Tuesday, November 16, 2010

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय प्रेस दिवस का आयोजन


पत्रकारिता में संवेदना जरूरीः रमेश शर्मा


भोपाल, 16 नवंबर,2010। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में 16 नवम्बर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्यअतिथि मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष कैलाशचंद्र पंत तथा मुख्यवक्ता वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने की।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता के सामने आज कई तरह की चुनौतियां हैं जिनसे युवा पत्रकारों को ही निपटकर रास्ता खोजना होगा। पत्रकारिता में मूल्यबोध की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता और मूल्यों की रक्षा से ही लेखन को सार्थकता मिलती है।
साहित्यकार एवं चिंतक कैलाशचंद्र पंत ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पत्रकारिता बहुत सक्षम तरीके से लड़ाई लड़ रही है। सामान्य सा पत्रकार भी अगर चाह ले तो सत्ता को सीधा संदेश दे सकता है। भ्रष्टाचार की कथाएं प्रायः पत्रकार ही सामने लेकर आते हैं। इससे समाज में पत्रकारिता के प्रति भरोसा जगता है, आरोपियों की नींद हराम होती है। उन्होंने कहा यह विश्वास हमने सालों की तपस्या से अर्जित किया है, उसे बचाए रखने की जरूरत है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने प्रेस कौंसिल को अधिकार संपन्न बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मीडिया के सामने आज चुनौतियां किसी भी समय से ज्यादा है। मीडिया में आचार संहिता की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इससे ही जनविश्वास और शुचिता की रक्षा हो सकेगी। प्रो. कुठियाला ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षाविदों, मीडिया कर्मियों और संचार क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मिलकर आचार संहिता बनाने का काम करेगा और उसे मीडिया के विचारार्थ प्रस्तुत करेगा। संचालन विश्वविद्यालय के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने तथा आभार प्रदर्शन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर वर्किग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा, रेक्टर प्रो. सी.पी. अग्रवाल, रजिस्ट्रार एस.के. त्रिवेदी, पुष्पेंद्रपाल सिंह, डा. पवित्र श्रीवास्तव, सौरभ मालवीय, डा. अविनाश वाजपेयी, डॉ. मोनिका वर्मा, डा. आरती सारंग, जया सुरजानी, लालबहादुर ओझा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

Monday, November 8, 2010

‘सरस्वती सुमन‘ के लघुकथा विशेषांक हेतु रचनाएं आमंत्रित

देहरादून से प्रकाशित ‘सरस्वती सुमन‘ के लघुकथा विशेषांक हेतु रचनाएं आमंत्रित

प्रिय महोदय,

जैसा कि आपको विदित है कि देहरादून से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका ‘सरस्वती सुमन‘ विभिन्न विषयों और विधाओं पर विशेषांक जारी कर रही है। इसी क्रम में पत्रिका का जुलाई-सितम्बर 2011 अंक ‘लघुकथा विशेषांक‘ के रूप में प्रस्तावित है। पत्रिका के संपादक डा0 आनंद सुमन सिंह जी ने लघु कथा विशेषांक के अतिथि संपादन का दायित्व मुझे सौंपा है। इस हेतु आपकी सक्रिय भागीदारी की कामना के साथ लघुकथा विशेषांक हेतु लघुकथा पर आलेख एवं चार सशक्त लघुकथाएं (संक्षिप्त परिचय व फोटोग्राफ सहित) आमंत्रित हैं। सामग्री प्राप्त होने की अंतिम तिथि 30 मई 2011 है संबंधित रचनाएं इस पते पर भेजी जायें- कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएं, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101.

व्यापक सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु कृपया इस प्रकाशन की सूचना अपने लघुकथाकार मित्रों को भी दें और यथासंभव उनकी रचनाएँ भी साथ में प्रेषित करने का कष्ट करें। पत्र-पत्रिकाओं में इस सूचना के प्रकाशन का भी अनुरोध है।

आशा है कि सरस्वती सुमन के इस लघुकथा विशेषांक हेतु आपका पूरा सहयोग मिलेगा !!

सादर,

कृष्ण कुमार यादव

Thursday, November 4, 2010

कविता - इलेक्ट्रॉनिक दिवाली

इलेक्ट्रॉनिक दिवाली

राकेश ‘नवीन’

इसे महंगाई की मार कहें, अथवा फैशन की बहार
मिट्टी के दीये पर देखें, बिजली कैसे छा गई,
अब इलेक्ट्रॉनिक दिवाली आगई !


हलवाई की मिठाई पर, हल्दीराम का प्रभाव भा गया
शुभ कामनाओं की जगह, पैकेटिया सिस्टम छा गई ।
अब इलेक्ट्रॉनिक दिवाली आगई !


लक्ष्मी की पूजा धन, धान्य, वैभव समृद्धि
मतलब झूठी निष्ठा, मिथ्वा विश्वास आडंबर को दिखला गई ।
अब इलेक्ट्रॉनिक दिवाली आगई !


घर की लक्ष्मी क्लबों में, रेस्तरा और बीयर बारों में
नाच-नाच कर, झूम-झूम कर सशक्तिकरण का असर दिखला गई ।
अब इलेक्ट्रॉनिक दिवाली आगई !


कभी बंधुत्व सौहार्द्र का यह पर्व हुआ करता था,
आज अमीर और गरीब का स्पष्ट स्पष्ट फर्क दिखला गई
अब इलेक्ट्रॉनिक दिवाली आगई !

जमींदार, महाजन सूद लेकर खून चूसा करते थे
क्रेडिट कार्ड तो उससे बढ़कर अपनी उपस्थिति दिखा गई
अब इलेक्ट्रॉनिक दिवाली आगई !

Tuesday, November 2, 2010

बाल मानस

एम.डी. सादिक, चेन्नई की दो कविताएँ


आप कर सकते हैं... लेकिन

आप बेच सकते हैं
कुछ भी
आप खो सकते हैं
कुछ भी
आप कर सकते हैं
कुछ भी
लेकिन खोना नहीं
माँ, मातृभाषा और मातृभूमि को ।

योग्यता

डॉक्टर के लिए एमबीबीएस
वकील के लिए एलएलबी
कलेक्टर-आईएएस
लेकिन एक राजनेता बनने के लिए ?

Monday, November 1, 2010

अ. भा. रचना शिविर मुक्तिबोध की कर्मस्थली में


रचनाकारों की संस्था, प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा देश के उभरते हुए कवियों/लेखकों/निबंधकारों/कथाकारों/लघुकथाकारों/ब्लॉगरों को देश के विशिष्ट और वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा साहित्य के मूलभूत सिद्धातों, विधागत विशेषताओं, परंपरा, विकास और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित कराने, उनमें संवेदना और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने, प्रजातांत्रिक और शाश्वत जीवन मूल्यों के प्रति उन्मुखीकरण तथा स्थापित लेखक तथा उनके रचनाधर्मिता से तादात्मय स्थापित कराने के लिए अ.भा.त्रिदिवसीय/रचना शिविर (18, 19, 20 दिसंबर, 2010) सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन विश्वकवि गजानन माधव मुक्तिबोध की कार्यस्थली(त्रिवेणी परिसर), राजनांदगाँव में किया जा रहा है । इस अखिल भारतीय स्तर के कार्यशाला में देश के 75 नवोदित/युवा रचनाकारों को सम्मिलित किया जायेगा ।

संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है-
प्रतिभागियों को 20 नवंबर, 2010 तक अनिवार्यतः निःशुल्क पंजीयन कराना होगा । पंजीयन फ़ार्म संलग्न है ।

प्रतिभागियों का अंतिम चयन पंजीकरण में प्राप्त आवेदन पत्र के क्रम से होगा ।
पंजीकृत एवं कार्यशाला में सम्मिलित किये जाने वाले रचनाकारों का नाम ई-मेल से सूचित किया जायेगा ।

प्रतिभागियों की आयु 18 वर्ष से कम एवं 45 वर्ष से अधिक ना हो ।

प्रतिभागियों में 5 स्थान हिन्दी के स्तरीय ब्लॉगर के लिए सुरक्षित रखा गया है ।

प्रतिभागियों को संस्थान/कार्यशाला में एक स्वयंसेवी रचनाकार की भाँति, समय-सारिणी के अनुसार अनुशासनबद्ध होकर कार्यशाला में भाग लेना अनिवार्य होगा ।

प्रतिभागी रचनाकारों को प्रतिदिन दिये गये विषय पर लेखन-अभ्यास करना होगा जिसमें वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा मार्गदर्शन दिया जायेगा ।

कार्यशाला के सभी निर्धारित नियमों का आवश्यक रूप से पालन करना होगा ।

प्रतिभागियों को सैद्धांतिक विषयों के प्रत्येक सत्र में भाग लेना अनिवार्य होगा । अपनी वांछित विधा विशेष के सत्र में वे अपनी इच्छानुसार भाग ले सकते हैं । प्रतिभागियों के आवास, भोजन, स्वल्पाहार, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह की व्यवस्था संस्थान द्वारा किया जायेगा ।

प्रतिभागियों को कार्यशाला में संदर्भ सामग्री दी जायेगी ।

प्रतिभागियों को अपना यात्रा-व्यय स्वयं वहन करना होगा ।

प्रतिभागियों को 17 दिसंबर, 2010 दोपहर 3 बजे के पूर्व कार्यशाला स्थल –त्रिवेणी परिसर/सिंधु सदन, जीई रोड, राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में अनिवार्यतः उपस्थित होना होगा । पंजीकृत/चयनित प्रतिभागी लेखकों को कार्यशाला स्थल (होटल) की जानकारी, संपर्क सूत्र आदि की सम्यक जानकारी पंजीयन पश्चात दी जायेगी ।

संपर्क सूत्र
जयप्रकाश मानस
कार्यकारी निदेशक
प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, छत्तीसगढ़
एफ-3, छगमाशिम, आवासीय परिसर, पेंशनवाड़ा, रायपुर, छत्तीसगढ – 492001
ई-मेल-pandulipipatrika@gmail.com
मो.-94241-82664
पंजीयन हेतु आवेदनपत्र नमूना
01. नाम -
02. जन्म तिथि व स्थान (हायर सेंकेंडरी सर्टिफिकेट के अनुसार) -
03. शैक्षणिक योग्यता –
04. वर्तमान व्यवसाय -
05. प्रकाशन (पत्र-पत्रिकाओं के नाम) –
06. प्रकाशित कृति का नाम –
07. ब्लॉग्स का यूआरएल – (यदि हो तो)
08. अन्य विवरण ( संक्षिप्त में लिखें)
09. पत्र-व्यवहार का संपूर्ण पता (ई-मेल सहित) –
हस्ताक्षर