Monday, February 23, 2015

सोना उगलता कोयला



सोना उगलता कोयला

- प्रकाशचन्द्र पारख
भूतपूर्व सचिव,
कोयला-मंत्रालय
भारत सरकार
ई-मेल:- parakh31@hotmail.com


हाल ही में केवल सत्रह कोयला खदानों की नीलामी से केंद्र सरकार को करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपयों की आय के समाचार राष्ट्रीय समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ पर छाए हुए हैं। कोलगेट के तीखे विवाद एक बार पुन: सुर्खियों में आ गए हैं। तत्कालीन नियंत्रक महालेखा-परीक्षक,विनोद राय की रिपोर्ट वास्तव में विस्फोटक थी,जब उन्होंने अंकित किया कि कोयला खदानों को बिना नीलामी से आवंटित करने से देश को एक लाख छयासी हजार करोड़ रुपए का अनुमान है। संभवतया यह रिपोर्ट कांग्रेस पार्टी की लोकसभा चुनावों में जबर्दस्त पराजय का कारण रही। तत्कालीन नियंत्रक महालेखा-परीक्षक को अप्रत्याशित आलोचना का शिकार होना पड़ा। कांग्रेस का कथन था कि नियंत्रक महालेखा-परीक्षक केवल एक बड़ा लेखाकार है,जिसे नीति संबंधी निर्णयों की विवेचना करने का कोई अधिकार नहीं है। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल,चिदम्बरम,सलमान खुर्शीद,जो जाने-माने विधिवेत्ता है,ने यह प्रमाणित करने का असफल प्रयास किया कि इससे सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है। भारतीय जनता पार्टी ने अत्यंत आक्रामक रुख अपनाते हुए देश की आजादी के पश्चात सबसे बड़े घोटाले की संज्ञा दी।
परंतु अब राजनैतिक बहस बेमानी है। वित्त विशेषज्ञों व ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुमान अनावश्यक है। अब आंकड़े देश के समक्ष है, जिसे कांग्रेस के शीर्ष विधिवेत्ता भी नकार नहीं सकते है। जब केवल 17 कोयला खदानों से करीब एक लाख करोड़ रुपए की आय हो चुकी है,तो सहज ही कहा जा सकता है कि कुल आय दस लाख करोड़ रुपए से अधिक होगी। यह आंकड़ा नियंत्रक महालेखा-परीक्षक के अनुमान,जिनकी प्रबल आलोचना हुई थी, से कई गुना अधिक है।
मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि वर्षों पहले जो प्रस्ताव मैंने कोयला सचिव की हैसियत से प्रधानमंत्री को प्रस्तुत किया था(कोयला मंत्रालय का भार भी उस समय डॉ॰ मनमोहनसिंह के पास था),उसकी जबर्दस्त पुष्टि हुई है। आज से करीब ग्यारह साल पहले मैंने यह नोट प्रस्तुत किया था कि विवेक के अधीन कोयला खदानों के आवंटन में पारदर्शिता के अभाव की संभवना होती है। आवंटी को अप्रत्याशित आय होती है तथा सरकार को उसी अनुपात में आय से वंचित रहना पड़ता है। इसलिए सभी कोयला खदानों का आवंटन सार्वजनिक नीलामी के आधार पर किए जाने चाहिए। कोई भी चतुर राजनेता ऐसे विवेक के अधिकार को अपने हाथ से नहीं जाने देगा, परंतु डॉ॰ मनमोहनसिंह,जिनकी छबि सर्वविदित है,ने मेरे प्रस्ताव को बिना ना-नुकर के तत्काल अनुमोदन कर दिया। यह देश का दुर्भाग्य है कि भ्रष्ट राजनैतिक दबावों के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री अपना निर्णय लागू नहीं करवा सके।   
नियंत्रक महालेखा-परीक्षक,विनोद राय ने मेरे प्रस्ताव से पूर्ण सहमति जताई तथा उन्होंने माना कि उनकी रिपोर्ट में अप्रत्याशित लाभ(विंडफाल गेन) का उल्लेख मेरे प्रधानमंत्री को प्रस्तुत किए गए मेरे नोट से लिया था। मेरे उक्त नोट के करीब दस साल बाद सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जी॰एस॰ सिंघवी का ऐतिहासिक निर्णय आया कि सरकार द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का निस्तारण सार्वजनिक नीलामी से ही किया जाना चाहिए। इसके कुछ समय पश्चात मुख्य न्यायाधीश आर॰एम॰लोढ़ा का धमाकेदार निर्णय आया। इस निर्णय ने सरकार को कोयला खदानों का आवंटन सार्वजनिक नीलामी द्वारा करने के लिए बाध्य कर दिया।
पिछले वर्ष मैंने मेरी पुस्तक "क्रूसेडर ऑर कोन्स्पिरेटर: कोलगेट एंड अदर ट्रुथ" में यह स्पष्ट उल्लेख किया था कि देश की आर्थिक विकास की गति को देखते हुए संभवतया सार्वजनिक नीलामी से सरकार की आय नियंत्रक महालेखा-परीक्षक के अनुमान से अधिक होने की संभावना है।
हमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की किसी भी कोशिश का पूर-ज़ोर विरोध होता है। कोयला आवंटन में नीलामी का विरोध इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। परंतु मौजूदा नीलामी की प्रक्रिया के पश्चात यह दृढ़तापूर्वक कहा जा सकता है कि कोयला खदान के आवंटन में भ्रष्टाचार का अध्याय अब सदा सर्वदा के लिए समाप्त हो चुका है। अब कोई भी सरकार आए,सार्वजनिक नीलामी द्वारा आवंटन से पीछे नहीं हट सकती है। सामान्यतया यह नीति संबंधी निर्णय केंद्र सरकार द्वारा वर्षों पहले लिया जाना चाहिए था, परंतु यह संतोष का विषय है कि यह नीति संबंधी निर्णय हमारी न्यायपालिका की दूरदृष्टि व सूझ-बूझ के कारण लिया जा सका है।
  नियंत्रक महालेखा-परीक्षक की इस विषय संबंधी पूरी रिपोर्ट का आधार कोयला सचिव की हैसियत से मेरा नोट था। मुझे इस बात की खुशी है कि कुछ समय पूर्व के मेरे प्रस्ताव के फलस्वरूप देश को कोयला आवंटन द्वारा अप्रत्याशित लाभ हो रहा है।    

1 comment:

prakash said...

mr. roy has given a historical note for this and apex court also gave order to central govt for auction all mines of coal on open market and now result shows that mr. roy was totally right . in fact india is country of gold it has hidden lot of gold in their under the land only system must be clear that how we cash it for all indian citizens and its development .