Tuesday, September 28, 2010

ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी में हिंदी पखवाड़ा संपन्न




दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, क्षेत्रीय कार्यालय, कोयंबत्तूर में हिंदी पखवाड़ा का आयोजन दि.14 सितंबर से 28 सितंबर तक किया गया । हिंदी पखवाड़े का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन दि.28 सितंबर 2010 को कार्यालय परिसर में किया गया । समारोह की अध्यक्षता कंपनी के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. एम. जॉनसन ने की । प्रशासनिक अधिकारी श्री प्रवीन कुमार द्वारा प्रार्थना एवं अतिथियों के स्वागत के बाद डॉ. जानसन जी ने समारोह को संबोधित किया । उन्होंने कहा कि कार्यालय के कार्यों में मूल टिप्पण व पत्राचार को बढ़ावा देकर हमें वार्षिक कार्यक्रम के निर्धारित लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं । हिंदी प्रयोग का यह क्रम सिर्फ पखवाड़े के दौरान तक ही सीमित न रहकर इसे वर्ष पर्यंत तक अनवरत चलना चाहिए । इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. सी. गोपी शंकर ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत सरकार की राजभाषा नीति कार्यान्वयन करना हमारा दायित्व है ।

समारोह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य सचिव, कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी एक सरल, समृद्ध व सशक्त भाषा है । सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को दैनिक कामकाज में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए । सभी को क्षेत्रीय भाषा के अतिरिक्त देश की भाषा को भी सीखने का प्रयत्न करना चाहिए । जिस प्रकार कंपनी के मूल कार्यों में बेहतरीन कार्य-निष्पादन से अपने क्षेत्र को श्रेष्ठ स्थान हासिल कर पा रहे हैं, उसी तरह हिंदी कार्यान्वयन में भी समन्वित प्रयासों से प्रगति संभव है । हिंदी अधिकारी श्री प्रवीन कुमार सभी अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे दैनिक कामकाज में हिंदी का प्रयोग करते हुए लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सहयोग दें । अंत में हिंदी अधिकारी श्री प्रवीन कुमार के धन्यवाद ज्ञापन व राष्ट्रगान के साथ ही समारोह सुसंपन्न हुआ ।

Monday, September 27, 2010

सृजनात्मक लेखन कार्यशाला हेतु ब्लॉगरों से प्रविष्टि आमंत्रित

रायपुर । रचनाकारों की संस्था, प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा देश के उभरते हुए कवियों/लेखकों/निबंधकारों/कथाकारों/लघुकथाकारों/ब्लॉगरों को देश के विशिष्ट और वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा साहित्य के मूलभूत सिद्धातों, विधागत विशेषताओं, परंपरा, विकास और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित कराने, उनमें संवेदना और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने, प्रजातांत्रिक और शाश्वत जीवन मूल्यों के प्रति उन्मुखीकरण तथा स्थापित लेखक तथा उनके रचनाधर्मिता से तादात्मय स्थापित कराने के लिए अ.भा.त्रिदिवसीय (13, 14, 15 नवंबर, 2010) सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन बिलासपुर में किया जा रहा है । इस अखिल भारतीय स्तर के कार्यशाला में देश के 75 नवोदित/युवा रचनाकारों को सम्मिलित किया जायेगा ।


संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है-

प्रतिभागियों को 20 अक्टूबर, 2010 तक अनिवार्यतः निःशुल्क पंजीयन कराना होगा । पंजीयन फ़ार्म संलग्न है ।
प्रतिभागियों का अंतिम चयन पंजीकरण में प्राप्त आवेदन पत्र के क्रम से होगा ।
पंजीकृत एवं कार्यशाला में सम्मिलित किये जाने वाले रचनाकारों का नाम ई-मेल से सूचित किया जायेगा ।
प्रतिभागियों की आयु 18 वर्ष से कम एवं 40 वर्ष से अधिक ना हो ।
प्रतिभागियों में 5 स्थान हिन्दी के स्तरीय ब्लॉगर के लिए सुरक्षित रखा गया है ।
प्रतिभागियों को संस्थान/कार्यशाला में एक स्वयंसेवी रचनाकार की भाँति, समय-सारिणी के अनुसार अनुशासनबद्ध होकर कार्यशाला में भाग लेना अनिवार्य होगा ।
प्रतिभागी रचनाकारों को प्रतिदिन दिये गये विषय पर लेखन-अभ्यास करना होगा जिसमें वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा मार्गदर्शन दिया जायेगा ।
कार्यशाला के सभी निर्धारित नियमों का आवश्यक रूप से पालन करना होगा ।
प्रतिभागियों को सैद्धांतिक विषयों के प्रत्येक सत्र में भाग लेना अनिवार्य होगा । अपनी वांछित विधा विशेष के सत्र में वे अपनी इच्छानुसार भाग ले सकते हैं ।
प्रतिभागियों के आवास, भोजन, स्वल्पाहार, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह की व्यवस्था संस्थान द्वारा किया जायेगा ।
प्रतिभागियों को कार्यशाला में संदर्भ सामग्री दी जायेगी ।
प्रतिभागियों को अपना यात्रा-व्यय स्वयं वहन करना होगा ।
प्रतिभागियों को 12 नवंबर, 2010 शाम 5 बजे के पूर्व कार्यशाला स्थल - बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में अनिवार्यतः उपस्थित होना होगा । पंजीकृत/चयनित प्रतिभागी लेखकों को कार्यशाला स्थल (होटल) की जानकारी, संपर्क सूत्र आदि की सम्यक जानकारी पंजीयन पश्चात दी जायेगी ।

प्रस्तावित/संभावित विषय एवं विशेषज्ञ लेखक

दिनाँक 13 नवंबर, 2010

रचना की दुनिया – दुनिया की रचना – श्री चंद्रकांत देवताले – विश्वनाथ प्रसाद तिवारी – प्रभाकर श्रोत्रिय
रचना में यथार्थ और कल्पना – श्री राजेन्द्र यादव – नीलाभ – केदारनाथ सिंह
रचना और प्रजातंत्र – श्री अखिलेश – रघुवंशमणि – परमानंद श्रीवास्तव
रचना और भारतीयता – श्री नंदकिशोर आचार्य – श्री अरविंद त्रिपाठी – विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
रचना : महिला, दलित और आदिवासी –– सुश्री अनामिका - कात्यायनी - मोहनदास नैमिशारण्य
रचना और मनुष्यता के नये संकट - श्री विनोद शाही- श्रीप्रकाश मिश्र – सीताकांत महापात्र

दिनाँक 14 नवंबर, 2010

रचना और संप्रेषण – श्री कृष्ण मोहन – ज्योतिष जोशी – मधुरेश
शब्द, समय और संवेदना – श्री नंद भारद्वाज - श्रीभगवान सिंह – ए.अरविंदाक्षन
कविता की अद्यतन यात्रा – श्री वीरेन्द्र डंगवाल – ओम भारती - अशोक बाजपेयी
कविता - छंद और लय – श्री दिनेश शुक्ल – राजेन्द्र गौतम – डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र
कैसा गीत कैसे पाठक ? - श्री राजगोपाल सिंह – यश मालवीय – माहेश्वर तिवारी
कहानी-विषयवस्तु, भाषा, शिल्प – श्री शशांक – डॉ. परदेशीराम वर्मा – गोविन्द मिश्र

दिनाँक 15 नवंबर, 2010

कहानी की पहचान – सुश्री उर्मिला शिरीष - सूरज प्रकाश – सतीश जायसवाल
लघुकथा क्या ? लघुकथा क्या नहीं ? – श्री अशोक भाटिया – फ़ज़ल इमाम मल्लिक - बलराम
आलोचना क्यों, आलोचना कैसी? श्री शंभुनाथ – डॉ. रोहिताश्व - विजय बहादुर सिंह
ललित निबंध : कितना ललित-कितना निबंध – श्री नर्मदा प्रसाद उपा.-अष्टभुजा शुक्ल – डॉ.श्रीराम परिहार
(अंतिम नाम निर्धारण स्वीकृति/अस्वीकृति उपरांत)

संपर्क सूत्र
जयप्रकाश मानस
कार्यकारी निदेशक
प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, छत्तीसगढ़
एफ-3, छगमाशिम, आवासीय परिसर, पेंशनवाड़ा, रायपुर, छत्तीसगढ – 492001
ई-मेल-pandulipipatrika@gmail.com
मो.-94241-82664
बिलासपुर
श्री सुरेन्द्र वर्मा, मो.-94255-70751
श्री राजेश सोंथलिया, 9893048220

पंजीयन हेतु आवेदनपत्र नमूना

01. नाम -
02. जन्म तिथि व स्थान (हायर सेंकेंडरी सर्टिफिकेट के अनुसार) -
03. शैक्षणिक योग्यता –
04. वर्तमान व्यवसाय -
05. प्रकाशन (पत्र-पत्रिकाओं के नाम) –
06. प्रकाशित कृति का नाम –
07. ब्लॉग्स का यूआरएल – (यदि हो तो)
08. अन्य विवरण ( संक्षिप्त में लिखें)
09. पत्र-व्यवहार का संपूर्ण पता (ई-मेल सहित) –

हस्ताक्षर

Wednesday, September 22, 2010

कोयंबत्तूर में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 4 अक्तूबर को ....

दक्षिण भारत में हिंदी की स्थिति, गति एवं प्रगति
पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

NATIONAL SEMINAR
on
STATUS, SCOPE AND PROGRESS OF HINDI IN SOUTH INDIA

दि. 4 अक्तूबर, सोमवार 2010 * Date: October 4th, Monday 2010
कोयंबत्तूर * COIMBATORE

संयोजक / ORGANISERS
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कोयंबत्तूर
TOWN OFFICIAL LANGUAGE IMPLEMENTATION COMMITTEE, COIMBATORE
(गृह मंत्रालय, भारत सरकार / Ministry of Home Affairs, Govt. of India)
एवं / &
डॉ. जी. आर. दामोदरन विज्ञान महाविद्यालय, कोयंबत्तूर
DR. G.R. DAMODARAN COLLEGE OF SCIENCE, COIMBATORE
/ Venue :

आईटी सेमिनार हाल, डॉ. जी. आर. दामोदरन विज्ञान महाविद्यालय, कोयंबत्तूर
GRDIT Seminar Hall, Dr. G.R. Damodaran College of Science, Coimbatore-14

उद्देश्य एवं सहभागिता / Overview & Participation:

भारत के संविधान में राजभाषा, भारतीय जनमानस में राष्ट्रभाषा के रूप में दर्जा प्राप्त हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार एवं प्रयोग दक्षिण भारत में भारत की आज़ादी की पूर्व से ही होता रहा है । दक्षिण के आंध्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल एवं पांडिच्चेरी प्रदेशों में शैक्षिक, सामाजिक, साहित्यिक, आर्थिक, व्यावसायिक, वाणिज्यिक, औद्योगिक, प्रशासनिक क्षेत्रों के अलावा मीडिया एवं फिल्म क्षेत्रों में भी आज हिंदी का विस्तृत प्रचार-प्रसार के आलोक में समग्र स्थिति का जायज़ा लेने के लिए एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है ।
इस संगोष्ठी में सभी क्षेत्रों में संबद्ध अधिकारी, विद्वान, अध्यापक, शोधार्थी, उद्योगपति, साहित्यकार, पत्रकार आदि अपने मौलिक एवं शोधपरक आलेख प्रस्तुत कर सकते हैं ।

विषय / Topic - दक्षिण भारत में हिंदी की स्थिति, गति एवं प्रगति


उप विषय / Sub-topics:

दक्षिण भारत में हिंदी भाषा का प्रचार
दक्षिण भारत में शैक्षिक, प्रशासनिक आदि क्षेत्र में हिंदी की स्थिति
दक्षिण भारत में हिंदी लेखन, साहित्य एवं पत्रकारिता
आंध्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल एवं पोंडिच्चेरी में हिंदी की स्थिति संबंधित अन्य विषय

प्रपत्र प्रस्तुतीकरण के लिए सुझाव / Guidelines for Submission of Papers:

प्रपत्र मैक्रोसॉफ्ट वर्ड (.doc अथवा .docx) फाईल फार्मेट में ई-मेल द्वारा दि.28 सितंबर, 2010 तक tolicseminar@gmail.com तथा nationalhindiseminars@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं।

कंप्यूटर पर यूनिकोड फोंट (मंगल अथवा एरियल यूनिकोड) में अथवा कृतिदेव फांट का प्रयोग करके प्रपत्र तैयार किया जाना चाहिए । शीर्षकों के लिए 14 साइज़ का फांट तथा शेष सामग्री के लिए 12 साइज़ फांट का प्रयोग किया जाए । दो-लाइन स्पेस में चारों ओर कम से कम 1'' मार्जिन सहित तैयार किया जाए और पृष्ठ की एक ही तरफ मुद्रित किया जाए ।
जो ई-मेल द्वारा प्रपत्र नहीं भेज पाते हैं, वे स्पीड पोस्ट/कोरियर द्वारा प्रपत्र की मुद्रित प्रति A4 साइज़ में तथा कंप्यूटर पर अक्षरांकित सामग्री की सी.डी. भी भेज सकते हैं। प्रपत्र का शीर्षक एवं सार प्रथम पृष्ठ पर शामिल किया जाए। प्रपत्र को इस क्रम में तैयार किया जाए - शीर्षक, सार, उपशीर्षक, संदर्भ एवं परिशिष्ट । निर्धारित समय तक प्रपत्र की स्वीकृत की सूचना ई-मेल/वेबसाइट के माध्यम से दी जाएगी ।

स्वीकृत प्रपत्र पर कापीराइट तथा आयोजन समिति के द्वारा प्रकाशित किए जानेवाले संकलन में प्रपत्र को संपादित कर प्रकाशित करने का अधिकार संपादक के पास रहेगा।

प्रोजेक्टर की सुविधा / Projector Facility:
यदि आवश्यक हो, महत्वपूर्ण विषयों पर पवरपाइंट प्रस्तुतीकरण के लिए प्रोजेक्टर की सुविधा उपलब्ध रहेगी ।

पंजीकरण / Registration:

प्रपत्र प्रस्तुतकर्ता तथा अन्य सामान्य प्रतिभागियों को भी पंजीकरण फार्म भरकर दि. 28 सितंबर 2010 तक प्रस्तुत करना अपेक्षित है।

शुल्क / Fees:

प्रपत्र प्रस्तुतीकरण एवं प्रतियोगिता के लिए कोई शुल्क देय नहीं है।

मार्गव्यय / Travelling Expenses:

प्रपत्र प्रस्तुतकर्ताओं तथा सामान्य प्रतिभगियों को स्वयं अथवा अपने कार्यालय/संस्थान की ओर से मार्गव्यय की व्यवस्था करनी होगी।

आवास व्यवस्था / Accommodation:

बाहर से पधारनेवाले प्रतिभागी अपने रुकने/आवास की व्यवस्था स्वयं कर लेंगे। कोयंबत्तूर शहर के प्रमुख होटलों की सूची नराकास वेबसाइट (www.toliccbe.blogspot.com) पर उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रपत्र/पंजीकरण फार्म प्रस्तुत करने हेतु पता : / Address for submission of papers:

डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, डॉ. बालसुदरम रोड, कोयंबत्तूर - 641 018.
दूरभाष:0422-2240225 फैक्स:0422-2240140 मोबाइल:09843508506
ई-मेल:tolicseminar@gmail.com, toliccbe@gmail.com,
nationalhindiseminars@gmail.com,
महत्वपूर्ण तिथि / Important Date :

Last date for submission of Registration Forms along with abstract & final paper: 29 September, 2010.

पंजीकरण प्रपत्र - Registration Form
दक्षिण भारत में हिंदी की स्थिति, गति एवं प्रगति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
National Seminar
on STATUS, SCOPE AND PROGRESS OF HINDI IN SOUTH INDIA
October 4th, Monday 2010

नाम/Name : Prof/Dr/Mr/Ms………………………………………………………..
पदनाम/Designation :……………………………………………………………….
कार्यालय/संस्थान/Office/Institution :………………………………………………
पत्राचार का पता/ Address for correspondence :
……………………………………………………………………………………….
…………………………………………………………………………………………
पिनकोड/Pincode :…………………………….राज्य/State :………………………..
क्या प्रपत्र प्रस्तुत कर रहे हैं - जी, हाँ/जी नहीं@Whether presenting paper? – Yes/No

मोबाईल सं./Mobile No. ई-मेल/E-mail:
फैक्स सं/Fax No. दूरभाष/Telephone No.
CERTIFICATE
I certify that the research paper/article titled …………......................................................… ………………………………............................. is an original work carried out by me. It has not been published / presented elsewhere. In the event of acceptance and publication in the conference proceedings, I agree that its copyright will be automatically transferred to the Seminar Organizing Committee. I have read other details about Seminar.
हस्ताक्षर/ Signature……………………………………… दिनांक/Date …………………………..
पंजीकरण फार्म प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि : 28 सितंबर, 2010
Last date for submission of Registration Form: 28th September 2010.

Monday, September 20, 2010

हिन्दी यूएनओ की भाषा बने - अनिरूद्ध जगन्नाथ (राष्ट्रपति, मारीशस)



रायपुर। मारीशस के राष्ट्रपति श्री अनिरूद्ध जगन्नाथ ने कहा कि छत्तीसगढ़, भारत की साहित्यिक संस्था सृजन सम्मान द्वारा विश्वभर में हिन्दी के प्रचार-प्रसार, साहित्यकारों का सम्मान एवं हिन्दी की जो सेवा की जा रही है वह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषाओं में सम्मिलित करने का प्रयास करना अच्छी बात है। यह विचार उन्होंने भारत के छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक संस्था सृजन सम्मान द्वारा आयोजित साहित्यिक भ्रमण के अंतर्गत संस्था के राष्ट्रीय महासचिव एवं यात्रा संयोजक द्वय जयप्रकाश मानस एवं एच.एस.टाकुर के नेतृत्व में मारीशस पहुँचे यात्रा समूह के सदस्यों के साथ आयोजित एक बैठक में व्यक्त किए। उन्होंने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मारीशस की अर्थव्यवस्था एवं उपलब्ध सुविधाओं के बारे में भी सदस्यों से बातचीत की। इस अवसर पर मारीशस की प्रथम महिला श्रीमती सरोजनी जगन्नाथ विशेष रूप से उपस्थित थी।





तृतीय अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन बाली (इंडोनेशिया) में



बैठक के आरंभ में जयप्रकाश मानस ने पुस्तकें भेंटकर राष्ट्रपति का स्वागत किया। अपने स्वागत उद्बोधन में मानस ने व्यस्तता के बावजूद भारतीय साहित्यकारों के दल को समय देने के लिए राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्था के माध्यम से मारीशस में द्वितीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया। गतवर्ष पहला अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन थाईलैंड में किया गया था । हिन्दी दिवस के अवसर पर मारीशस के 7 वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया। उन्होंने राष्ट्रपति को अवगत कराया कि भविष्य में हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषाओं में सम्मिलित किए जाने का प्रयास जारी है और इस सिलसिले में अगले साल इंडोनेशिया (बाली) में तृतीय अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया है।



राष्ट्रपति भवन में साहित्यकारों का दल



इस अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का एक पत्र एवं बस्तर के कलाकारों द्वारा निर्मित धातु शिल्प भी राष्ट्रपति को सौंपा गया। इसके अलावा अनेक साहित्यकारों ने अपनी पुस्तकें तथा फ़िलाटेलिक सोसायटी ऑफ इंडिया की छत्तीसगढ़ इकाई की ओर से भारत के साहित्यकारों एवं अगले माह आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों पर केन्द्रित भारतीय डाक टिकटों के दो एलबम भेंट किए गए। तत्पश्चात राष्ट्रपति के साथ सदस्यों का एक फ़ोटो सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम महिला एवं बड़ी संख्या में मारीशस के शिक्षाविद एवं साहित्यकार भी सम्मिलित थे। राष्ट्रपति भवन की ओर से सदस्यों के लिए स्वल्पाहार का आयोजन भी किया गया था।

उल्लेखनीय है कि साहित्यिक संस्था सृजन सम्मान द्वारा संस्था के महासचिव जयप्रकाश मानस के नेतृत्व में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर 10 से 18 सितम्बर तक मारीशस का साहित्यिक, सांस्कृतिक पर्यटन अध्ययन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर के 61 सदस्यों ने भाग लिया।



हिन्दी का संसार एवं संसार की हिन्दी विषय पर संगोष्ठी



भ्रमण के दौरान मारीशस सरकार द्वारा गठित सांस्कृतिक प्रतिष्ठान हिन्दी स्पीकिंग यूनियन द्वारा हिन्दी दिवस पर हिन्दी का संसार एवं संसार की हिन्दी विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि थे हिन्दी के वरिष्ठ उपन्यासकार अभिमन्यु अनत और अध्यक्षता की जयप्रकाश मानस ने । द्वितीय सत्र में कृतियों का विमोचन एवं मॉरीशस के साहित्यकारों का अंलकरण कार्यक्रम आयोजित था । इस सत्र के मुख्य अतिथि थे - मारीशस के संस्कृति एवं कला मंत्री श्री मुखेश्वर शोन्नी ।



मॉरीशस के 7 साहित्यकारों को सृजनश्री अंलकरण



इस अवसर पर सृजन-सम्मान द्वारा वहाँ के वरिष्ठ 7 साहित्यकारों को सृजन-श्री अंलकरण से अलंकृत किया गया । सम्मानित साहित्यकारों को शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। जिसमें उपन्यास के लिए मारीशस के श्री अभिमन्यु अनत, कहानी के लिए प्रकारेश धुरंधर, नाटक के लिए महेश राम जीयावन, कविता के लिए पूजा नंद नेमा, महिला विमर्श के लिए भानुमति नागदान, हिन्दी सेवा के लिए स्व.मुनेश्वर लाल चिन्तामणी के अलावा महात्मा गांधी संस्थान के वरिष्ठ व्याख्याता एवं कार्यक्रम के संयोजक विनय गोदारी को सृजन श्री सम्मान से विभूषित किया गया। संगोष्ठी में भारत से मारीशस पहुँचे अनेक साहित्यकारों की पुस्तकों, पत्रिकाओं एवं गीतों के कैसेटों का विमोचन भी किया गया। इसके अलावा सदस्यों ने महात्मा गांधी संस्थान का भ्रमण किया। संस्थान के विभागाध्यक्ष एवं अन्य प्राध्यापकों ने प्रतिष्ठान की गतिविधियों की जानकारी दी। साथ ही प्रतिष्ठान द्वारा संचालित हिन्दी प्रचार अभियान के अंतर्गत नुक्कड़ नाटक का अवलोकन किया।


इस सांस्कृतिक अध्ययन दल में यात्रा संयोजक जयप्रकाश मानस एवं एच.एस.ठाकुर सहित छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग के संचालक राजीव श्रीवास्तव, राम पटवा, डॉ.सुधीर शर्मा, डॉ.जे.आर.सोनी, डॉ.महेन्द्र ठाकुर, दीपक पाचपोर, सुरेश तिवारी, चेतन भारती, संजीव ठाकुर, डॉ.निरुपमा शर्मा, डॉ.सीमा श्रीवास्तव, लतिका भावे, शकुन्तला तरार, अरूणा चौहान,अरविन्द मिश्रा, कुमेश कुमार जैन, नागेन्द्र दुबे, टामन सिंह सोनवानी, श्रीमती पदमनी सिंह, अभिषेक सोनवानी, ललित गणवीर, श्रीमती गणवीर, जी.एस.बाम्बरा, श्रीमती आर.बाम्बरा, प्रतापचंद पारख, सत्यपाल, श्रीकांत अग्रवाल, रमाकांत अग्रवाल, बिलासपुर के राजेश सोन्थलिया, रायगढ़ के सत्यदेव शर्मा, संजय तिवारी, उसत राम, भीखलाल पटेल, सुरेश पंडा, सुरेश छत्री, श्रीमती क्षत्री, अर्जुन दास, देवानी, एम.आर.ठाकुर, समुन्द सिंह, मिश्री लाल पाण्डे, राजेश तिवारी, सरायपाली के मीनकेतन दास, नागपुर महाराष्ट्र के भाषाविद डॉ.रामप्रकाश सक्सेना, हनुमन्त ठाकरे, नागेन्द्र अन्नाराव, रामदेव खुशहाल राव, बंडोपाद्ये यशवंत, नरेन्द्र दंडारे, उत्तराखण्ड नैनीताल के दिवाकर भट्ट, मध्यप्रदेश भोपाल के डी.पी.सक्सेना, मधु सक्सेना, प्रकाशचंद तापड़े, अरूणा तापड़े एवं सृजन-सम्मान के यात्रा-पार्टनर क्रियेटिव ट्रेव्हलर्स के प्रमुख विकास मल्होत्रा आदि सम्मिलित थे।



(मारीशस से लौटकर हीरामन सिंह ठाकुर)

Friday, September 17, 2010

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में निदेशक डाक सेवा कार्यालय में हिन्दी-दिवस का आयोजन

भारतीय संस्कृति की अस्मिता की पहचान है हिन्दी

भारत के सुदूर दक्षिणी अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में निदेशक डाक सेवा कार्यालय में हिन्दी-दिवस का आयोजन किया गया. निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और पारंपरिक द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया. कार्यक्रम के आरंभ में अपने स्वागत भाषण में सहायक डाक अधीक्षक श्री रंजीत आदक ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर कि निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव स्वयं हिन्दी के सम्मानित लेखक और साहित्यकार हैं, ऐसे में द्वीप-समूह में राजभाषा हिन्दी के प्रति लोगों को प्रवृत्त करने में उनका पूरा मार्गदर्शन मिल रहा है. हिन्दी कि कार्य-योजना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को सर्वसम्मति से हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया था, तब से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर जोर दिया गया कि राजभाषा हिंदी अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए और बहुतायत में प्रयोग करना चाहिए.

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चर्चित साहित्यकार और निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने हिन्दी को जन-जन की भाषा बनाने पर जोर दिया। अंडमान-निकोबार में हिन्दी के बढ़ते क़दमों को भी उन्होंने रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि हमें हिन्दी से जुड़े आयोजनों को उनकी मूल भावना के साथ स्वीकार करना चाहिए। स्वयं डाक-विभाग में साहित्य सृजन की एक दीर्घ परम्परा रही है और यही कारण है कि तमाम मशहूर साहित्यकार इस विशाल विभाग की गोद में अपनी काया का विस्तार पाने में सफल रहें हैं. इनमें प्रसिद्ध साहित्यकार व ‘नील दर्पण‘ पुस्तक के लेखक दीनबन्धु मित्र, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लोकप्रिय तमिल उपन्यासकार पी0वी0अखिलंदम, राजनगर उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमियभूषण मजूमदार, फिल्म निर्माता व लेखक पद्मश्री राजेन्द्र सिंह बेदी, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी, सुविख्यात उर्दू समीक्षक शम्सुररहमान फारूकी, शायर कृष्ण बिहारी नूर जैसे तमाम मूर्धन्य नाम शामिल रहे हैं। उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द जी के पिता अजायबलाल भी डाक विभाग में ही क्लर्क रहे।

निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव यादव ने अपने उद्बोधन में बदलते परिवेश में हिन्दी की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और कहा कि- ''आज की हिन्दी ने बदलती परिस्थितियों में अपने को काफी परिवर्तित किया है. विज्ञान-प्रौद्योगिकी से लेकर तमाम विषयों पर हिन्दी की किताबें अब उपलब्ध हैं, पत्र-पत्रिकाओं का प्रचलन बढ़ा है, इण्टरनेट पर हिन्दी की बेबसाइटों और ब्लॉग में बढ़ोत्तरी हो रही है, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कई कम्पनियों ने हिन्दी भाषा में परियोजनाएं आरम्भ की हैं. निश्चिततः इससे हिन्दी भाषा को एक नवीन प्रतिष्ठा मिली है।'' श्री यादव ने जोर देकर कहा कि साहित्य का सम्बन्ध सदैव संस्कृति से रहा है और हिन्दी भारतीय संस्कृति की अस्मिता की पहचान है। इस अवसर पर पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर के पोस्टमास्टर एम. गणपति ने कहा कि आज हिन्दी भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपनी पताका फहरा रही है और इस क्षेत्र में सभी से रचनात्मक कदमों की आशा की जाती है। इस अवसर पर डाकघर के कर्मचारियों में हिंदी के प्रति सुरुचि जागृत करने के लिए निबंध लेखन, पत्र लेखन, हिंदी टंकण, श्रुतलेख, भाषण और परिचर्चा जैसे विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किये गए. कार्यक्रम में जन सम्पर्क निरीक्षक पी. नीलाचलम, कुच्वा मिंज, शांता देब, निर्मला, एम. सुप्रभा, पी. देवदासु, मिहिर कुमार पाल सहित तमाम डाक अधिकारी/ कर्मचारी उपस्थिति रहे. कार्यक्रम का सञ्चालन हिंदी अनुभाग के कुच्वा मिंज द्वारा किया गया.

निदेशक डाक सेवाएँ
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर -744101

Monday, September 13, 2010

श्यामल सुमन की कविता - हिन्दी पखवाड़ा

हिन्दी पखवाड़ा

भाषा जो सम्पर्क की हिन्दी उसमे मूल।
राष्ट्र की भाषा न बनी यह दिल्ली की भूल।।

राज काज के काम हित हिन्दी है स्वीकार।
लेकिन विद्यालय सभी हिन्दी के बीमार।।

भाषा तो सब है भली सीख बढ़ायें ज्ञान।
हिन्दी बहुमत के लिए करना मत अपमान।।

मंत्री के संतान सब जा के पढ़े विदेश।
भारत में भाषण करे हिन्दी पर संदेश।।

बढ़ा है अन्तर्जाल में हिन्दी नित्य प्रभाव।
लेकिन हिन्दुस्तान में है सम्मान अभाव।।

सिसक रही हिन्दी यहाँ हम सब जिम्मेवार।
बना दो भाषा राष्ट्र की ऐ दिल्ली सरकार।।

दिन पंद्रह इक बरस में हिन्दी आती याद।
यही सोच हो शेष दिन सुमन करे फरियाद।।

Saturday, September 11, 2010

श्यामल सुमन की एक कविता

सपना

बचपन से ही सपन दिखाया, उन सपनों को रोज सजाया।
पूरे जब न होते सपने, बार-बार मिलकर समझाया।
सपनों के बदले अब दिन में, तारे देख रहा हूँ।
सपना हुआ न अपना फिर भी, सपना देख रहा हूँ।।

पढ़-लिखकर जब उम्र हुई तो, अवसर हाथ नहीं आया।
अपनों से दुत्कार मिली और, उनका साथ नहीं पाया।
सपन दिखाया जो बचपन में, आँखें दिखा रहा है।
प्रतिभा को प्रभुता के आगे, झुकना सिखा रहा है।
अवसर छिन जाने पर चेहरा, अपना देख रहा हूँ।
सपना हुआ न अपना फिर भी, सपना देख रहा हूँ।।

ग्रह-गोचर का चक्कर है यह, पंडितजी ने बतलाया।
दान-पुण्य और यज्ञ-हवन का, मर्म सभी को समझाया।
शांत नहीं होना था ग्रह को, हैं अशांत घर वाले अब।
नए फकीरों की तलाश में, सच से विमुख हुए हैं सब।
बेबस होकर घर में मंत्र का, जपना देख रहा हूँ।
सपना हुआ न अपना फिर भी, सपना देख रहा हूँ।।

रोटी जिसको नहीं मयस्सर, क्यों सिखलाते योगासन?
सुंदर चहरे, बड़े बाल का, क्यों दिखलाते विज्ञापन?
नियम तोड़ते, वही सुमन को, क्यों सिखलाते अनुशासन?
सच में झूठ, झूठ में सच का, क्यों करते हैं प्रतिपादन?
जनहित से विपरीत ख़बर का, छपना देख रहा हूँ।
सपना हुआ न अपना फिर भी, सपना देख रहा हूँ।।

Sunday, September 5, 2010

श्यामल सुमन की एक कविता - अक्स

अक्स


साथी सुख में बन जाते सब दुख में कौन ठहरता है।
मेरे आँगन का बादल भी जाने कहाँ विचरता है।।

कैसे हो पहचान जगत में असली नकली चेहरे की।
अगर पसीने की रोटी हो चेहरा खूब निखरता है।।

फर्क नहीं पड़ता शासन को जब किसान भूखे मरते।
शेयर के बढ़ने घटने से सत्ता-खेल बिगड़ता है।।

इस हद से उस हद की बातें करते जो आसानी से।
और मुसीबत के आते ही पहले वही मुकरता है।।

बड़ी खबर बन जाती चटपट बड़े लोग की खाँसी भी।
बेबस के मरने पर चुप्पी, कैसी यहाँ मुखरता है।।

अनजाने लोगों में अक्सर कुछ अपने मिल जाते हैं।
खून के रिश्तों के चक्कर में जीवन कहाँ सँवरता है।।

करते हैं श्रृंगार प्रभु का समय से पहले तोड़ सुमन।
जो बदबू फैलाये सड़कर मुझको बहुत अखरता है।।

Friday, September 3, 2010

गाँधी जी पर आधारित हिन्दी फिल्म का शुभारम्भ पोर्टब्लेयर में..



आइलैंड फिल्म प्रोडक्शन के द्वारा गाँधी जी पर आधारित एक हिन्दी फिल्म का शुभारम्भ पोर्टब्लेयर में हुआ। फिल्म की कथा, निर्माण एवं निर्देशन नरेश चन्द्र लाल द्वारा किया जा रहा है। कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के विजेता श्री लाल की अंडमान आधारित ‘अमृत जल‘ फिल्म चर्चा में रही है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक एवं चर्चित साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव ने मुहुर्त क्लैप शॉट देकर फिल्म का शुभारंभ किया। फिल्म सेंसर बोर्ड, कोलकाता रीजन के सदस्य नंद किशोर सिंह ने मुहुर्त नारियल तोड़ा। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि-” गाँधी जी की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी और अपने विचारों के कारण वे सदैव जिंदा रहेंगे। काला-पानी कहे जाने वाले अंडमान के द्वीपों में वे भले ही कभी नहीं आएं हों, पर द्वीप-समूहों ने भावनात्मक स्तर पर उन्हें अपने करीब महसूस किया है। जाति-धर्म-भाषा क्षेत्र की सीमाओं से परे जिस तरह द्वीपवासी अपने में एक ‘लघु भारत ‘ का एहसास कराते हैं, वह गाँधी जी के सपनों के करीब है।“ श्री यादव ने फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के अंडमान से लगाव पर प्रशंसा जाहिर की और आशा व्यक्त की कि ऐसी फिल्में द्वीप-समूहों की ऐतिहासिकता, प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ सेलुलर जेल जैसे क्रांति-तीर्थ स्थलों को बढ़ावा देने में भी सफल होंगी।

गौरतलब है कि इस फिल्म में बालीवुड के जाने-माने चेहरे मुकुल नाग, अनुकमल, राजेश जैश, मुम्बई फिल्म उद्योग के मनोज कुमार यादव के अलावा स्थानीय कलाकार गीतांजलि आचार्य, कृष्ण कुमार विश्वेन्द्र, रविन्दर राव, डी0पी0 सिंह, ननकौड़ी के रशीद, पर्सी आयरिश मेयर्श तथा पोर्टब्लेयर महात्मा गाँधी स्कूल के चार बच्चे इस फिल्म में काम करेंगे।

निर्देशक नरेश चंद्र लाल ने बताया कि सेलुलर जेल के बाद महाराष्ट्र के वर्धा स्थित गाँधी आश्रम सेवा ग्राम में भी इस फिल्म की शूटिंग होगी और यह फिल्म दिसम्बर, 2010 में रिलीज होगी।



नरेश चन्द्र लाल
निदेशक - अंडमान पीपुल थिएटर एसोसिएशन(आप्टा)
पोर्टब्लेयर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह

Thursday, September 2, 2010

जन्माष्टमी पर विशेष लघुकथा: मोहनभोग ---संजीव वर्मा 'सलिल'



'हे प्रभु! क्षमा करना, आज मैं आपके लिये भोग नहीं ला पाया. मजबूरी में खाली हाथों पूजा करना पड़ रही है.' किसी भक्त का कातर स्वर सुनकर मैंने पीछे मुड़कर देखा.

अरे! ये तो वही सज्जन हैं जिन्होंने सवेरे मेरे साथ ही मिष्ठान्न भंडार से भोग के लिये मिठाई ली थी फिर...? मुझसे न रहा गया, पूछ बैठा: ''भाई जी! आज सवेरे हमने साथ-साथ ही भगवान के भोग के लिये मिष्ठान्न लिया था न? फिर आप खाली हाथ कैसे? वह मिठाई क्या हुई?''

'क्या बताऊँ?, आपके बाद मिष्ठान्न के पैसे देकर मंदिर की ओर आ ही रहा था कि देखा किरणे की एक दूकान में भीड़ लगी है और लोग एक छोटे से बच्चे को बुरी तरह मार रहे हैं. मैंने रुककर कारण पूछा तो पता चला कि वह एक डबलरोटी चुराकर भाग रहा था. लोगों को रोककर बच्चे को चुप किया और प्यार से पूछा तो उसने कहा कि उसने सच ही डबलरोटी बिना पैसे दिये ले ली थी. . रुपये-पैसों को उसने हाथ नहीं लगाया क्योंकि वह चोर नहीं है...मजबूरी में डबल रोटी इसलिए लेना पड़ा कि मजदूर पिता तीन दिन से बुखार के कारण काम पर नहीं जा सके...घर में अनाज का एक दाना भी नहीं बचा... आज माँ बीमार पिता और छोटी बहन को घर में छोड़कर काम पर गयी कि शाम को खाने के लिये कुछ ला सके....छोटी बहिन रो-रोकर जान दिये दे रही थी... सबसे मदद की गुहार की.. किसी ने कोई सहायता नहीं की तो मजबूरी में डबलरोटी...' और वह फिर रोने लगा...

'मैं सारी स्थिति समझ गया... एक निर्धन असहाय भूख के मारे की मदद न कर सकनेवाले ईमानदारी के ठेकेदार बनकर दंड दे रहे थे. मैंने दुकानदार को पैसे देकर बच्चे को डबलरोटी खरीदवाई और वह मिठाई का डिब्बा भी उसे ही देकर घर भेज दिया. मंदिर बंद होने का समय होने के कारण दुबारा भोग के लिये मिष्ठान्न नहीं ले सका और आप-धापी में सीधे मंदिर आ गया, इस कारण मोहन को भोग नहीं लगा पा रहा.'

''नहीं मेरे भाई!, हम सब तो मोहन की पाषाण प्रतिमा को ही पूजते रह गए... वास्तव में मोहन के जीवंत विग्रह को तो आपने ही भोग लगाया है.'' मेरे मुँह से निकला...प्रभु की मूर्ति पर दृष्टि पडी तो देखा वे मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं.