मूल शंकर शर्मा की स्मृति में सम्मान प्रारंभ
पोखरा । ख्यात भाषाविद् और हिन्दी संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान प्रोफेसर डॉ. मूल
शंकर शर्मा की स्मृति में भाषा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले
रचनाकार को प्रतिवर्ष 'विन्ध्य सृजन सम्मान' से विभूषित किया जायेगा । यह
घोषणा वरिष्ठ पत्रकार व लेखक विजय शकंर चतुर्वेदी ने सृजनगाथा द्वारा नेपाल
में आयोजित दसवें अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मलेन में की ।
सम्मानित रचनाकार को मीडिया एण्ड पब्लिकेसन ग्रुप 'विन्ध्य न्यूज़ नेटवर्क'
द्वारा अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में 11 हज़ार रूपये, स्वर्ण सम्मान
पत्र व अंगवस्त्रम् प्रदान किया जायेगा ।
डॉ मूल शंकर शर्मा मिर्ज़ापुर (उ. प्र.) के केबी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य और हिन्दी और पत्रकारिता विभाग के विभाग प्रमुख रहे । आदिवासियों की बोलियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन ने आपको देश के प्रमुख भाषाविदों की सूची में शामिल कराया । आप के निर्देशन में सैकड़ों शोध छात्रों ने भाषा में शोध किया जो आज देश के प्रमुख विश्व विद्यालयों और कालेजों में प्रोफेसर और रीडर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं ।
वर्ष 2008 में आपके निधन के बाद श्रद्धांजलि के रूप में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आपको 'विन्ध्य गौरव' के रूप में सम्मानित किया गया । पालि भाषा की आपकी पुस्तकें विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं । आपके पिता पं प्रभाशंकर संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे व पितामह पं महादेव चौबे के नेतृत्व में अविभाजित मिर्ज़ापुर का स्वतंत्रता आंदोलन लड़ा गया । आपके पितामह को पूर्वांचल का गांधी कहा जाता है । उल्लेखनीय है कि आपने अपने सेनानी पूर्वजों के नाम पर मिलने वाली सरकारी सुविधा या पेंशन नहीं ग्रहण की बल्कि अपने घर की ज़मीन (सोनभद्र, उ. प्र ) जो देश की आज़ादी के आंदोलनों की गवाह थी, लगभग पचास लाख की उस भूमि को सरकार को निःशुल्क दान कर दी जिसे सरकार ने शहीद उद्यान के रूप में विकसित किया है ।
डॉ मूल शंकर शर्मा मिर्ज़ापुर (उ. प्र.) के केबी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य और हिन्दी और पत्रकारिता विभाग के विभाग प्रमुख रहे । आदिवासियों की बोलियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन ने आपको देश के प्रमुख भाषाविदों की सूची में शामिल कराया । आप के निर्देशन में सैकड़ों शोध छात्रों ने भाषा में शोध किया जो आज देश के प्रमुख विश्व विद्यालयों और कालेजों में प्रोफेसर और रीडर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं ।
वर्ष 2008 में आपके निधन के बाद श्रद्धांजलि के रूप में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आपको 'विन्ध्य गौरव' के रूप में सम्मानित किया गया । पालि भाषा की आपकी पुस्तकें विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं । आपके पिता पं प्रभाशंकर संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे व पितामह पं महादेव चौबे के नेतृत्व में अविभाजित मिर्ज़ापुर का स्वतंत्रता आंदोलन लड़ा गया । आपके पितामह को पूर्वांचल का गांधी कहा जाता है । उल्लेखनीय है कि आपने अपने सेनानी पूर्वजों के नाम पर मिलने वाली सरकारी सुविधा या पेंशन नहीं ग्रहण की बल्कि अपने घर की ज़मीन (सोनभद्र, उ. प्र ) जो देश की आज़ादी के आंदोलनों की गवाह थी, लगभग पचास लाख की उस भूमि को सरकार को निःशुल्क दान कर दी जिसे सरकार ने शहीद उद्यान के रूप में विकसित किया है ।
No comments:
Post a Comment