Tuesday, November 13, 2012

दीवाली के संग : दोहा का रंग

दोहा सलिला
  दीवाली के संग : दोहा का रंग                           
                                                                                 
संजीव 'सलिल' 
*
सरहद पर दे कटा सर, हद अरि करे न  पार.
राष्ट्र-दीप पर हो 'सलिल', प्राण-दीप बलिहार..
*
आपद-विपदाग्रस्त को, 'सलिल' न जाना भूल.
दो दीपक रख आ वहाँ, ले अँजुरी भर फूल..
*
कुटिया में पाया जनम, राजमहल में मौत.
रपट न थाने में हुई, ज्योति हुई क्यों फौत??
*
तन माटी का दीप है, बाती चलती श्वास.
आत्मा उर्मिल वर्तिका, घृत अंतर की आस..
*
दीप जला, जय बोलना, दुनिया का दस्तूर.
दीप बुझा, चुप फेंकना, कर्म क्रूर-अक्रूर..
*
चलते रहना ही सफर, रुकना काम-अकाम.
जलते रहना ज़िंदगी, बुझना पूर्ण विराम.
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सूरज की किरणें करें नवजीवन संचार.
दीपक की किरणें करें, धरती का सिंगार..
*
मन देहरी ने वर लिये, जगमग दोहा-दीप.
तन ड्योढ़ी पर धर दिये, गुपचुप आँगन लीप..
*
करे प्रार्थना, वंदना, प्रेयर, सबद, अजान.
रसनिधि है रसलीन या, दीपक है रसखान..
*
मन्दिर-मस्जिद, राह-घर, या मचान-खलिहान.
दीपक फर्क न जानता, ज्योतित करे जहान..
*
मद्यप परवाना नहीं, समझ सका यह बात.
साक़ी लौ ले उजाला, लाई मरण-सौगात..
*

यह तन माटी का दिया, भर दे तेल-प्रयास।
'सलिल' प्राण-बाती जला, दस दिश धवल उजास ।।

ज्योति पर्व पर अनंत-अशेष शुभ कामनाएं 



3 comments:

Madan Mohan Saxena said...

बहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

Unknown said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति |

ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



आदरणीय संजीव 'सलिल' जी के दोहे पढ़ कर आनंद आ गया …


आपका ब्लॉग शायद पहली बार देखा है , देख कर हार्दिक प्रसन्नता हुई …
रचनाओं के लिए क्या कहूं …
यहां हर रचना सुंदर रचना है !
साधुवाद आपको !




दीवाली की रामराम के साथ
बनी रहे… त्यौंहारों की ख़ुशियां हमेशा हमेशा…
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

**♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ