और काबा में राम देखिये
- श्यामल सुमन
विश्व बना है ग्राम देखिये
है साजिश, परिणाम देखिये
होती खुद की जहाँ जरूरत
छू कर पैर प्रणाम देखिये
सेवक ही शासक बन बैठा
पिसता रोज अवाम देखिये
दिखते हैं गद्दी पर कोई
किसके हाथ लगाम देखिये
और कमण्डल चोर हाथ में
लिए तपस्वी जाम देखिये
बीते कल के अखबारों सा
रिश्तों का अन्जाम देखिये
वफा, मुहब्बत भी बाजारू
मुस्कानों का दाम देखिये
धीरे धीरे देश के अन्दर
सुलग रहा संग्राम देखिये
चाह सुमन की पुरी में अल्ला
और काबा में राम देखिये
श्यामल सुमन
09955373288
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1 comment:
बेहतरीन रचना!!बहुत बढिया!!
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