Friday, November 2, 2012

सूर्यबाला को साहित्य गौरव सम्मान


सूर्यबाला को साहित्य गौरव सम्मान 





मेरी माँ का संघर्ष शायद मेरे लेखन में भी उतरा है । इसी से मेरे स्त्री पात्र स्वयं को निरीह और लाचार दिखने में विश्वास  नहीं करते ।
सुप्रसिद्ध रचनाकार सूर्यबाला ने ये विचार मुंबई की साहित्यिक संस्था "जीवंती " द्वारा "आयोजित "सूर्यबाला : व्यक्तित्व और कृतित्व " कार्यक्रम में अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में प्रगट किये ।

अपनी यादों को खंगालते हुए सूर्यबाला जी ने कहा कि अन्य लेखकों की तरह मेरे लेखन को शुरुआत भी कविताओं से ही हुई लेकिन बड़ी होने पर अपनी कहानियों के प्रकाशन के लिए मैं कथाकार कमलेश्वर की रिणी हूँ जिन्हों ने मात्र मेरी एक प्रतिक्रिया के प्रत्युत्तर  में जो प्रोत्साहन भरा पत्र मुझे भेजा उसने जादू की छड़ी का काम किया ।

वरिष्ट पत्रकार कवि कैलाश सेंगर के पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में सूर्यबाला ने कहा कि लेखक तो बना भी जा सकता है लेकिन व्यंग्यकार पैदायशी ही होता है और महिलाएं तो अपनी तानेकशी में जन्मजात व्यंग्यकार होती हैं ।

कार्यक्रम के प्रारंभ  में "जीवंती " की अध्यक्षा  एवं वरिष्ट गीत कार माया गोविन्द एवं कार्यक्रम अध्यक्ष एवं वरिष्ट पत्रकार विश्वनाथ सचदेव ने सूर्यबाला को साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया । ट्रस्टी श्रीराम गोविन्द जी ने प्रशस्ति पत्र  का वाचन किया । वरिष्ट समीक्षक डॉ करुना शंकर उपाध्याय, कथा लेखिका सुधा अरोरा तथा वरिष्ट व्यंग्यकार यग्य शर्मा ने क्रमश: सूर्यबाला के उपन्यासों, कहानियों एवं व्यंग्य रचनाओ  पर संक्षिप्त किन्तु अत्यंत सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किये ।

अध्यक्ष श्री विश्वनाथ सचदेव ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि सूर्यबाला की रचनाये जीवन के सरोकारों से जुडी हैं । उनका सम्मान, समूची रचना धर्मिता का सम्मान है । 

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में संजीव निगम ने सूर्यबाला के सशक्त व्यंग्य रचना, "हिंदी चिंतन और चिंता के आयाम" का प्रभावी पाठ प्रस्तुत किया । इस अवसर पर लेखिका की दो अन्य रचनाओ का मंचन भी किया गया जिसमे "यमराज का सामना "   की प्रस्तुति मायाजी, टीवी एवं फिल्म कलाकार अनिल सक्सेना एवं राम गोविन्द जी ने किया । दूसरा मंचन "एक पुरस्कार यात्रा" का किया गया जिसके निर्देशक आर्यन राय थे तथा कलाकारों में अभिषेक अहलुवालिया, नेहा, कल्पना, विनय यादव एवं गुजराती के हास्य कलाकार प्रवीन एवं उमेश पांडे थे ।

प्रारंभ में श्री अरविन्द राही ने सूर्यबाला जी का परिचय दिया एवं डॉ अनंत श्रीमाली ने कार्यक्रम का सञ्चालन किया । 



प्रेषक: सुचिता लाल 

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