श्रीरामरक्षास्तोत्र (संस्कृत मूल)
.. ॐ श्रीगणेशाय नमः ..
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमंत्रस्य . बुधकौशिक ऋषिः .
श्रीसीतारामचंद्रो देवता . अनुष्टुप् छंदः .
सीता शक्तिः . श्रीमद् हनुमान कीलकम् .
श्रीरामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ..
.. अथ ध्यानम् ..
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थम् .
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् .
वामांकारूढ सीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभम् .
नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामंडनं रामचंद्रम् ..
.. इति ध्यानम् ..
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् .
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् .. १..
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् .
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम् .. २..
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् .
स्वलीलया जगत्रातुं आविर्भूतं अजं विभुम् .. ३..
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् .
शिरोमे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः .. ४..
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियश्रुती .
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः .. ५..
जिव्हां विद्यानिधिः पातु कंठं भरतवंदितः .
स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः .. ६..
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित् .
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः .. ७..
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः .
ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत् .. ८..
जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः .
पादौ बिभीषणश्रीदः पातु रामोखिलं वपुः .. ९..
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् .
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् .. १०..
पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः .
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः .. ११..
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् .
नरो न लिप्यते पापैः भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति .. १२..
जगजैत्रैकमंत्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् .
यः कंठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः .. १३..
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् .
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम् .. १४..
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षांमिमां हरः .
तथा लिखितवान् प्रातः प्रभुद्धो बुधकौशिकः .. १५..
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् .
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान् स नः प्रभुः .. १६..
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ .
पुंडरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ .. १७..
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ .
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ .. १८..
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् .
रक्षः कुलनिहंतारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ .. १९..
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ .
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम् .. २०..
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा .
गच्छन्मनोरथोस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः .. २१..
रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली .
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघुत्तमः .. २२..
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः .
जानकीवल्लभः श्रीमान् अप्रमेय पराक्रमः .. २३..
इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः .
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशयः .. २४..
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् .
स्तुवंति नामभिर्दिव्यैः न ते संसारिणो नरः .. २५..
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् .
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् .
राजेंद्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिम् .
वंदे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् .. २६..
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे .
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः .. २७..
श्रीराम राम रघुनंदन राम राम .
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम .
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम .
श्रीराम राम शरणं भव राम राम .. २८..
श्रीरामचंद्रचरणौ मनसा स्मरामि .
श्रीरामचंद्रचरणौ वचसा गृणामि .
श्रीरामचंद्रचरणौ शिरसा नमामि .
श्रीरामचंद्रचरणौ शरणं प्रपद्ये .. २९..
माता रामो मत्पिता रामचंद्रः .
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्रः .
सर्वस्वं मे रामचंद्रो दयालुः .
नान्यं जाने नैव जाने न जाने .. ३०..
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा .
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनंदनम् .. ३१..
लोकाभिरामं रणरंगधीरम् .
राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् .
कारुण्यरूपं करुणाकरं तम् .
श्रीरामचंद्रम् शरणं प्रपद्ये .. ३२..
मनोजवं मारुततुल्यवेगम् .
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् .
वातात्मजं वानरयूथमुख्यम् .
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये .. ३३..
कूजंतं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम् .
आरुह्य कविताशाखां वंदे वाल्मीकिकोकिलम् .. ३४..
आपदां अपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् .
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् .. ३५..
भर्जनं भवबीजानां अर्जनं सुखसम्पदाम् .
तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम् .. ३६..
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे .
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः .
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहम् .
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर .. ३७..
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे .
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने .. ३८..
इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ..
.. श्रीसीतारामचंद्रार्पणमस्तु ..
हिंदी अनुवाद - आचार्य संजीव सलिल
ॐ
श्री राम रक्षा स्तोत्र
विनियोग
श्री गणेश-विघ्नेश्वर, रिद्धि-सिद्धि के नाथ .
चित्र गुप्त लख चित्त में, नमन करुँ नत माथ.
ऋषि बुधकौशिक रचित यह, रामरक्षास्तोत्र.
दोहा रच गाये सलिल, कायथ कश्यप गोत्र.
कीलक हनुमत, शक्ति सिय, देव सिया-श्री राम.
जाप और विनियोग यह, स्वीकारें अभिराम.
ध्यान
दीर्घबाहु पद्मासनी, हों धनु-धारि प्रसन्न.
कमलाक्षी पीताम्बरी, है यह भक्त प्रपन्न.
नलिननयन वामा सिया, अद्भुत रूप-सिंगार.
जटाधरी नीलाभ प्रभु, ध्याऊँ हो बलिहार.
श्री गणेश-विघ्नेश्वर, रिद्धि-सिद्धि के नाथ .
चित्र गुप्त लख चित्त में, नमन करुँ नत माथ.
ऋषि बुधकौशिक रचित यह, रामरक्षास्तोत्र.
दोहा रच गाये सलिल, कायथ कश्यप गोत्र.
कीलक हनुमत, शक्ति सिय, देव सिया-श्री राम.
जाप और विनियोग यह, स्वीकारें अभिराम.
ध्यान
दीर्घबाहु पद्मासनी, हों धनु-धारि प्रसन्न.
कमलाक्षी पीताम्बरी, है यह भक्त प्रपन्न.
नलिननयन वामा सिया, अद्भुत रूप-सिंगार.
जटाधरी नीलाभ प्रभु, ध्याऊँ हो बलिहार.
श्री रघुनाथ-चरित्र का, कोटि-कोटि विस्तार.
एक-एक अक्षर हरे, पातक- हो उद्धार. १.
नीलाम्बुज सम श्याम छवि, पुलिनचक्षु का ध्यान.
करुँ जानकी-लखन सह, जटाधारी का गान.२
खड्ग बाण तूणीर धनु, ले दानव संहार.
करने भू-प्रगटे प्रभु, निज लीला विस्तार. ३
स्तोत्र-पाठ ले पाप हर, करे कामना पूर्ण.
राघव-दशरथसुत रखें, शीश-भाल सम्पूर्ण. ४
कौशल्या-सुत नयन रखें, विश्वामित्र-प्रिय कान.
मख-रक्षक नासा लखें, आनन् लखन-निधान. ५
विद्या-निधि रक्षे जिव्हा, कंठ भरत-अग्रज.
स्कंध रखें दिव्यायुधी, शिव-धनु-भंजक भुज. ६
कर रक्षे सीतेश-प्रभु, परशुराम-जयी उर,
जामवंत-पति नाभि को, खर-विध्वंसी उदर. ७
अस्थि-संधि हनुमत प्रभु, कटि- सुग्रीव-सुनाथ.
दनुजान्तक रक्षे उरू, राघव करुणा-नाथ. ८
दशमुख-हन्ता जांघ को, घुटना पुल-रचनेश.
विभीषण-श्री-दाता पद, तन रक्षे अवधेश. ९
राम-भक्ति संपन्न यह, स्तोत्र पढ़े जो नित्य.
आयु, पुत्र, सुख, जय, विनय, पाए खुशी अनित्य.१०
वसुधा नभ पाताल में, विचरें छलिया मूर्त.
राम-नाम-बलवान को, छल न सकें वे धूर्त. ११
रामचंद्र, रामभद्र, राम-राम जप राम.
पाप-मुक्त हो, भोग सुख, गहे मुक्ति-प्रभु-धाम. १२
रामनाम रक्षित कवच, विजय-प्रदाता यंत्र.
सर्व सिद्धियाँ हाथ में, है मुखाग्र यदि मन्त्र.१३
पविपंजर पवन कवच, जो कर लेता याद.
आज्ञा उसकी हो अटल, शुभ-जय मिले प्रसाद.१४
शिवादेश पा स्वप्न में, रच राम-रक्षा स्तोत्र.
बुधकौशिक ऋषि ने रचा, बालारुण को न्योत. १५
कल्प वृक्ष, श्री राम हैं, विपद-विनाशक राम.
सुन्दरतम त्रैलोक्य में, कृपासिंधु बलधाम. १६
रूपवान, सुकुमार, युव, महाबली सीतेंद्र.
मृगछाला धारण किये, जलजनयन सलिलेंद्र. १७.
राम-लखन, दशरथ-तनय, भ्राता बल-आगार.
शाकाहारी, तपस्वी, ब्रम्हचर्य-श्रृंगार. १८
सकल श्रृष्टि को दें शरण, श्रेष्ठ धनुर्धर राम.
उत्तम रघु रक्षा करें, दैत्यान्तक श्री राम. १९
धनुष-बाण सोहे सदा, अक्षय शर-तूणीर.
मार्ग दिखा रक्षा करें, रामानुज-रघुवीर. २०
राम-लक्ष्मण हों सदय, करें मनोरथ पूर्ण.
खड्ग, कवच, शर,, चाप लें, अरि-दल के दें चूर्ण. २१
रामानुज-अनुचर बली, राम दाशरथ वीर.
काकुत्स्थ कोसल-कुँवर, उत्तम रघु, मतिधीर. २२
सीता-वल्लभ श्रीवान, पुरुषोतम, सर्वेश.
अतुलनीय पराक्रमी, वेद-वैद्य यज्ञेश. २३
प्रभु-नामों का जप करे, नित श्रद्धा के साथ.
अश्वमेघ मख-फल मिले, उसको दोनों हाथ.२४
पद्मनयन, पीताम्बरी, दूर्वा-दलवत श्याम.
नाम सुमिर ले 'सलिल' नित, हो भव-पार सुधाम. २५
गुणसागर, सौमित्राग्रज, भूसुतेश श्रीराम.
दयासिन्धु काकुत्स्थ हैं, भूसुर-प्रिय निष्काम. २६ क
अवधराज-सुत, शांति-प्रिय, सत्य-सिन्धु बल-धाम.
दशमुख-रिपु, रघुकुल-तिलक, जनप्रिय राघव राम. २६ख
रामचंद्र, रामभद्र, रम्य रमापति राम.
रघुवंशज कैकेई-सुत, सिय-प्रिय अगिन प्रणाम. २७
रघुकुलनंदन राम प्रभु, भरताग्रज श्री राम.
समर-जयी, रण-दक्ष दें, चरण-शरण श्री धाम.२८
मन कर प्रभु-पद स्मरण, वाचा ले प्रभु-नाम.
शीश विनत पद-पद्म में, चरण-शरण दें राम.२९
मात-पिता श्री राम हैं, सखा-सुस्वामी राम.
रामचंद्र सर्वस्व मम, अन्य न जानूं नाम. ३०
लखन सुशोभित दाहिने, जनकनंदिनी वाम.
सम्मुख हनुमत पवनसुत, शतवंदन श्री राम.३१
जन-मन-प्रिय, रघुवीर प्रभु, रघुकुलनायक राम.
नयनाम्बुज करुणा-समुद, करुनाकर श्री राम. ३२
मन सम चंचल पवनवत, वेगवान-गतिमान.
इन्द्रियजित कपिश्रेष्ठ दें, चरण-शरण हनुमान. ३३
काव्य-शास्त्र आसीन हो, कूज रहे प्रभु-नाम.
वाल्मीकि-पिक शत नमन, जपें प्राण-मन राम. ३४
हरते हर आपद-विपद, दें सम्पति, सुख-धाम.
जन-मन-रंजक राम प्रभु, हे अभिराम प्रणाम. ३५
राम-नाम-जप गर्जना, दे सुख-सम्पति मीत.
हों विनष्ट भव-बीज सब, कालदूत भयभीत. ३६
दैत्य-विनाशक, राजमणि, वंदन राम रमेश.
जयदाता शत्रुघ्नप्रिय, करिए जयी हमेश. ३७ क
श्रेष्ठ न आश्रय राम से, 'सलिल' राम का दास.
राम-चरण-मन मग्न हो, भव-तारण की आस. ३७ ख
विष्णुसहस्त्रनाम सम, पावन है प्रभु-नाम
रमे राम के नाम में, सलिल-साधना राम. ३८
मुनि बुधकौशिक ने रचा, श्री रामरक्षास्तोत्र..
सिया-राम-चरणार्पित, भव-भक्तिमय ज्योत.
'शांति-राज'-हित यंत्र है, श्री रामरक्षास्तोत्र.३९
आशा होती पूर्ण हर, प्रभु हों सत्य सहाय.
तुहिन श्वास हो नर्मदा, मन्वंतर गुण गाय.. ४०
राम-कथा मंदाकिनी, रामकृपा राजीव.
राम-नाम जप दे दरश, राघव करुणासींव. ४१
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