Friday, November 8, 2013

प्रयोगात्मक यमकीय दोहे:

प्रयोगात्मक यमकीय दोहे:
संजीव 
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रखें नोटबुक निज नहीं, कलम माँगते रोज 
नोट कर रहे नोट पर, क्यों करिये कुछ खोज 
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प्लेट-फॉर्म बिन आ रहे, प्लेटफॉर्म पर लोग 
है चुनाव बन जायेगा, इस पर भी आयोग 
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हुई गर्ल्स हड़ताल क्यों?, पूरी कर दो माँग 
'माँग भरो' है माँग तो, कौन अड़ाये टाँग?
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एग्रीगेट* कर लीजिये, एग्रीगेट का आप 
देयक तब ही बनेगा, जब हो पूरी माप 
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फेस न करते फेस को, छिपते फिरते नित्य
बुक न करे बुक फोकटिया, पाठक सलिल अनित्य 

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सर! प्राइज़ किसको मिला, अब तो खोलें राज
सरप्राइज़ हो खत्म तो, करें शेष जो काज 


* एग्रीगेट = योग, गिट्टी

3 comments:

Rajeev Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (09-11-2013) "गंगे" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1424” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!

virendra sharma said...

प्लेट-फॉर्म बिन आ रहे, प्लेटफॉर्म पर लोग
है चुनाव बन जायेगा, इस पर भी आयोग
यमक अलंकार का सुन्दर प्रयोग। जब एक शब्द किसी पद में एक से ज्यादा बार आये और हर बार नया अर्थ लाये राहुल गांधी की तरह एक आयामी न हो तब यमक अलंकार होता है।

जैसे "सोनिया" का सोनिया- भाषण झूठ का पुलिंदा था मनरेगा को लेकर सारे आंकड़े झूठे पिरोये गए थे।सन्दर्भ छत्तीस गढ़ में सोनिया।

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर...