Wednesday, February 8, 2012

कबीर को समझने को दिमाग नहीं दिल चाहिएः भारती बंधु


 माखनलाल विवि में व्य़ाख्यान
प्रख्यात कबीर गायक स्वामी जीसीडी भारती (भारती बंधु) का कहना है कि देश के युवा अगर नई टेक्नालाजी के साथ अगर अपने आध्यात्मिक पक्ष को भी ठीक से समझ जाए तो भारत के विश्वगुरू बनने में देर नहीं लगेगी। समस्या यह है कि हम अपनी जड़ों को भूल गए हैं। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में विद्यार्थियों से संवाद कर रहे थे। संवाद का विषय था कबीर की संचार दृष्टि। उनका कहना था कि कबीर एक जीवन दृष्टि देते हैं, इसलिए वे किताबों का विषय नहीं हैं। उन्हें समझने के लिए दिमाग नहीं, दिल की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज बाजारवाद के समय में जब आपसी प्रेम कम हो रहा है, तब कबीर बहुत प्रासंगिक हो गए हैं। उनका कहना था कि जब आज से 600 साल पहले कबीर निडर होकर अपनी बात कह सकते थे तो आज के पत्रकारों को उनसे क्यों नहीं सीखना चाहिए। समस्या यह है कि हम सच कहने से डरते हैं। कबीर इसीलिए हमें सच कहने का साहस देते हैं। उनका कहना था कि लालच और अहंकार से ही व्यक्ति लक्ष्य से भटक जाता है। युवाओं को इससे बचना होगा। उनका कहना था कि दुनिया में आज अशांति का वातावरण है, सुसंवाद नहीं हो रहा है क्योंकि शांति की तलाश हम बाहर कर रहे हैं जबकि वह हमारे भीतर है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि कबीर और रहीम जैसे कवियों की याद हमें इसलिए करनी चाहिए कि वे हमें संस्कार देते हैं। आध्यात्मिक संचार की शिक्षा और इस दिशा में अनुसंधान जरूरी है क्योंकि ये ही हमें जीने का रास्ता बताते हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार शिवअनुराग पटैरया ने कहा कि भारती बंधु को सुनना एक विरल अनुभव है और वे सही मायने में कबीर को हमारे बीच में ले आते हैं। संवाद में भारती बंधु ने छात्रों के सवालों के जबाव भी दिए। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया।


(संजय द्विवेदी)

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