Friday, August 1, 2008

समीक्षा



नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, बैंगलूर के प्रयासों से उमड़ती


कावेरी


- डॉ. सी. जय शंकर बाबु
तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना राजभाषा कार्यान्वयन का महत्वपूर्ण आयाम है । डॉ. विजया मल्लिक, सदस्य सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन, बैंगलूर से प्रकाशित वार्षिक पत्रिका कावेरी के अद्यतन अंक में ऐसा ही प्रयास नज़र आता है, जो स्वागतयोग्य है । तकनीकी एवं वैज्ञानिक विषयों से संबद्ध लेखों के लिए पुरस्कारों के वितरण के अलावा उनका प्रकाशन भी करना एक सराहनीय कार्य है । इससे निश्चय ही इस दिशा में कार्य की प्रगति की अपेक्षा की जा सकती है । हमारे देश में कार्यरत किसी भी वैज्ञानिक या तकनीकी कर्मी की मातृभाषा अंग्रेज़ी नहीं है, मगर अधिकांश खोज के परिणाम अंग्रेज़ी में ही प्रकाशित किए जाते हैं । भारतीय भाषाओं के अख़बारों द्वारा उन्हें प्रकाश यदा-कदा किए जाने के बावजूद, यह सर्वविधित तथ्य है कि इन विषयों में मौलिक लेखकों की कमी के कारण ऐसे विषयों पर भारतीय भाषाओं में लेखन की मात्रा अंग्रेजी की तुलना में बहुत कम है । भारतीय संविधान में राजाभाषा के संबंध में किए गए प्रावधानों का मूल उद्देश्य भारतीय भाषाओं के विकास ही है । इन भाषाओं के विकास केवल साहित्यिक, सामाजिक विषयों में इनका प्रयोग होने से काफ़ी नहीं है । विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधुनिक जीवन के अभिन्न अंग होने के कारण इन विषयों संबंधित उच्च स्तरीय ज्ञान भारतीय भाषाओं के माध्यम से उपलब्ध कराना सामयिक मांग है । ऐसे प्रयासों के लिए एक जीवंत उदाहरण है कावेरी पत्रिका । इसमें हिंदी में प्रकाशित वैज्ञानिक एवं तकनीकी विषयक सामग्री के लिए लेखक एवं संपादक बधाई के पात्र हैं ।
पत्रिका के वर्तमान अंक (वर्ष-2008) में चिंतन स्तंभ के अंतर्गत भारत अमेरिका आणुविक समझौता 123, तेजस लडाकू विमान – भारत का सम्मान, क्षयरोग – सामान्य जानकारी एवं बचाव शर्षक के लेख एवं मैं कौन हूँ जानो यारो.. शीर्षक से एक कविता भी प्रकाशित हुई है । पुरस्कृत वैज्ञानिक एवं तकनीकी लेखों के शीर्षक इस प्रकार हैं – भारत में एच वी डी सी कडियाँ - विद्यमान एवं आगामी, विकिरण समस्थानिक तापवैद्युत जनित्र का परिचय तथा प्रयुक्त ऊष्मीय नियंत्रण प्रणालियाँ, नेटवर्क व्यवस्था योजना (एन.एम.एस.), द्रिष्टधारा आर्क स्पेकट्रमरेखी वैश्लेषिक विधि एवं युरेनियम अन्वेषण, सूचनाप्रद लेखों के अंतर्गत ओम से जीनोम तक, वाई-फाई, क्वांटम टेलीपोर्टेशन, स्वस्थान निक्षालन विधि द्वारा युरेनियम अयस्क का निष्कर्षण के शीर्षक से बहुत उपयोगी एवं सचित्र लेख प्रकाशित हुए हैं जो अद्यतन तकनीकी अनुप्रयोगों की जनकारी देते हैं ।
कावेरी के इस अंक का संपादकीय सुंदर कवितात्मक पंकितयों के साथ जनभाषा में कामकाज को बढ़ावा देना का संकल्प दुहराया गया है, कुछ पंक्तियाँ यहाँ उद्धृत हैं –
है अमावास से लड़ाई युद्ध है अँधियार से
इस लड़ाई को लड़े हम कौन से हथियार से ?
एक नन्हा दीप बोला, मैं उपस्थित हूँ यहाँ
रोशनी की खोज में आप जाते हैं कहाँ ?
आपके परिवार में नाम मेरा जोड़ दें
बस, आप खुद अँधियार से यारी निभाना छोड़ दें ।...

...इसी संकल्प की आज हमें नितांत आवश्यकता है । यह लघु दीपक का तिलमिलाना नहीं है, अपितु क्रियान्वयन के दृढ़ संकल्प का संघर्ष है । जन-भाषा को कामकाज की दैनंदिन भाषा बनाने की ओर हमारे प्रयास केंद्रित हों । कावेरी से प्रेरणा लेकर सभी क्षेत्रों में जनभाषाओं के विकास की सलिल धाराएँ बहने लगीं तो अवश्य ही भारतीय संविधान की संकल्पना के अनुसार भारतीयता का विकास होना सुनिश्चित हो पाएगा ।
(KAAVERI – A Review of a Hindi Magazine by Dr. C. JAYA SANKAR BABU for YUGMANAS)

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