कविता
चुना आपने 'आप' को
श्यामल सुमन
आम आदमी ने सुमन, काम किया है खास।
खास आदमी को झटक, हिला दिया विश्वास।।
दिल्ली की गद्दी मिले, हुआ अनैतिक मेल।
देख सुमन गद्दी वही, ना चढ़ने का खेल।।
दिल्ली को वरदान या, यह चुनाव अभिशाप।
चुना आपने 'आप' को, सुमन भुगत लें आप।।
अलग ढंग से 'आप' का, देखो सुमन प्रयोग।
पत्रकार, नेता सहित, चकित हुए हैं लोग।।
सुमन खड़ा यूँ सामने, झाड़ू लेकर भूत।
भीतर भीतर रो रहे, परम्परा के दूत।।
सेवक, शासक बन गया,
बने हुए श्रीमान।
अब शासक होगा सुमन, जिनके है ईमान।।
प्यार दिया है आपने, है चर्चा में 'आप'।
सुमन आस है 'आप' से, मिटा सके सब पाप।।
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