Tuesday, June 19, 2012

हर दिन पिता याद आते हैं...

स्मृति गीत:


हर दिन पिता याद आते हैं...



संजीव 'सलिल'



*



जान रहे हम अब न मिलेंगे.



यादों में आ, गले लगेंगे.



आँख खुलेगी तो उदास हो-



हम अपने ही हाथ मलेंगे.



पर मिथ्या सपने भाते हैं.



हर दिन पिता याद आते हैं...



*



लाड, डांट, झिडकी, समझाइश.



कर न सकूँ इनकी पैमाइश.



ले पहचान गैर-अपनों को-



कर न दर्द की कभी नुमाइश.



अब न गोद में बिठलाते हैं.



हर दिन पिता याद आते हैं...



*



अक्षर-शब्द सिखाये तुमने.



नित घर-घाट दिखाए तुमने.



जब-जब मन कोशिश कर हारा-



फल साफल्य चखाए तुमने.



पग थमते, कर जुड़ जाते हैं



हर दिन पिता याद आते हैं...

1 comment:

dr s. basheer said...

marhoompitaaaakee yaaad,saath baat,aur haath kisko nahee aatee shabd bhaav vibhore kardiye ashrutaanjali namah sumaanjali