Wednesday, December 18, 2013

“दिव्या माथुर का लेखन प्रवासी जीवन का दर्पण है”



दिव्या माथुर का लेखन प्रवासी जीवन का दर्पण है
मेड इन इंडिया और  हिंदी@स्वर्ग.इन कृतियों का
 लोकार्पण सुसंपन्न

ब्रिटेन की प्रसिद्द लेखिका दिव्या माथुर की दो पुस्तकों - मेड इन इंडिया औरहिंदी@स्वर्ग.इन - का लोकार्पण  दिनांक 17 दिसंबर 2012 को अक्षरा थियेटर में संपन्न हुआ।  इस मौके पर, उनकी प्रसिद्द कहानी 2050 का अनिल जोशी द्वारा किए गए नाट्य रूपांतरण, फ्यूचर परफेक्ट - इदम पूर्णम की वयम नाट्य संस्था द्वारा प्रस्तुति की गई। पुस्तक का लोकार्पण पूर्व राजनयिक व प्रसिद्ध लेखक डा पवन वर्मा द्वारा किया गया। लोकार्पण के अवसर पर राजकिशोर, डा कमल किशोर गोयनका, आलोक मेहता, संजय सहाय, संगम पांडेय, अजय नावरिया ने अपने विचार व्यक्त किए। श्री पवन वर्मा ने लोकार्पण के अवसर पर अपने लंदन प्रवास को याद करते हुआ कहा कि मैं लेखिका के रूप मे दिव्या जी का आदर करता हूं और उनका लेखन प्रवासी जीवन का दर्पण है।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री राजकिशोर ने कहा कि प्रवासी साहित्य में दिव्या माथुर की साहित्य का अपना विशिष्ट स्थान है। इसके कई कारण हैं। प्रथमतः दिव्याजी मानव मस्तिष्क के गुह्य धरातल पर उठने वाले संवेगों के अनुसार अपने पात्रों को ढालती हैं, जो अपने विविध रुपों में विविध पात्रों के साथ साकार होते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस में प्रेम का तत्व सबसे प्रबल कारक है। मैं रोमांटीसिज्म का सर्मथक हूं तथा मेरा मानना है कि दिव्याजी के विभिन्न पात्रों के बीच में स्नेह और प्रेम का संबंध जीवन के प्रति लेखिका के अपने उद्दात विचार का परिचायक है। उन्होंने कहा कि मुहावरों का प्रयोग दिव्या जी की कहानियों की विशेषता है।  इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने कहा कि दिव्या माथुर का सबसे बड़ा योगदान भारत के बाहर अपनी लेखनी से भारत की संस्कृति की तमाम विशेषताओं को समेट कर भारत का निर्माण करना है। आज विदेशों में लोग ऐसे लेखकों के माध्यम से भारत को जानते हैं। उन्होंने 'मेड इन इंडिया कहानी' का उल्लेख  करते हुए, उसके पात्र सतनाम का विशेष उल्लेख किया। अजय नावरिया ने दिव्या माथुर की पंगा कहानी को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रवासी साहित्य अब हाशिए का साहित्य नहीं रहा। उन्होने कहा कि दिव्या माथुर की कहानियों मानवीय संबंधों की कहानियां हैं। उन्होने कहा कि 'मेड इन इंडिया' पुस्तक व्यक्ति के 'प्रोडक्ट' मैं बदल जाने का दस्तावेज़ है। प्रवासी साहित्य के विशेषज्ञ डॉ. कमल किशोर गोयनका प्रेमचंद का उदृत करते हुए कहा कि प्रवासी साहित्य को प्रेमचंद ने भी सराहा था। उन्होंने कथ्य की विशिष्टता के संदर्भ नीली डायरी का विशेष उल्लेख किया। इस अवसर पर संजय सहाय और संगम पांडेय ने भी लेखिका को शुभकामना दी।  कार्यक्रम का कुशल संचालन अलका सिन्हा द्वारा किया गया।

इस अवसर पर दिव्या माथुर की कहानी '2050' की नाट्य प्रस्तुति वयम नाट्य संस्था द्वारा फ्यूचर परफैक्ट - इदम पूर्णम शीर्षक से की गई । प्रस्तुति का थीम समाज का निरंतर अमानवीकृत होना था। दो दंपत्तियों को कम 'आई-क्यू' के कारण काऊंसिल संतान पैदा करने की अनुमति ना मिलना, नागरिकों पर नजर रखना, भावुक होने को अपराध मानना, प्रकृति से खिलवाड़ करना जैसे मुद्दों को केन्द्र में रख तैयार इस नाटक में एक तरफ संतान पैदा करने की अनुमति ना मिलने के कारण मां की भावनाओं का प्रस्तुतिकरण था, वहीं, काऊंसिल के अधिकारियों का निरंकुश और उदासीन रवैया और 'बिग बास' जैसे आचरण पर व्यंग्य था। जिसमें जोर से बोलने और मेज जोर से थपथपाने तक पर जुर्माना के प्रावधान के खिलाफ व्यंग्य था। कहीं बेरहम व्यवस्था के कारण उपजा आक्रोश, कहीं ममता की भावना, कहीं व्यग्य से भरा यह नाटक दर्शकों को बहुत पसंद आया। नाटक में ऋचा के रूप में पौरवी, मीना के रूप में समृद्धि ने भावपूर्ण अभिनय किया। वहीं वेद के रूप में सकल्प जोशी, अधिकारी के रूप में अलेक्क्षेन्द्र, मनोहर के रूप में प्रवीण ने पात्रों को जीवंत कर दिया। अपनी गायकी से संतीश मिश्रा ने नाट्क में चार चांद लगा दिए। भुपेश ने नाट्य रूपांतरण में सहयोग दिया और प्रकाश संयोजन किया। ध्वनि संयोजन कपिल द्वारा किया गया।

नाटक के पश्चात डॉ. अशोक चक्रधर और श्रीमती रमा पांडे ने कलाकारों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय की सुनीति शर्मा, आकाशवाणी के उपमहानिदेशक लक्ष्मीशंकर बाजपेयी, केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के संयुक्त निदेशक विनोद कुमार संदलेश, अतुल प्रभाकर, नरेश शांडिल्य, आशीष कुमार, आरती स्मित, डॉ. निखिल कौशिक, अतुल प्रभाकर, शाहीना खान, मधु चतुर्वेदी, हरजेन्द्र चौधरी, शशिकांत उपस्थित थे।     

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