बाल कविता .
डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प
" भौंरा "
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गुन-गुन करता आता भौंरा ,
मीठी तान सुनाता भौंरा ।
फूलों के सम्मुख जा-जाकर,
अपना रंग जमाता भौंरा ।।
फूलों का रस पी-पीकर ।
मन ही मन मुस्काता भौंरा ।।
पराग चुसनें में जो माहिर ।
लोभी वह कहलाता भौंरा ।।
" अजब सलोना गाँव "
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अजब सलोना,सबसे प्यारा,
गाँव हमारा भाई ।
मस्त मगन हो पक्षी नभ में ,
उड़ रहे हैं भाई ।।
हरी घास है मखमल जैसी,
चहुँ दिशा में हरियाली ।
चहक रही है डाल-डाल पर,
कोयल काली-काली ।।
" श्री फूलेंद्र साहित्य निकेतन "
तमनार/पड़ीगाँव-रायगढ़(छ.ग.)
ई-मेल:-Pramodpushp10@gmail. com
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