Friday, January 25, 2013

श्यामल सुमन की दो कविताएँ


श्यामल सुमन की दो कविताएँ

संदेश

भारत है वीरों की धरती, अगणित हुए नरेश।
मीरा, तुलसी, सूर, कबीरा, योगी और दरवेश।
एक हमारी राष्ट्र की भाषा, एक रहेगा देश।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।

सोच की धरती भले अलग हों, राष्ट्र की धारा एक।
जैसे गंगा में मिल नदियाँ, हो जातीं हैं नेक।
रीति-नीति का भेद मिटाना, नूतन हो परिवेश।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।

शासन का मन्दिर संसद है, लगता अब लाचार।
कुछ जनहित पर भाषण दे कर, करते हैं व्यापार।
रंगे सियारों को पहचाने, बदला जिसने वेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।

वीर शहीदों के भारत का, सपने आज उदास।
कर्ज चुकाना है धरती का, मिल सब करें प्रयास।
घर-घर सुमन खिले खुशियों की, कहना नहीं बिशेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।


कैसे बचेगा भारत देश?

है कुदाल सी नीयत प्रायः, बदल रहा परिवेश।
कैसे बचेगा भारत देश?

बड़े हुए लिख, पढ़ते, सुनते, यह धरती है पावन।
जहां पे कचड़े चुन चुन करके, चलता लाखों जीवन।
दिल्ली में नित होली दिवाली, नहीं गाँव का क्लेश।
कैसे बचेगा भारत देश?

है रक्षक से डर ऐसा कि, जन जन चौंक रहे हैं।
बहस कहाँ संसद में होती, लगता भौंक रहे हैं।
लोकतंत्र के इस मंदिर से, यह कैसा सन्देश?
कैसे बचेगा भारत देश?

बूढा एक तपस्वी आकर, बहुत दिनों पर बोला।
सत्ता-दल संग सभी विपक्षी, का सिंहासन डोला।
है गरीब भारत फिर कैसे, पैसा गया विदेश?
कैसे बचेगा भारत देश?

सजग सुमन हों अगर चमन के, होगा तभी निदान।
भाई भी हो भ्रष्ट अगर तो, क्यों उसका सम्मान?
आजादी के नव-विहान का, निकले तभी दिनेश।
ऐसे बचेगा भारत देश।।

Tuesday, January 22, 2013

जस्टिस बशीर अहमद महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय हिंदी कार्यशाला सुसंपन्न

जस्टिस बशीर अहमद महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय हिंदी कार्यशाला सुसंपन्न



दिनांक 22.1.2013  को  जस्टिस बशीर अहमद महिला महाविद्यालय, चेन्नै के तत्वाधान में हिन्दी विभाग की ओर से प्रिंसिपल डा.नाशीन दाऊद  के निदेशन में राजभाषा हिन्दी का स्वरूप विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ ।  मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. दस्तगीर, सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुपति (आन्ध्र प्रेदेश) और प्रमुख वक्ता के रूप में  डॉ. डी. सैयद रहमत्तुल्ला, सेवानिवृत्त हिन्दी विभागाध्यक्ष, मद्रास विश्वविद्यालय तथा  डॉ. अन्नपूर्णा, सहयोगी प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्षा, मद्रास विश्वविद्यालय उपस्थित थे । जस्टिस बशीर अहमद महिला महाविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. नजिम परवीन  ने सभी स्वागत किया ।  
 
इस राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ. दस्तगीर, डॉ. डी. सैयद रहमत्तुल्ला, डॉ. अन्नपूर्णा और अलिगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सहयोगी प्रोफ़ेसर  डॉ. शाहुल हमीद ने व्याख्यान दिए ।
 
द्वितीय सत्र डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सहायक प्रोफेसर, पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय, पुदुच्चेरी और डॉ. रोहिनी पांडियन, सहायक प्रोफेसर, दि अमेरिकन महाविद्यालय, मदुरै ने व्याख्यान दिए ।  डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने भारतीय भाषाई कंप्यूटिंग के लिए उपलब्ध संसाधनों के संबंध में पवरपाइंट प्रस्तुति के साथ प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया । समापन समारोह   में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.  बशीर, प्रबंधक –राजभाषा, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, चेन्नै उपस्थित थे ।

विभिन्न कॉलेजों के अध्यापक और छात्राएँ इस राष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल हुई थी ।               

Thursday, January 10, 2013

सबके आत्मीय प्रयासों से ही हिंदी विश्व भाषा बन सकती है – डॉ. सी. जय शंकर बाबु

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन में 
विश्व हिंदी दिवस संपन्न






 
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, दक्षिणांचल, चेन्नै कार्यालय में दि.10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया गया ।  कार्यक्रम का उद्घाटन दक्षिणांचल के महाप्रबंधक पी.पी. नाडकर्णी ने किया और एचपीसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री सुबीर रॉय चौधरी के संदेश पढ़कर सुनाया ।  इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफ़सर डॉ. सी. जय शंकर बाबु उपस्थित थे ।

     कार्यक्रम की शुरूआत एचपी गीत से हुई और महाप्रबंधक के कर-कमलों से प्रयास ई-पत्रिका का विमोचन किया गया, जिसमें विभागीय अधिकारियों की हिंदी की रचनाएँ प्रकाशित की गई थी ।  श्री पी.पी. नाडकर्णी ने अपने भाषण में कहा कि हिंदी के प्रचार-प्रसार में पूरी निष्ठा के साथ लगे रहना हम सभी का दायित्व है ।  राजभाषा के रूप में हिंदी की प्रयोग-निष्ठा से ही हिंदी विश्व भाषा बनने का सपना साकार बन सकता है ।  उन्होंने ई-पत्रिका में रचनाएँ प्रस्तुत करनेवाले अधिकारियों को उन्होंने स्वर्ण-पदकों से सम्मानित भी किया । 

तदनंतर अपने वक्तव्य में डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने कहा कि 1975 में जनवरी, 10 को प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ था, उस दिन के यादगार में हर वर्ष जनवरी 10 को विश्व हिंदी दिवस के रूप में दुनियाभर में कई हिंदी प्रेमी मनाने की परंपरा शुरू हुई है ।  हिंदी के विश्वव्यापीकरण की जरूरत पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की राजभाषा हिंदी दुनिया की भाषा बनने के साथ ही हमें कई अच्छे अवसर मिलने की संभावना है ।  एक तो हिंदी संयुक्त राज्य संघ की भाषा बन सकती है दूसरी ओर दुनिया में हिंदी के फैलने से हिंदी के माध्यम से व्यापार और रोज़गार की संभावनाएँ भी बढ़ सकती हैं ।  उन्होंने हिंदी को आत्मीयतापूर्वक अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि एक संपर्क भाषा के रूप में आज देश में हिंदी की जो भूमिका है, वह कल दुनिया की भाषा बन जाने से विश्व स्तर पर इसकी बड़ी भूमिका हो सकती है ।  हिंदी विश्व भाषा तभी बन सकती है जब हम सब आत्मीय प्रयास करेंगे । 

कार्यक्रम में वित्त विभाग हिंदी निर्देशिका का भी महाप्रबंधक ने विमोचन   किया ।  कार्यक्रम में उप महाप्रबंधक – वित्त श्री ए.वी. नारायण राव एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे । डॉ. एस. बशीर, प्रबंधक (राजभाषा) ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।