने के लिए स्पेल चेक सॉफ्टवेयर बनाने की योजना पर कार्य शुरू किया गया था। आज प्रखर वक्ता यशस्वी पत्रकार एवं शिक्षाविद् पं. मदन मोहन मालवीय की जयंती एवं हिन्दीसेवी कवि, पत्रकार, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिवस के अवसर पर इस स्पेल चेक सॉफ्टवेयर लोकार्पण किया जा रहा है।
      विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने बताया कि कम्प्यूटर में हिन्दी लिखते समय वर्तनी की अशुद्धियाँ अक्सर हुआ करती हैं। इस स्पेल चेक सॉफ्टवेयर के माध्यम से कम्प्यूटर में हिन्दी लिखते समय वर्तनी की अशुद्धियों से बचा जा सकता है। अभी हिन्दी में जो वर्तनी परीक्षक सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, उनमें कुछ न कुछ कमियाँ हैं। इस स्पेल चेक सॉफ्टवेयर में उन कमियों को दूर करते हुए इसे मुक्तस्रोत सॉफ्टवेयर लायसेंस के तहत जारी किया गया है, अर्थात् इसका न केवल निःशुल्क उपयोग किया जा सकता है बल्कि इसमें आवश्यक सुधार, परिवर्तन आदि करते हुए इसके अन्य संस्करण भी तैयार किये जा सकते हैं। हिन्दी के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों तथा मीडिया जगत के लिए यह एक उपयोगी सॉफ्टवेयर होगा। इसे विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.mcu.ac.in से निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है।
      इस कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिक, शिक्षाकर्मी, मीडियाकर्मी, प्रबुद्धजन, हिन्दीसेवी तथा विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहेंगे।
 
(डॉ. पवित्र श्रीवास्तव)
निदेशक, जनसंपर्क प्रकोष्ठ

Friday, December 20, 2013

शिवानी गौड़ की दो कविताएँ

शिवानी गौड़ की दो कविताएँ

जज़्ब कर लेती हैं
बारिश की बूँदें
सीढ़ियों पर बैठी लड़की की परछाई को,
लिख रहा हो जैसे कोई
चिट्ठी
किसी की आमद के इंतज़ार मे ,

सड़क पर पड़ा
निम्बोली सा धूप का एक टुकड़ा ,
 इस शहर के उदास मौसम में ,
बाट जोहता है ,
हमेशा से लिखी जा रही चिट्ठियों के लिए
नाम -पते का ,
सरहुल की रात भी
नहीं लौटा पाती
हवा में घुलते शब्द
जो लिखे थे
जादुई स्याही से
दरकते मौसमो ने।

***


प्रेम से टूट कर
परछाई का एक टुकड़ा
लिपटा रहता है एडियों से ,
बैठी रहती है
उकडू
एक चीख ,
दर्द से बेरूख ,
देखे जाते हैं कुछ ख्वाब सिर्फ
आँखों के खालीपन को भरने के लिए
ताकि
बची रहे उनकी
किशमिश सी मिठास ,
देह से इतर
कुछ शब्दों को पढना
औफ़ियस के बजते इकतारे में।

श्यामल सुमन की कविता - चुना आपने 'आप' को

कविता
चुना आपने 'आप' को
 
श्यामल सुमन
 

आम आदमी ने सुमन, काम किया है खास।
खास आदमी को झटक, हिला दिया विश्वास।।
 
दिल्ली की गद्दी मिले, हुआ अनैतिक मेल।
देख सुमन गद्दी वही, ना चढ़ने का खेल।।
 
दिल्ली को वरदान या, यह चुनाव अभिशाप।
 चुना आपने 'आप' को, सुमन भुगत लें आप।।
 
अलग ढंग से 'आप' का, देखो सुमन प्रयोग।
पत्रकार, नेता सहित, चकित हुए हैं लोग।।
 
सुमन खड़ा यूँ सामने, झाड़ू लेकर भूत।
भीतर भीतर रो रहे, परम्परा के दूत।।
 
सेवक, शासक बन गया, बने हुए श्रीमान।
अब शासक होगा सुमन, जिनके है ईमान।।
 
प्यार दिया है आपने, है चर्चा में 'आप'
सुमन आस है 'आप' से, मिटा सके सब पाप।।

Wednesday, December 18, 2013

“दिव्या माथुर का लेखन प्रवासी जीवन का दर्पण है”



दिव्या माथुर का लेखन प्रवासी जीवन का दर्पण है
मेड इन इंडिया और  हिंदी@स्वर्ग.इन कृतियों का
 लोकार्पण सुसंपन्न

ब्रिटेन की प्रसिद्द लेखिका दिव्या माथुर की दो पुस्तकों - मेड इन इंडिया औरहिंदी@स्वर्ग.इन - का लोकार्पण  दिनांक 17 दिसंबर 2012 को अक्षरा थियेटर में संपन्न हुआ।  इस मौके पर, उनकी प्रसिद्द कहानी 2050 का अनिल जोशी द्वारा किए गए नाट्य रूपांतरण, फ्यूचर परफेक्ट - इदम पूर्णम की वयम नाट्य संस्था द्वारा प्रस्तुति की गई। पुस्तक का लोकार्पण पूर्व राजनयिक व प्रसिद्ध लेखक डा पवन वर्मा द्वारा किया गया। लोकार्पण के अवसर पर राजकिशोर, डा कमल किशोर गोयनका, आलोक मेहता, संजय सहाय, संगम पांडेय, अजय नावरिया ने अपने विचार व्यक्त किए। श्री पवन वर्मा ने लोकार्पण के अवसर पर अपने लंदन प्रवास को याद करते हुआ कहा कि मैं लेखिका के रूप मे दिव्या जी का आदर करता हूं और उनका लेखन प्रवासी जीवन का दर्पण है।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री राजकिशोर ने कहा कि प्रवासी साहित्य में दिव्या माथुर की साहित्य का अपना विशिष्ट स्थान है। इसके कई कारण हैं। प्रथमतः दिव्याजी मानव मस्तिष्क के गुह्य धरातल पर उठने वाले संवेगों के अनुसार अपने पात्रों को ढालती हैं, जो अपने विविध रुपों में विविध पात्रों के साथ साकार होते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस में प्रेम का तत्व सबसे प्रबल कारक है। मैं रोमांटीसिज्म का सर्मथक हूं तथा मेरा मानना है कि दिव्याजी के विभिन्न पात्रों के बीच में स्नेह और प्रेम का संबंध जीवन के प्रति लेखिका के अपने उद्दात विचार का परिचायक है। उन्होंने कहा कि मुहावरों का प्रयोग दिव्या जी की कहानियों की विशेषता है।  इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने कहा कि दिव्या माथुर का सबसे बड़ा योगदान भारत के बाहर अपनी लेखनी से भारत की संस्कृति की तमाम विशेषताओं को समेट कर भारत का निर्माण करना है। आज विदेशों में लोग ऐसे लेखकों के माध्यम से भारत को जानते हैं। उन्होंने 'मेड इन इंडिया कहानी' का उल्लेख  करते हुए, उसके पात्र सतनाम का विशेष उल्लेख किया। अजय नावरिया ने दिव्या माथुर की पंगा कहानी को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रवासी साहित्य अब हाशिए का साहित्य नहीं रहा। उन्होने कहा कि दिव्या माथुर की कहानियों मानवीय संबंधों की कहानियां हैं। उन्होने कहा कि 'मेड इन इंडिया' पुस्तक व्यक्ति के 'प्रोडक्ट' मैं बदल जाने का दस्तावेज़ है। प्रवासी साहित्य के विशेषज्ञ डॉ. कमल किशोर गोयनका प्रेमचंद का उदृत करते हुए कहा कि प्रवासी साहित्य को प्रेमचंद ने भी सराहा था। उन्होंने कथ्य की विशिष्टता के संदर्भ नीली डायरी का विशेष उल्लेख किया। इस अवसर पर संजय सहाय और संगम पांडेय ने भी लेखिका को शुभकामना दी।  कार्यक्रम का कुशल संचालन अलका सिन्हा द्वारा किया गया।

इस अवसर पर दिव्या माथुर की कहानी '2050' की नाट्य प्रस्तुति वयम नाट्य संस्था द्वारा फ्यूचर परफैक्ट - इदम पूर्णम शीर्षक से की गई । प्रस्तुति का थीम समाज का निरंतर अमानवीकृत होना था। दो दंपत्तियों को कम 'आई-क्यू' के कारण काऊंसिल संतान पैदा करने की अनुमति ना मिलना, नागरिकों पर नजर रखना, भावुक होने को अपराध मानना, प्रकृति से खिलवाड़ करना जैसे मुद्दों को केन्द्र में रख तैयार इस नाटक में एक तरफ संतान पैदा करने की अनुमति ना मिलने के कारण मां की भावनाओं का प्रस्तुतिकरण था, वहीं, काऊंसिल के अधिकारियों का निरंकुश और उदासीन रवैया और 'बिग बास' जैसे आचरण पर व्यंग्य था। जिसमें जोर से बोलने और मेज जोर से थपथपाने तक पर जुर्माना के प्रावधान के खिलाफ व्यंग्य था। कहीं बेरहम व्यवस्था के कारण उपजा आक्रोश, कहीं ममता की भावना, कहीं व्यग्य से भरा यह नाटक दर्शकों को बहुत पसंद आया। नाटक में ऋचा के रूप में पौरवी, मीना के रूप में समृद्धि ने भावपूर्ण अभिनय किया। वहीं वेद के रूप में सकल्प जोशी, अधिकारी के रूप में अलेक्क्षेन्द्र, मनोहर के रूप में प्रवीण ने पात्रों को जीवंत कर दिया। अपनी गायकी से संतीश मिश्रा ने नाट्क में चार चांद लगा दिए। भुपेश ने नाट्य रूपांतरण में सहयोग दिया और प्रकाश संयोजन किया। ध्वनि संयोजन कपिल द्वारा किया गया।

नाटक के पश्चात डॉ. अशोक चक्रधर और श्रीमती रमा पांडे ने कलाकारों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय की सुनीति शर्मा, आकाशवाणी के उपमहानिदेशक लक्ष्मीशंकर बाजपेयी, केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के संयुक्त निदेशक विनोद कुमार संदलेश, अतुल प्रभाकर, नरेश शांडिल्य, आशीष कुमार, आरती स्मित, डॉ. निखिल कौशिक, अतुल प्रभाकर, शाहीना खान, मधु चतुर्वेदी, हरजेन्द्र चौधरी, शशिकांत उपस्थित थे।     

Tuesday, December 17, 2013

प्रवासी हिंदी लेखिका दिव्या माथुर की दो पुस्तकों का विमोचन आज शाम नई दिल्ली में...

प्रवासी हिंदी लेखिका दिव्या माथुर की दो पुस्तकों का विमोचन आज शाम नई दिल्ली में...
 
 

Friday, December 13, 2013

‘‘न्यू मीडिया और जनसंवाद’’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘न्यू मीडिया और जनसंवाद’’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
एशियन मीडिया, सूचना और संचार केन्द्र (ऐमिक), सिंगापुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित
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संगोष्ठी का उदघाटन आज प्रातः 10.30 बजे विश्वविद्यालय परिसर में
 
            भोपाल/13 दिसम्बर 2013/माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा एशियन मीडिया, सूचना एवं संचार केन्द्र (ऐमिक), सिंगापुर के संयुक्त तत्वावधान में 14-15 दिसम्बर 2013 को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी का उदघाटन आज, शनिवार, दिनांक 14 दिसम्बर 2013 को प्रातः 10.30 बजे विश्वविद्यालय परिसर के पंचम तल स्थित सभागार में होगा। उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि ऐमिक के भारत के प्रमुख श्री बिनोद सी. अग्रवाल एवं मुख्य वक्ता दैनिक ट्रिब्यून, चंडीगढ़ के पूर्व सम्पादक श्री विजय सहगल होंगे।
इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य विचार-बिन्दु जनसंवाद के विभिन्न प्रकारों की पड़ताल करना है। जो न्यू मीडिया के परिणामस्वरूप आकार ले रहे हैं। इस संगोष्ठी में विभिन्न विषयों पर आधारित पाँच तकनीकी सत्र सम्पन्न होंगे, जिसमें देश-विदेश से पधारे विषय विशेषज्ञ, शैक्षणिक जगत की प्रख्यात हस्तियाँ एवं शोधकर्ता अपने विचार रखेंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बी.के.कुठियाला ने बताया कि संगोष्ठी में मुख्य रूप से इस बात पर विचार किया जाएगा कि न्यू मीडिया कैसे जनसंवाद और उसके उपयोगकर्ताओं पर असर डाल रहा है। आज हमारे समक्ष एक विचारणीय प्रश्न यह है कि सोशल मीडिया में जनसंवाद के विभिन्न लक्षण राजनैतिक परिचर्चाओं, जनसहभागिता और जनतांत्रिक मूल्यों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? संगोष्ठी के माध्यम से विचारकों और लेखकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे आनलाईन समुदायों की अंतःक्रिया की गतिशीलता का परीक्षण करें और यह भी देखें कि क्या आनलाईन साइटों का उपयोग का अनुभव प्रतिभागियों द्वारा लोक जीवन में होने वाली अन्य चर्चाओं को आगे बढ़ाने और प्रभावित करने में किया जा रहा है? क्या लोकविमर्श आपसी टकराव को सुलझाने में लोकतांत्रिक विकल्प दे पाया है?  इन्हीं सब बिन्दुओं पर इस संगोष्ठी में विचार-विमर्श होगा।
संगोष्ठी के दौरान विश्वविद्यालय के संबद्ध अध्ययन केन्द्रों से सार्थक संवाद बनाए जाने की दृष्टि से प्रकाशित की जा रही त्रैमासिक गृह पत्रिका ‘‘एमसीयू समाचार’’ के प्रथम अंक का विमोचन भी किया जाएगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त परिसरों के शिक्षकगण, देश-विदेश से पधारे शिक्षक, शोधकर्ता एवं मीडियाकर्मी उपस्थित रहेंगे। संगोष्ठी का समापन 15 दिसम्बर 2013 को दोपहर 2.30 बजे होगा।
 
 
(डा. पवित्र श्रीवास्तव)
विभागाध्यक्ष, जनसंपर्क विभाग


Press Release
 
Journalism University Organises International Seminar on ‘Public Discourse and New Media’
 
In Association with Asian Media, Information & Communication Centre (AMIC), Singapore
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Inauguration at 10:30 AM at the University Campus
 
Bhopal/13 Dec 2013/ Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication (MCU), Bhopal and Asian Media information & Communication Centre (AMIC) are organising an two day International Seminar. The Seminar will be inaugurated at the University campus on 14th Dec, 2013 at 10:30 AM in the Conference Hall on the 5th floor. The chief guest of inaugural session is Mr. Binod C. Agrawal, Country Head of AMIC and keynote speaker is Mr. Vijay Sehgal, Ex-Editor Dainik Tribune, Chandigarh. The focus of the seminar will be to explore the new forms of Public discourses that are emerging as a result of New Media. In the seminar, there will be five technical sessions being conducted on various related arenas, in which national and international delegates, experts from academics and research scholars will present their ideas and papers.
          The University Vice-Chancellor Prof. B.K.Kuthiala mentioned that seminar will focus and talk mainly on Public Discourse through New Media and the impact on its users. The question today to be raised is how specific features of Public Discourse in Social Media influence political discussion, participation and democratic values? Through the seminar, experts and authors will be encouraged to examine the dynamics of interaction in online communities and how the participants of there online sites experience, propagate and influence others to resolve conflicts? How the dynamics of online interaction support or deter participation in media mediated political discussion. All of the above topics shall be discussed during the seminar.
          A quarterly house journal “MCU News”, its first issue will also be inaugurated, which is designed to encourage better communication with the University study centers.      Faculties of all the campuses, national-international academicians, research scholars and media representatives will be present in the seminar. The seminar will be conducted on 15th Dec, 2013 at 2:30 PM.

Thursday, December 5, 2013

साहित्य अकादमी में कल दिव्या माथुर का रचना पाठ

साहित्य अकादमी में दि.6 दिसंबर को 
 
दिव्या माथुर का रचना पाठ
 

 

Wednesday, November 27, 2013

प्राध्यापकीय व्याख्यान माला एवं ‘ भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता‘ पुस्तक विमोचन कार्यक्रम 31 दिसंबर, 2013 को

प्राध्यापकीय व्याख्यान माला  एवं  ‘ भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता‘ पुस्तक विमोचन कार्यक्रम 31 दिसंबर, 2013 को

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली(मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार) के तत्वावधान में आयोजित प्राध्यापकीय व्याख्यान माला कार्यक्रम के अन्तर्गत दिनांक 13- 12- 2013, शुक्रवार दुपहर 1- 30 बजे मान्नानम के. ई. कालेज के न्यू सेमिनार हॉल में प्रसिद्ध हिन्दी लेखक प्रोफ.(डॉ.) विनय कुमारजी (प्रोफसर, हिन्दी विभाग, मगध विश्वविद्यालय, गया, बिहार) भूमंडलीकरण और हिन्दी साहित्य शीर्षक विषय पर व्याख्यान देंगे।
उस अवसर पर अमन प्रकाशन, कानपुर, यू. पी. द्वारा प्रकाशित हमारी पुस्तक भूमंडलीकरण और हिन्दी कविता (मुख्य संपादक – डॉ. बाबू जोसफ़, सह आचार्य व अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, के. ई. कालेज, मान्नानम) का विमोचन – लोकार्पण भी उन्हीं के करकमलों द्वारा संपन्न होगा। पुस्तक की प्रथम प्रति माननीय डॉ. के. वी. नारायण कुरुपजी (सिंडिकेट मेंबर, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम) स्वीकार करेंगे। के. ई. कालेज के स्वर्ण जयन्ती समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में के. ई. कालेज के माननीय प्राचार्य फादर डॉ. जोसफ़ ओषुकयिल. सी. एम. आई. अध्यक्ष होंगे।
आप सबकी उपस्थिति सादर प्रार्थित है।

नेहा पॉल               डॉ. ब्रिजिट पॉल                        डॉ. बाबू जोसफ़
(सचिव, हिन्दी एसोसियेशन) ( निदेशक, हिन्दी एसोसियेशन  )       ( अध्यक्ष, हिन्दी विभाग)


As part of the Golden Jubilee Celebrations of our college, the Department of Hindi is organizing a lecture  by Dr. Binaykumar, (Well known Writer & Professor, Magath University, Gaya, Bihar) who will be visiting our college on Friday, 13-12-2013, as  a part of Professor Lecture  Series under the Professor Exchange Programme  of Central Hindi Directorate, New Delhi (Ministry of Human Resource Development, Govt. of India). He  will be delivering a lecture on ‘GLOBALIZATION AND LITERATURE’ in the new seminar hall at 1.30 pm.

He  will also be releasing ‘Bhumandalikaran Aur Hindi Kavita’( Publisher – Aman Prakashan, Kanpur, U. P.) a Book edited by Dr. Babu Joseph , Head of the Department of Hindi. First copy will be received by Dr. K. V. Narayana Kurup (Syndicate Member, Mahatma Gandhi University, Kottayam). The meeting will be presided by our Principal Rev. Dr. Joseph Ozhukayil. C. M. I.
All are cordially invited.


Neha Paul                                             Dr. Brigit Paul                                             Dr. Babu Joseph
(Secretary, Hindi Association)  (Director, Hindi Association)                (Head of The Dept. of Hindi)




PROFESSOR LECTURE SERIES AND BOOK RELEASE
Programme
Prayer song
Welcome Speech               - Dr. Babu Joseph (Head Of The Dept. of Hindi)
Presidential Address          - Rev. Dr. Joseph Ozhukayil. C. M. I (Principal, K. E.
                                                 College Mannanam)
Professor Lecture               -  Dr Binaykumar, (Well known Writer & Professor,
                                                 Magath University, Gaya, Bihar)
Releasing of the Book  ‘Bhumandalikaran Aur Hindi Kavita’, Edited by Dr. Babu Joseph, Head Of The Dept. of Hindi, K. E. College Mannanam( Publisher – Aman Prakashan, Kanpur, U. P.) by Dr. Binaykumar.
The First copy will be received by Dr. K. V. Narayana Kurup (Syndicate Member, Mahatma Gandhi University, Kottayam).
Keynote Address                            -  Dr. K. V. Narayana Kurup (Syndicate Member,
                                                             Mahatma Gandhi University, Kottayam)
Felicitation                                       - 1) Dr. A. S. Sumesh ( Head of the Dept. of Hindi,
                                                                         M. E. S. College Nedunkandam
                                                            2) Dr. Chandravadana (Director,
                                                                        SreeShankaracharya University, Ettumanur Centre)                                                                                              
                                                              3) Prof. Tomichan Joseph (Convenor, Golden
                                                                          Jubilee Committee)
                                                            4) Sri. Joshi Kurian (Secretary, Non Teaching Staff
                                                                        Association)

Vote Of Thanks                               - Dr. Brigit Paul


कार्यक्रम का स्थान  - 

KURIAKOSE ELIAS COLLEGE MANNANAM

Mannanam. P.O., Kottayam(Dt.) Kerala – 686561

Sunday, November 24, 2013

सत्यशोधक ज्ञानपीठ की अखिल भारतीय परीक्षाएँ 22 दिसंबर, 2013 को..

सत्यशोधक ज्ञानपीठ की अखिल भारतीय परीक्षाएँ 22 दिसंबर, 2013 को..



Friday, November 22, 2013

सेंदिल कुमरन की लेखनी से एक नई कहानी - बेचारा... ! ?

कहानी
बेचारा... ! ?

-    एन. सेंदिल कुमरन, पुदुच्चेरी


                ‘‘बेटा, रवि तू स्कूल से वापस आ गया ?  इधर आ । दुकान से तेल खरीदकर जल्दी आ । खाना पकाना है न । मनीषा कहाँ है ? खेल रही है या सो रही है ?‘‘
                छोटा-सा घर, कमरा तो एक ही है । बिजली की बत्ती टिमटिमा रही है । शाम का समय, रसोईघर में मंद रोशनी में माँ रसोई बनाने में व्यस्त है, वह भी जल्दी-जल्दी, । कहने के लिए तो वह रसोई तो बना रही है, मगर उसके चेहरे से जान पड़ता है कि उसके विचार तो दूसरी तरफ़ हैं ।
                ‘‘अरे रवि, सुनता नहीं, जल्दी आ । वहाँ क्या कर रहा है तू ?‘‘
                ‘‘लिख रहा हूँ माँ । अभी आता हूँ ।‘‘
                रवि सरकारी स्कूल में पाँचवीं कक्षा पढ़ रहा है । वह स्कूल में दिया गया गृह-कार्य कर रहा था । माँ के बुलाने पर वह करते गृह-कार्य को जैसे के तैसे छोड़कर रसोईघर के अंदर झांकता है ।
                ‘‘पैसे दे दो माँ ।‘‘
     शाम का वक्त, वह छोटा-सा बच्चा लगभग आधे किलोमीटर दूर स्थित दुकान से तेल लाकर देता है ।
                ‘‘माँ लीजिए ......तेल लाया हूँ ।‘‘
                ‘‘इधर रखो और बाहर देखो कि नल में पानी आ रहा है या नहीं । ‘‘
                पहाड़ की तराई में स्थित उस गाँव में हरे-भरे बड़े-बडे़ गगनचुंबी पेड़ हैं । स्वच्छ हवा एवं रमणीय दृश्यों से भरे उस गाँव में केवल चार गलियाँ हैं, वह भी संकीर्ण । बड़ी-बड़ी गाडियाँ उन संकर गलियों में चल नहीं सकतीं । केवल दुपहिए वाहन ही आ-जा सकते हैं । तड़के पेड़ों के ऊपर से भिन्न-भिन्न प्रकार के पक्षियों का कलरव सुनने से जान पड़ता है कि सुख्यात गायकों ने  यहीं से ही गीतों का राग-लय लिया हो । इस गाँव की रमणीय प्रकृति के दृश्यों को देखने के बाद दूसरी चीज़ों की ओर आँखें नहीं जाएँगी । भूख-प्यास सब भूल जाएँगे । मानसिक क्लेश भी पता नहीं कहाँ छिप जाएगा । गीत और नृत्य सुनने-देखने के लिए रेडिया-टी.वी  की ज़रूरत नहीं । साक्षात् गीत और नृत्य का दर्शन सीधा कोयल और मोर से मिलता है । वहाँ के सुन्दर एवं रम्यमय वातावरणआनेवाले यात्रियों को  उतनी जल्दी वहाँ से वापस लौटने नहीं देता। औषधी युक्त दवा जैसी हवा अस्वस्थ भी स्वस्थ हो जाएँगे ।
                कई विशेषताओं से  युक्त उस गाँव में एक कमी है । वह है, गरीबी । गरीबी तो इतनी है कि लोग रोज़ी रोटी के लिए भी तड़पते हैं । गांधीजी देश के हित उपवास कर रहे थे, किंतु इस गाँव के लोग आज़ाद देश में किसके हित के लिए कई दिन कई बार उपवास रहते हैं । क्या सरकार इन लोगों के उपवास के वास्ते कोई खि़ताब देगी ?.. . . . . . . .
                 प्राकृतिक आपदाएँ बार-बार उस गाँव में मेहमान बन जाती है । उस समय सब गाँववासी शाकाहारी पशु बन जाते हैं, पौधे ही उनका आहार है । अपनी दयनीय स्थिति को कहकर सरकार से या दूसरों से हाथ पसारते नहीं । किसी प्रकार की चीज़ मुफ़्त में लेकर अपना शेष जीवन बिताने की आदत उनके वश में नहीं है ।  उस गाँव में वसन्त तो सदा होता है पर उनके जीवन में वसन्त कब आएगा ? ऐसा प्रश्न सब के मन में होता है । आधुनिक वैज्ञानिक युग में सभी जगह और क्षेत्र की उन्नति हो गई, किंतु अब भी ऐसे गाँव कितने पिछड़े पड़े हैं । सरकार और राजनीतिज्ञ पाँच सालों में एक बार उस गाँव का नाम याद करते और बाद में भूल जाते हैं । क्यों  याद रखेंगे ? याद रखना अच्छे आदमी का लक्षण नहीं है न ?
                ‘‘पानी आ रहा है माँ । किंतु भीड़ है ।‘‘ सारी गली के वासी उस नल में पानी के लिए धक्का-मुक्की कर रहे हैं । गाँव की हरेक गली में केवल एक-एक सरकारी का आम नल है । एक दिन छोड़कर एक दिन शामको मात्र पेयजल के नल से पानी टपकने लगता है । उस गली के सब लोगों को उस नल से ही पीने का पानी ले जाना है । और कोई पेयजल की व्यवस्था वहाँ नहीं है । बारिश के समय हो या गरमी, एक सप्ताह तक भी वहाँ पेयजल मिलना टेढ़ी खीर है ।
                जब पेयजल मिलता है तभी लेकर सुरक्षित रखते हैं ।  वहाँ पेयजल के वास्ते लड़ाई भी होती रहती हैं । बलशाली उस लड़ाई में भाग लेते हैं और दुर्बल दूर से तमाशा देखते है । एक दिन नहीं पूरे साल ऐसा ही पेयजल के लिए लड़ाई-वड़ाई होती रहती है । पर अजीब बात यह है कि उस समय मात्र एक दूसरे से दुश्मनी होगी, उस जगह से हटते ही सब में मन-मुटाव खत्म हो जाती है । उस गाँव को आनेवाली कोई यात्री पीने के लिए किसी के घर जाकर पानी मांगने पर सहर्ष से जितना भी चाहे उतना देंगे, ‘अथिति देवो भव‘ को सार्थक साबित करते हुए ।
                ‘‘रवि तू जाकर पानी ला । अब तक तेरा बाप घर नहीं लौटा । ‘रोज़ बोलती रहती हूँ कि जल्दी घर आ जा। घर का काम भी देख लो। सुनता नहीं । रोज़ शामको शराब की दुकान में कमाये हुए पैसों में से आधा हज़म करता है । रोज़ी रोटी के लिए भी ऊपर-नीचे देखना पड़ता है । विधाता हमारे भाग्य पर क्या बदा है ? कौन जाने ?‘‘
                माँ, मुझे पढ़ना-लिखना है । मैं न जाऊँ पानी लाने...। वहाँ इतनी भीड़ रहती है कि मैं जल्दी लौट ही नहीं पाऊँगामनीषा को भेज दो न !‘‘
                ‘‘अरे, मनीषा तुमसे छोटी है । सात साल की बच्ची ।‘‘
                ‘‘माँ, मुझे स्कूल का गृह-कार्य करना है, पढ़े बिना जाऊँ, तो अध्यापक से खरी-खोटी सुननी पड़ेगी ।  अन्य दोस्त हँसी-मज़ाक करेंगे । मुझे शरम होगा । पहले से ही बाप के व्यवहार से मुझे अपना सिर नीचा करना पड़ता है ।‘‘
                ‘‘बेटा, जि़द न कर । माँ क्या करेगी ? मैं भी काम के वास्ते सुबह जाकर शाम को लौटती हूँ । मैं न जाऊँ, तो रसोई घर में बिल्ली सोएगी । हम सब को भूख से तड़पना पड़ेगा । कौन पूछेंगे ? सुनेंगे ? कोई जानना चाहेंगे हमारी स्थिति को ?‘‘
                महंगी दुनिया में हमारे जैसे परिवार के लोगों को दिनोंदिन अजीब-अजीब प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैै । घर के सभी कमाते हैं, तो घर निश्चिंत चलता है नहीं तो, नहीं ।
                रवि का परिवार निम्नमध्य श्रेणी का है । माँ नौकरी पर न गई तो घर का निर्वाह करना बहुत मुश्किल होता है । बाप को बुरी आदत लग गई । इकलौता बेटा-बेटी है । मासूम लड़के-लड़की अपनी छोटी उम्र में ही घर की स्थिति से अवगत हैं । बाप घर की देखभाल किए बिना कभी आता है और जाता है । घर में कौन खाते हंैं कौन नहीं ? बच्चे क्या करते हैं ? इसका उसे कोई परवाह नहीं । बाप पियवकड़ है । स्वादिष्ट भोजन चाहता है । इससे पति-पत्नी के बीच में बार-बार मुठभेड होता है । बच्चों के ऊपर भी  इसका कुप्रभाव पड़ता है ।
                रवि, माँ की अनुनय-विनय से विवश होकर पानी लाने जाता है । बेचारा लड़का, उसके कहे अनुसार पानी लाने में  देरी हो जाती है । आते ही खाए बिना सो जाता है ।  स्कूल के काम के साथ-साथ घर का काम भी करना है, तो रवि क्या करेगा ? उसके वश में कुछ भी नहीं है ।  पहले से ही वह दुर्बल है । गरीब परिवार में जन्मे उसको कहाँ मिलता है पौष्टिक भोजन ? पौष्टिक भोजन दिवा सपना है ।
                रात दस बजे का समय । चारों ओर सन्नाटा है.... । ‘दुर्गा ....... दुर्गा‘‘ रवि के पिता की आवाज़ ।
                दुर्गा दिन भर कडी मेहनत के नाते जल्दी सो गई । कभी-कभी अपना मन बहलाव के लिए बच्चों को पुरानी कथाएँ सुनाती । आज बच्चे जल्दी सो जाने के कारण वह भी सोे गई । पहाड़ की तराई में स्थित गाँव के नाते बार-बार बिजली की समस्या भी है ।
                बाप पुनः ज़ोर से, ‘‘दुर्गा ..... दुर्गा.....‘ कहाँ मर गई ? सुनता नहीं कि मैं इधर गला फाड़-फाड़कर चिल्लाता हूँ तू निश्चित सोती है ? उठ, किवाड़ खोलो ।‘‘
                दुर्गा अधखुले ही उठकर किवाड़ खोलती है । रवि के पिता मनिक अन्दर आते ही पत्नी को थप्पड़ देता है और गरजता है -
                ‘‘कब तक मैं बाहर खड़े होकर चिल्लाता हूँ, सुनाई नहीं पड़ता तुझे ? गला भी सूख गया है मेरा ।‘‘
                मनिक पूरे नशे में है । अभी दुर्गा बात करेगी, तो पूरे घर में शोरगुल होगा, ऐसा समझकर दुर्गा चुपचाप सहन करती है । फिर उसको  भोजन लाकर खिलाती है ।
                मनिक खाते-खाते खरी-खोटी सुनाता रहता है । बराबर नौकरी पर जाता नहीं, ऐसा जाने पर वह रुपया शराब की दुकान पर चला जाता है । इसे सोचते-सोचते दुर्गा ‘आधा हो गई‘। दुर्गा की आँखों की आँसू धीरे-धीरे बूँद, फिर धारा बन जाती हैं । वह रोज़ ‘मरकर जीती‘ है । ‘‘आदमी आदमी में अंतर, कोई हीरा कोई कंकर‘‘ है । मनिक किस ढंग का आदमी है .....? विधाता ही जाने ।
                रोज़ दुर्गा मुँह अंधेरे उठती है । नित्य घर के काम के साथ अपने बच्चों को भी तैयार करके स्कूल भिजवाती है । फिर नौकरी के लिए चलती है, वह खाती है या नहीं भगवान ही जाने । यहीं उसकी दिनचर्या है । सब घर से निकलने बाद मनिक उठकर मन में लगन हो, तो काम के लिए जाएगा, नहीं तो घर में ही सोएगा । उसका स्वभाव है कि ‘घड़ी भी की बेशर्मी दिन भर का आराम‘ अर्थात् एक दिन काम करके नौ दिन बैठकर उसे खाएगा । किंतु रोज़ ठीक शाम के वक्त शराब की दुकान पर जाता है और खूब पीता है । रात दस बजे तक शराब की दुकान ही मनिक की शय्या बन जाती है ।
                घरेलू काम बोझ के कारण रवि ठीक-ठीक से स्कूल का गृह-कार्य नहीं कर पाता । कक्षा में वह डरकर बैठा रहता है कि अध्यापक कुछ डांट लगाएँगे ? उसका मुँह कलंकित रहता है । किसी सहपाठी से भी बात नहीं करता ।  रवि के कार्यकलाप से अध्यापक को मात्र नहीं, बल्कि सबको समझने में देरी नहीं हुई ।
                कहा जाता है न भाग्य अपना-अपना । वह बेचारा लड़का जोे परिस्थिति वश केवल एक अध्याय छोड़कर अन्य सभी अध्याय अच्छी तैयारी करके आने पर भी, उसका दुर्भाग्य यह है कि शिक्षक उस अध्याय से ही प्रश्न छेड़ता है, तो वह कैसा ठीक-ठीक उत्तर दे सकता है तब वह पाता है नाम ‘‘बुद्धु‘‘, ‘‘नालायक‘‘ । जो इसके उल्टे हैं, उनका भाग्य है कि शिक्षक केवल उस अध्याय से प्रश्न पूछने पर वे ठीक-ठीक उत्तर दे पाते हैं । तब वे छात्र पाते हैं, ‘‘शबाश‘‘, ‘‘अच्छा लड़का‘‘, ‘‘खूब पढ़कर आया है‘‘ । तब वह सबका प्रशंसनीय पात्र बन जाता है । यह तो विधि है, आश्चर्य की बात तो नहीं है । क्या इसे ही कहते हैं-‘‘उसका भाग्य अच्छा है, इसका भाग्य बुरा है ?‘‘
                आजकल यह भी गलत धाराणा हो गई कि अच्छे अंक पाने वाले सब विषय पर कौशल होंगे, जो अच्छे अंक नहीं पाते वे विषय पर निरा होंगे । अंक के आधार पर काम सौंपना कितना खतरनाक है । इसे अनुभवी से पूछने पर मालूम होगा ।
                अध्यापक रवि को उठाकर, ‘‘रवि तुम बोलो, क्या सब होमवर्क करके आए हो ?‘‘
                ‘‘जी नहीं,‘‘
                ‘‘तुम्हारी मुखाकृति से ही मैंने जान लिया कि तुमने होमवर्क नहीं किया । आगे भी तुम होमवर्क नहीं करोगे ?‘‘
                 ‘‘जी, अधिक घर का काम होने से वह काम करते-करते थककर जल्दी सो गया था। आगे से ऐसा नहीं होगा । इस बार मुझे माफ़ कीजिए सर ।‘‘
                ‘‘बुद्धु ...... बुद्धु ...... कितनी बार माफ़ करना है तुमको । सुनता नहींकिसी  लायक नहीं हो तुम ।‘‘
                सब के सामने अध्यापक गाली सुनाने से रवि से रह नहीं सकता । अनजान से अपने आप आँखों से आँसू बह निकलता है ।
                अध्यापक कड़ककर कहता है - ‘‘तुम्हारा स्कूल आना न आना बराबर है ।  तुम से अन्य बच्चे बिगड़ जाएँगे । कल से तुम घर का काम देख, व्यर्थ से क्यों आते हो स्कूल ?‘‘
                रवि ईमानदार लड़का है, नहीं तो दूसरे लड़के, जैसे कुछ-न-कुछ झूठ बोलकर बच निकल सकता है । सत्य का पुरस्कार उसे ‘‘बुद्धु‘‘.....‘‘नालायक‘‘ के रूप में मिलता है ।  आजकल का ज़माना ही ऐसा है ।
                रवि रोते-रोते घर लौटता है ।
                माँ पूछती है - ‘‘क्या रे, क्यों रो रहे  हो ? क्या हुआ‘ ?
                माँ भी थककर आने के कारण कड़क आवाज़ से पूछ बैठती है ।
                ‘‘कुछ नहीं माँ । कल से मैं स्कूल नहीं जाऊँगा ।‘‘
                ‘‘क्यों ?‘‘
                ‘‘अध्यापक ने गाली सुनायी, और आगे यह भी कहा कि तुम नालायक... बुद्धु हो, कल से स्कूल नहीं आना ।‘‘
                यह बात सुनते ही दुर्गा की स्थिति ऐसी हो गई कि ‘तेल डालने से आग नहीं बुझती‘ । अब असमंजस में पड जाती है कि आगे क्या करना है ? अध्यापक से जाकर बात करने में भी डर है और चुप भी नहीं रह सकती ।
                दुर्गा मनिक से सारी बातें बताती है । और यह भी आग्रह करती है कि कल स्कूल जाकर अध्यापक से बात वह बात करें । मनिक सुने अना सुन बोलता है कि ‘‘‘नहीं.... नहीं... कल से रवि को भी साथ ले जाओ । काम पर लगाओ । नौकरी करने से कुछ रुपया मिलता है । स्कूल जाए, तो कौन देगा रुपया । पढ़कर यह क्या करेगा ? क्या कलेक्टर बनेगा ?‘‘
                आगे की कहानी वही जो आम ग़रीब परिवारों की है । उस बच्चे को  देखकर किसी के मन में यह सवाल पैदा हो जाना सहज़ है कि क्या बाल मज़दूर इस तरह ही पैदा होते हैं या पैदा किये जाते हैं ?
                   बेचारा रवि, श्यामपट के सामने बैठने के वय में खतरनाक मशीन के सामने बैठ रहा है ।
                रवि का भविष्य जीवन .......... ? ? ? अब ही वह बहुत दुबला और कमज़ोर है । क्या वह अच्छा नागरिक बन सकेगा ? बताते हैं कि आज का बालक कल का अच्छा नागरिक ।  क्या अब रवि बालक नहीं है ? क्या वह भविष्य में अच्छा नागरिक बन पाएगा ? क्या दस के उम्र में ही खतरनाक मशीनों के साथ उसे नाता बनाना है

                बाल मज़दूरी के लिए कौन जिम्मेदार हैं ? अध्यापक, पिता, माता, गरीबी, सरकार, परिरिथति या सारे । काल ही इसका जवाब दे सकता है । परंतु अब बेचारा रवि की स्थिति ...... ? ? ? ? ?  एक अच्छा, नेक, ईमानदार बच्चे के भविष्य प्रश्नार्थक बनती स्थिति में यह धरा भी निरा देखती ही रह जाती है ।