Tuesday, July 19, 2011

बेकल है आज दुनिया

बेकल है आज दुनिया


- श्यामल सुमन



कैसी अजीब दुनिया इन्सान के लिए
महफूज अब मुकम्मल हैवान के लिए

कातिल जो बेगुनाह सा जीते हैं शहर में
इन्सान कौन चुनता सम्मान के लिए

मिलते हैं लोग जितने चेहरे पे शिकन है
आँखें तरस गयीं हैं मुस्कान के लिए

पानी ख़तम हुआ है लोगों की आँख का
बेकल है आज दुनिया ईमान के लिए

किस आईने से देखूँ हालात आज के
कुछ तो सुमन से कह दो संधान के लिए


2 comments:

virendra sharma said...

श्यामल सुमन जी खूबसूरती और तर्ज़े बयानी की कोई इन्तहा नहीं होती .बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ,हर अश -आर कलम बढ करके संजोने लायक .

श्यामल सुमन said...

हार्दिक धन्यवाद वीरुभाई - भबिष्य में भी सम्पर्कित रहने की कामना
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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