कविता
हरियाणवी हाइकु
- आचार्य संजीव सलिल
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घणा कड़वा
आक करेला नीम
भला हकीम।१।
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गोरी गाम की
घाघरा-चुनरिया
नम अँखियाँ।२।
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बैरी बुढ़ापा
छाती तान के आग्या
अकड़ कोन्या।३।
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जवानी-नशा
पोरी पोरी मटकै
जोबन-बम।४।
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कोरा कागज
हरियाणवी हाइकु
लिक्खण बैठ्या।५।
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'हरि' का 'यान'
देस प्रेम मैं आग्गै
'बहु धान्यक'।६।
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पीछै पड़ गे
टाबर चिलम के
होश उड़ गे।७।
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मानुष एक
छुआछूत कर्या
रै बेइमान।८।
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हैं भारतीय
आपस म्हं विरोध
भूल भी जाओ।९।
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चिन्ता नै चाट्टी
म्हारी हाण कचोट
रंज नै खाई।१०।
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ना है बाज का
चिडिय़ा नै खतरा
है चिड़वा का।११।
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गुरू का दर्जा
शिक्षा के मन्दिर मैं
सबतै ऊँच्चा।१२।
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कली नै माली
मसलण लाग्या हे
बची ना आस। १३।
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माणस-बीज
मरणा हे लड़कै
नहीं झुककै।१४।
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लड़ी लड़ाई
जमीन छुड़वाई
नेता लौटाई।१५।
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भुख्खा किसाण
कर्ज से कर्ज तारै
माटी भा दाणे।१६।
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बाग म्हं कूकै
बिरहण कोयल
दिल सौ टूक।१७।
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चिट्ठी आई सै
आंख्या पाणी भरग्या
फौजी हरख्या।१८।
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सब नै दंग
करती चूड़ी-बिंदी
मैडल ल्याई।१९।
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लाडो आ तूं
किलकारी मारकै
सुपणा मेरा।२०।
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