Friday, July 29, 2011

कविता - खूबसूरत ये जहाँ


खूबसूरत ये जहाँ


-श्यामल सुमन

दिन कटे जब ठीक से तो है इनायत ये जहाँ
और गर्दिश के दिनों में बस क़यामत ये जहाँ

रंग चश्मे का है कैसा देखते हैं किस तरह
बात लेकिन सच यही कि है मुहब्बत ये जहाँ

रोटियाँ भी जब मयस्सर हो नहीं आवाम को
और रौनक कुछ घरों में तो अदावत ये जहाँ


रात दिन कुछ सरफिरे जो बाँटते हैं खौफ को
जब करोड़ों दिल अमन के
है सलामत ये जहाँ

क्या यहाँ पे खूबसूरत कौन अच्छे लोग हैं
चैन हो दिल में सुमन तो खूबसूरत ये जहाँ



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