Monday, May 23, 2011

कविता - हिंदी का अभिवंदन

हिंदी का अभिवंदन


-डॉ.एस. बशीर, चेन्नै


वीणा का नाद है

वाणी का वाद है

सब का आकर्षण है

राष्ट्र की शान है


समाज का दर्पण है

साहित्य का सृजन है

ज्ञान की धरा है

सब ने इसे वारा है -ये हिंदी है

विनय की भाषा है

संस्कृति की परिभाषा है

आत्मा का निवेदन है

दिलों की धड़कन है-ये हिंदी है



सब वाकिफ़ हैं इसकी गरिमा

विश्व में यह भाषा सरताज है

इस का भविष्य है बड़ा उज्ज्वल

करते हैं इस भाषा का शत-शत

अभिवंदन

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