Sunday, February 21, 2010

काव्य संकलन 'गुंजन' का विमोचन


काव्य संकलन 'गुंजन' का विमोचन समारोह


कवि कुलवंत सिंह, मुंबई एवं श्रीमती सी. आर. राजश्री, कोयंबतूर द्वारा संपादित पुस्तक ’गुंजन’ का विमोचन समारोह मुंबई में श्री कीर्तन केंद्र, जुहू में प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री महावीर सराफ जी के कर कमलों द्वारा 2 फरवरी की संध्या को संपन्न हुआ. कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती का आवाहन करते हुए नमन कर, दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ. कार्यक्रम का संचालन देश की सुप्रसिद्ध बुद्धिजीवी, लेखिका, अध्यापक, चिंतक, संपादक (कुतुबनुमा - त्रैमासिक पत्रिका) डा. राजम नटराजम पिल्लई ने किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता की - प्रसिद्ध स्क्रिप्ट लेखक, कहानीकार श्री जगमोहन कपूर ने, जिनकी कई फिल्में सिल्वर जुबली रही हैं (नागिन, नगीना, निगाहें इत्यादि). मंच पर उपस्थित अन्य विशिष्ट सम्माननीय व्यक्तित्व थे डा. गिरिजाशंकर त्रिवेदी (पूर्व मुख्य संपादक नवनीत), शायर एवं कवि श्री खन्ना मुजफ्फरपुरी, श्री कपिल कुमार (अभिनेता, कुंडलियों के सम्राट, उनका एक गीत हंसने की चाह ने इतना मुझे रुलाया है, जिसे मन्ना डे ने गाया था, बहुत प्रसिद्ध हुआ था).
गुंजन पुस्तक की खास विशेषता यह है कि यह दक्षिण भारत के एक शहर कोयंबतूर के जी.आर. दामोदरन विज्ञान महाविद्यालय में पढ़ रहे विद्यार्थियों द्वारा लिखी रचनाओं का संकलन है. हिंदी को एक विषय के रूप में पढ़ रहे इन छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देने वाली और कोई नहीं एक दक्षिण भारतीय हिंदी अध्यापिका ही हैं. जिनका नाम है श्रीमती सी आर राजश्री; जिनकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है. छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिये एवं उनमें संवेदनशीलता को उभारने के लिये उन्होंने कालेज में एक रचनात्मक कार्यशाला आयोजित की और उनके सभी छात्रों ने इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. साथ ही कालेज के प्रिंसिपल, सलाहकार (संस्थापक) एवं विभागाध्यक्ष भी अनुशंसा के पात्र हैं जिन्होंने इस कार्यशाला के आयोजन के लिये न ही केवल राजश्री को प्रोत्साहन ही दिया अपितु सभी सुविधायें भी प्रदान कीं.
इन छात्रों की रचनात्मकता देखते ही बनती है. उनमें कई त्रुटियां होंगी पर उन्हें नज़रअंदाज करके ही हमें देखना होगा. छात्रों की संवेदनशीलता देखते ही बनती है. 66 छात्रों की रचनओं में से लगभग 13 कविताएं माँ पर हैं. माँ एक विषय नही अपितु संसार है जिसमें सभी कुछ समाहित होता है. इससे सिद्ध होता है कि हम भारतीय अपनी संस्कृति के ह्रास को लेकर दिनरात जो रोना रोते हैं वह कितना खोखला है. जब तक भारतीय माँ जिंदा है, हमारी संस्कृति बहुत ही अच्छे तरीके से सहेजी हुई है, सुरक्षित है.
विमोचन कार्यक्रम के उपरांत काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसका सुंदर संचालन विख्यात श्री कुमार जैन ने अपने निराले अंदाज में किया. कवियों ने अपनी मधुर वाणी एवं विचारों से उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया. उपस्थित प्रमुख कवि एवं विचारक थे - सर्वश्री त्रिलोचन अरोडा, नंदलाल थापर, रवि यादव, कुलदीप दीप, हरि राम चौधरी, सुरेश जैन, जयंतीलाल जैन, जवाहरलाल निर्झर, गिरीश जोशी, भजन गायक हरिश्चंद्र जी, राजेश्वर उनियाल, डा. जमील, लोचन सक्सेना, मुरलीधर पाण्डेय, डा. तारा सिंह, श्रीमती शुभकीर्ति माहेश्वरी, श्रीमती मंजू गुप्ता, श्रीमती नीलिमा पाण्डे, श्रीमती शकुंतला शर्मा, डा. सुषमा सेनगुप्ता.
कार्यक्रम के उपरांत कुलवंत सिंह ने माँ शारदा के साथ साथ सभी अतिथियों, श्रोताओं, संचालक एवं महानुभावों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया.

प्रस्तुति - कवि कुलवंत सिंह, मुंबई

1 comment:

dr s. basheer said...

हर्ष है कि दामोदर विज्ञान महाविद्यालय के 66 छात्रों में से मॉं पर लिखी गयी, 13 कविताओं को पढ़ने की जिज्ञासा हुई। इस 'सारस्‍वत कार्य केलिए गुंजन'संकलन के संपादक,लेखक व सदस्‍यों को शुभ कामनाएं देता हूं आशा है कि इसी तरह और भी संकलनों का सृजन,भविष्‍य के छात्रों केलिए प्रेरणादायक रहेंगे।