Tuesday, November 1, 2016

हरियाणवी हाइकु

कविता

हरियाणवी हाइकु 

- आचार्य संजीव सलिल
*
घणा कड़वा 
आक करेला नीम
भला हकीम।१   
*
गोरी गाम की
घाघरा-चुनरिया 
नम अँखियाँ।२  
*
बैरी बुढ़ापा   
छाती तान के आग्या
अकड़ कोन्या।३
*
जवानी-नशा 
पोरी पोरी मटकै
जोबन-बम।४
*
कोरा कागज
हरियाणवी हाइकु 
लिक्खण बैठ्या।५ 
*
'हरि' का 'यान'
देस प्रेम मैं आग्गै
'बहु धान्यक'।६ 
*
पीछै पड़ गे
टाबर चिलम के 
होश उड़ गे।७ 
*
मानुष एक 
छुआछूत कर्‌या 
रै बेइमान।८
*
हैं भारतीय 
आपस म्हं विरोध
भूल भी जाओ।९ 
*
चिन्ता नै चाट्टी
म्हारी हाण कचोट 
रंज नै खाई।१० 
*
ना है बाज का
चिडिय़ा नै खतरा
है चिड़वा का।११ 
*
गुरू का दर्जा 
शिक्षा के मन्दिर मैं 
सबतै ऊँच्चा।१२ 
*
कली नै माली 
मसलण लाग्या हे 
बची ना आस। १३ 
माणस-बीज
मरणा हे लड़कै
नहीं झुककै।१४ 
* 
लड़ी लड़ाई 
जमीन छुड़वाई
नेता लौटाई।१५
*
भुख्खा किसाण 
कर्ज से कर्ज तारै
माटी भा दाणे।१६
* 
बाग म्हं कूकै 
बिरहण कोयल
दिल सौ टूक।१७
* 
चिट्ठी आई सै
आंख्या पाणी भरग्या 
फौजी हरख्या।१८
* 
सब नै दंग
करती चूड़ी-बिंदी 
मैडल ल्याई।१९ 
*
लाडो आ तूं
किलकारी मारकै
सुपणा मेरा।२०
*