Monday, January 19, 2009

कविता




नियति
- सुधीर सक्सेना 'सुधि', जयपुर

किसी पॉश कालोनी में
जब भी वह
किसी का नया घर बनाता है,
तब उसकी झोपड़ी का
एक हिस्सा
अपने आप टूट जाता है ।
जब घर बनकर पूरा होता है,
उसकी झोपड़ी ढह जाती है ।
जब घर का मालिक
परिवार सहित
रहने आ जाता है,
तब वह
फुटपाथ पा जाता है !

-

1 comment:

अमित पुरोहित said...

देखा हैं उसे मैंने भी, पर इतने करीब से नही. फुटपाथ छूटते जो जा रहे हैं हम सबसे. नही जानते कि राजमार्ग कभी भी ढह सकता हैं ... और ऊँचे मकानों के बुर्ज भी नही बचेगे. शुक्रिया सुधीर जी इस अहसास के लिए,