Friday, April 23, 2010

कण्णूर नराकास के तत्वावधान में दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रीय राजभाषा संगोष्ठी का शुभारंभ










कण्णूर, दि.23.4.2010 - कण्णूर नराकास के तत्वावधान में दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रीय राजभाषा संगोष्ठी का उद्घाटन होटल मलबार रेसीडेन्सी, कण्णूर में राजभाषा विभाग के निदेशक (कार्यान्वयन एवं अनुसंधान) श्री रमेशबाबू अणियेरी के करकमलों से संपन्न हुआ । उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता सिंडिकेट बैंक प्रधान कार्यालय, मणिपाल के उप महाप्रबंधक (का – राभा) ने की । केंद्रीय विद्यालय, कण्णूर के छात्र-छात्राओं के द्वारा भक्तिमय सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । नराकास कण्णूर के अध्यक्ष एवं सिंडिकेट बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय, कण्णूर के सहायक महाप्रबंधक श्री वी पी गोपालकृष्णन नायर जी के स्वागत वचनों तथा सदस्य-सचिव श्री गंगाधर तिवारी के संचालन में उद्घाटन सत्र का आरंभ हुआ ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रमेश बाबू अणियेरी ने अपने उद्घाटन भाषण में राजभाषा विभाग की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला । राजभाषा कार्यान्वयन के लिए किए गए प्रावधानों के आलोक में व्यावहारिक कार्यान्वयन की दिशा में कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय में कंप्यूटर में हिंदी के प्रयोग के संबंध में दायर विविध मामलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज कंप्यूटर का युग है, अतः कंप्यूटर पर हिंदी के प्रयोग पर बल दिया जाना जरूरी है और हिंदी से संबंद्ध अधिकारी इसके समस्त तकनीकों से परिचित होना आवश्यक है । सूचना अधिकार अधिनियम के आलोक में राजभाषा कार्यान्यन की रिपोर्टों की आंकडों की जानकारी की मांग भी की जा रही है, अतः इनकी सच्चाई एवं वास्तविकता की ओर ध्यान देना आवश्यक है ।
सिंडिकेट बैंक मुख्यालय के उप महाप्रबंधक श्री एच एन विश्वेश्वर ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वक्तव्य दिया कि भारत में कुल 281 नराकास जिनमें 111 ग क्षेत्र में है, राजभाषा के अलख जगा रहे हैं और ये समितियाँ राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं । उन्होंने आह्वान दिया कि राजभाषा कार्यान्वयन की दिशा में हम दो कदम ही सही, अच्छे एवं सच्चे ढंग से बढ़ाएँ ।
पूर्वाह्न का चर्चा-सत्र का आरंभ क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, कोच्चिन के उप निदेशक (कार्यान्वन) डॉ. वी. बालकृष्णन के द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन पर समीक्षात्मक भाषण के साथ आरंभ हुआ । उन्होंने राजभाषा कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें हिंदी का नहीं मगर हिंदी में काम करना है । कण्णूर नराकास की ओर से आयोजित इस संगोष्ठी में चर्चा के दौरान जिक्र होनेवाली तमाम समस्याओं की रिपोर्ट उच्च स्तरीय समितियों और मंचों तक पहुँचाकर राजभाषा कार्यान्वयन की समस्याओं के लिए समाधान ढूँढने का प्रयास किया जाना चाहिए ।
कण्णूर नराकास के तत्वावधान में दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रीय राजभाषा संगोष्ठी संपन्न
कण्णूर, दि.23.4.2010 - कण्णूर नराकास के तत्वावधान में दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रीय राजभाषा संगोष्ठी का उद्घाटन होटल मलबार रेसीडेन्सी, कण्णूर में राजभाषा विभाग के निदेशक (कार्यान्वयन एवं अनुसंधान) श्री रमेशबाबू अणियेरी के करकमलों से संपन्न हुआ । दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के नराकासों के अध्यक्षों, सदस्य-सचिवों, विभिन्न कार्यालयों के हिंदी अधिकारी आदि उपस्थित संगोष्ठी का उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता सिंडिकेट बैंक प्रधान कार्यालय, मणिपाल के उप महाप्रबंधक (का – राभा) ने की । केंद्रीय विद्यालय, कण्णूर के छात्र-छात्राओं के द्वारा भक्तिमय सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । नराकास कण्णूर के अध्यक्ष एवं सिंडिकेट बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय, कण्णूर के सहायक महाप्रबंधक श्री वी पी गोपालकृष्णन नायर जी के स्वागत वचनों तथा सदस्य-सचिव श्री गंगाधर तिवारी के संचालन में उद्घाटन सत्र का आरंभ हुआ ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रमेश बाबू अणियेरी ने अपने उद्घाटन भाषण में राजभाषा विभाग की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला । राजभाषा कार्यान्वयन के लिए किए गए प्रावधानों के आलोक में व्यावहारिक कार्यान्वयन की दिशा में कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय में कंप्यूटर में हिंदी के प्रयोग के संबंध में दायर विविध मामलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज कंप्यूटर का युग है, अतः कंप्यूटर पर हिंदी के प्रयोग पर बल दिया जाना जरूरी है और हिंदी से संबंद्ध अधिकारी इसके समस्त तकनीकों से परिचित होना आवश्यक है । सूचना अधिकार अधिनियम के आलोक में राजभाषा कार्यान्यन की रिपोर्टों की आंकडों की जानकारी की मांग भी की जा रही है, अतः इनकी सच्चाई एवं वास्तविकता की ओर ध्यान देना आवश्यक है ।
सिंडिकेट बैंक मुख्यालय के उप महाप्रबंधक श्री एच एन विश्वेश्वर ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वक्तव्य दिया कि भारत में कुल 281 नराकास जिनमें 111 ग क्षेत्र में है, राजभाषा के अलख जगा रहे हैं और ये समितियाँ राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं । उन्होंने आह्वान दिया कि राजभाषा कार्यान्वयन की दिशा में हम दो कदम ही सही, अच्छे एवं सच्चे ढंग से बढ़ाएँ ।
पूर्वाह्न का चर्चा-सत्र का आरंभ क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, कोच्चिन के उप निदेशक (कार्यान्वन) डॉ. वी. बालकृष्णन के द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन पर समीक्षात्मक भाषण के साथ आरंभ हुआ । उन्होंने राजभाषा कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें हिंदी का नहीं मगर हिंदी में काम करना है । कण्णूर नराकास की ओर से आयोजित इस संगोष्ठी में चर्चा के दौरान जिक्र होनेवाली तमाम समस्याओं की रिपोर्ट उच्च स्तरीय समितियों और मंचों तक पहुँचाकर राजभाषा कार्यान्वयन की समस्याओं के लिए समाधान ढूँढने का प्रयास किया जाना चाहिए ।
अपराह्न के सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य-सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कोयंबत्तूर ने भाषाई कंप्यूटिंग के लिए उपलब्ध संसाधनों तथा कंप्यूटर पर यूनिकोड के पवरपाइंट प्रस्तुति के साथ व्याख्यान दिया तथा प्रतिभागियों के प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं की संतुष्टि की । सिंडिकेट बैक मुख्यालय मुख्य प्रबंधक (राभा) के डॉ. श्यामकिशोर पांडेय ने राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन में वास्तविक समस्याएं एवं व्यावहारिक समाधान विषयक प्रपत्र का वाचन किया । चेन्नई नराकास की सदस्य-सचिव श्रीमती राधा रामकृष्णन तथा तिरुवनंतपुरम नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की सदस्य-सचिव श्रीमती विशालक्ष्मी ने अपने-अपने नराकास की गतिविधियों की जानकारी एवं उपलब्धियों का ब्यौरा दिया । तदनंतर केंद्रीय विद्यालय के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति आकर्षक रहा । नराकास, कण्णूर के सदस्य-सचिव श्री गंगाधर तिवारी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ संगोष्ठी सुसंपन्न हुई ।

1 comment:

प्रभुदास विपुल सेन / Prabhudas Vipul Sen said...

श्रीमान,

आपका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है I मेरा साधुवाद स्वीकार करें I वैसे मेरा कविताओं का चैनल भी राजभाषा को समर्पित है कृपया हास्य व्यंग्य एवं श्रंगार हेतु अवश्य देखें I
धन्यवाद I
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