कमलप्रीत सिंह जी को जन्म दिन की शुभकामनाओं सहित...
ग़ज़ल
कमलप्रीत सिंह
अपने आप से दूर जाने वालो ।
अपने अख़लाक़ से भागोगे कहाँ तक
ख़ुद अपनी ही किस्म को बताने वालो ,
खुदी की नींद से जागोगे कहाँ तक
प्यार हर कोई करता है अपने आप से ,
दूजे की आवाज़ मिला लोगे कहाँ तक
रौशनी जहाँ चरागों की टिमटिमाती है ,
ऐसे में हर राह सुझा लोगे कहाँ तक
तिलिस्म तीरगी पे तंज़ करता है ,
अन्दर के उजाले को दगा दोगे कहाँ ताक
अपने आप से दूर जाने वालो ।
अपने अख़लाक़ से भागोगे कहाँ तक ।
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