परंपरागत भारतीय ज्ञान-विज्ञान के संरक्षण में भारतीय भाषाएँ महती
भूमिका निभा सकती हैं -
डॉ. सी. जय शंकर बाबु
क्षेत्रीय
सिद्ध अनुसंधान संस्थान, पुदुच्चेरी में दि.24.9.2013 को राजभाषा हिंदी सप्ताह का समापन
समारोह सुसंपन्न हुआ । समारोह की अध्यक्षता
संस्थान प्रभारी अनुसंधान अधिकारी डॉ. जे. अन्नताई ने की । मुख्य अतिथि के रूप में पांडिच्चेरी केंद्रीय विश्वविद्यालय
के सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. सी. जय शंकर बाबु उपस्थित थे । इस अवसर पर अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि प्रशासन
की भाषा के रूप में राजभाषा का जो महत्व है, उससे बढ़कर शिक्षा व अनुसंधान की भाषा के
रूप में उसकी विशिष्ट भूमिका है । परंपरागत
भारतीय ज्ञान-विज्ञान के संरक्षण में सभी भारतीय भाषाएँ महती भूमिका निभा सकती हैं
। हिंदी के माध्यम से ऐसे ज्ञान का प्रसार
हो तो अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद होकर ज्ञान के विस्तार की संभावना बढ़ सकती है । हिंदी में सिद्ध चिकित्सा तकनीकों की जानकारी मिल
जाने से देश-विदेश के कई लोग लाभान्वित हो सकते हैं । भारतीय संविधान में भाषाई संरक्षण की नीति और भारतीय
भाषाओं के विकास की संकल्पना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान के प्रसार
में भारतीय भाषाओं का बड़ा योगदान हो सकता है ।
उन्होंने इस अवसर पर सिद्ध चिकित्सा से जुड़े चिकित्सकों तथा अनुसंधान अधिकारियों
से अपील की कि विकसित सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए भारतीय भाषाओं में इस चिकित्सा
ज्ञान को लोक प्रियता दिलवाने का प्रयास करें जो गरीब लोगों के लिए भी यह चिकित्सा
सुविधा सस्ते मूल्यों में संभव है ।
संस्थान की प्रभारी डॉ. जे. अन्नताई ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य सभी अधिकारियों से अपील की कि वे उत्साह से हिंदी सीखकर कार्यालय के प्रशासनिक कामकाज के साथ-साथ अनुसंधान के परिणामों के प्रचार-प्रसार में भी इसका उपयोग करें । समारोह में स्वागत भाषण सिद्ध अनुसंधान अध्येता डॉ. विजय कुमार ने दिया । उन्होंने कहा कि हिंदी सरल भाषा है और सरकारी कामकाज में इसका प्रयोग करना सभी सरकारी कर्मचारियों का दायित्व है । समारोह का संचालन संस्थान के चेन्नई केंद्र के हिंदी अनुवादक शेख अनवर बाबू ने किया और हिंदी कार्यान्वयन में प्रगति संबंधी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और सबसे अनुरोध किया कि दैनिक कामकाज में हिंदी का प्रयोग करें ।
इस अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को नकद पुरस्कारों का वितरण किया गया । कार्यक्रम में अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ।
संस्थान की प्रभारी डॉ. जे. अन्नताई ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य सभी अधिकारियों से अपील की कि वे उत्साह से हिंदी सीखकर कार्यालय के प्रशासनिक कामकाज के साथ-साथ अनुसंधान के परिणामों के प्रचार-प्रसार में भी इसका उपयोग करें । समारोह में स्वागत भाषण सिद्ध अनुसंधान अध्येता डॉ. विजय कुमार ने दिया । उन्होंने कहा कि हिंदी सरल भाषा है और सरकारी कामकाज में इसका प्रयोग करना सभी सरकारी कर्मचारियों का दायित्व है । समारोह का संचालन संस्थान के चेन्नई केंद्र के हिंदी अनुवादक शेख अनवर बाबू ने किया और हिंदी कार्यान्वयन में प्रगति संबंधी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और सबसे अनुरोध किया कि दैनिक कामकाज में हिंदी का प्रयोग करें ।
इस अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को नकद पुरस्कारों का वितरण किया गया । कार्यक्रम में अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ।
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