Saturday, May 23, 2009

साहित्य समाचार










हिन्दी साहित्य सम्मलेन प्रयाग : शताब्दी वर्ष समारोह


समस्त हिन्दी जगत की आशा का केन्द्र हिन्दी साहित्य सम्मलेन प्रयाग अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देव भाषा संस्कृत तथा विश्व-वाणी हिन्दी को एक सूत्र में पिर्पने के प्रति कृत संकल्पित है। सम्मलेन द्वारा राष्ट्रीय अस्मिता, संस्कृति, हिंदी भाषा तथा साहित्य के सर्वतोमुखी उन्नयन हेतु नए प्रयास किये जा रहे हैं। १० मई १९१० को स्थापित सम्मलेन एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय संस्थान है जिसे राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन तथा अन्य महान साहित्यकारों व समाजसेवियों का सहयोग प्राप्त हुआ। नव शताब्दी वर्ष में प्रवेश के अवसर पर सम्मलेन ने १०-११ मई '0९ को अयोध्या में अखिल भारतीय विद्वत परिषद् का द्विदिवसीय सम्मलेन हनुमान बाग सभागार, अयोध्या में आयोजित किया गया। इस सम्मलेन में २१ राज्यों के ४६ विद्वानों को सम्मलेन की मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया।






१० मई को 'हिंदी, हिंदी साहित्य और हिंदी साहित्य सम्मलेन' विषयक संगोष्ठी में देश के विविध प्रान्तों से पधारे ११ वक्ताओं ने विद्वतापूर्ण व्याख्यान दिए । साहित्य वाचस्पति डॉ. बालशौरी रेड्डी, अध्यक्ष, तमिलनाडु हिंदी अकादमी ने इस सत्र के अध्यक्षता की। इस सत्र का संचालन डॉ. ओंकार नाथ द्विवेदी ने किया। स्वागत भाषण डॉ. बिपिन बिहारी ठाकुर ने दिया। प्रथम दिवस पूर्वान्ह सत्र में संस्कृत विश्व विद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलपति डॉ. जय्मंत मिश्र की अध्यक्षता में ११ उद्गाताओं ने 'आज संस्कृत की स्थिति' विषय पर विचार व्यक्त किए। विद्वान् वक्ताओं में डॉ. तारकेश्वरनाथ सिन्हा बोध गया, श्री सत्यदेव प्रसाद डिब्रूगढ़, डॉ. गार्गीशरण मिश्र जबलपुर, डॉ. शैलजा पाटिल कराड, डॉ.लीलाधर वियोगी अंबाला, डॉ. प्रभाशंकर हैदराबाद, डॉ. राजेन्द्र राठोड बीजापुर, डॉ. नलिनी पंड्या अहमदाबाद आदि ने विचार व्यक्त किये.









अपरान्ह सत्र में प्रो. राम शंकर मिश्र वाराणसी, डॉ. मोहनानंद मिश्र देवघर, पर. ग.र.मिश्र तिरुपति, डॉ. हरिराम आचार्य जयपुर, डॉ. गंगाराम शास्त्री भोपाल, डॉ. के. जी. एस. शर्मा बंगलुरु, पं. श्री राम डेव जोधपुर, डॉ. राम कृपालु द्विवेदी बंद, डॉ. अमिय चन्द्र शास्त्री मथुरा, डॉ. भीम सिंह कुरुक्षेत्र, डॉ. महेशकुमार द्विवेदी सागर आदि ने संस्कृत की प्रासंगिकता तथा हिंदी--संस्कृत की अभिन्नता पर प्रकाश डाला. यह सत्र पूरी तरह संस्कृत में ही संचालित किया गया. श्रोताओं से खचाखच भरे सभागार में सभी वक्तव्य संस्कृत में हुए.









समापन दिवस पर ११ मई को डॉ. राजदेव मिश्र, पूर्व कुलपति सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की अध्यक्षता में ५ विद्द्वजनों ने ज्योतिश्पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के प्रति प्रणतांजलि अर्पित की. सम्मलेन के अध्यक्ष साहित्य वाचस्पति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा, अध्यक्ष हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग की अध्यक्षता में देश के चयनित ५ संस्कृत विद्वानों डॉ. जय्म्न्त मिश्र दरभंगा, श्री शेषाचल शर्मा बंगलुरु, श्री गंगाराम शास्त्री भोपाल, देवर्षि कलानाथ शास्त्री जयपुर, श्री बदरीनाथ कल्ला फरीदाबाद को महामहिमोपाध्याय की सम्मानोपाधि से सम्मानित किया गया. ११ संस्कृत विद्वानों डॉ. मोहनानंद मिश्र देवघर, श्री जी. आर. कृष्णमूर्ति तिरुपति, श्री हरिराम आचार्य जयपुर, श्री के.जी.एस. शर्मा बंगलुरु, डॉ. रामकृष्ण सर्राफ भोपाल, डॉ. शिवसागर त्रिपाठी जयपुर, डॉ.रामकिशोर मिश्र बागपत, डॉ. कैलाशनाथ द्विवेदी औरैया, डॉ. रमाकांत शुक्ल भदोही, डॉ. वीणापाणी पाटनी लखनऊ तथा पं. श्री राम्दावे जोधपुर को महामहोपाध्याय की सम्मानोपाधि से सम्मानित किया गया. २ हिन्दी विद्वानों डॉ. केशवराम शर्मा दिल्ली व डॉ वीरेंद्र कुमार दुबे को साहित्य महोपाध्याय तथा २८ साहित्य मनीषियों डॉ. वेदप्रकाश शास्त्री हैदराबाद, डॉ. भीम सिंह कुरुक्षेत्र, डॉ. कमलेश्वर प्रसाद शर्मा दुर्ग, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जबलपुर, डॉ. महेश कुमार द्विवेदी सागर, श्री ब्रिजेश रिछारिया सागर, डॉ. मिजाजीलाल शर्मा इटावा, श्री हरिहर शर्मा कबीरनगर, डॉ, रामशंकर अवस्थी कानपूर, डॉ. रामकृपालु द्विवेदी बांदा, डॉ. हरिहर सिंह कबीरनगर, डॉ, अमियचन्द्र शास्त्री 'सुधेंदु' मथुरा, डॉ. रेखा शुक्ल लखनऊ, डॉ. प्रयागदत्त चतुर्वेदी लखनऊ, डॉ. उमारमण झा लखनऊ, डॉ. इन्दुमति मिश्र वाराणसी, प्रो. रमाशंकर मिश्र वाराणसी, डॉ. गिरिजा शंकर मिश्र सीतापुर, चंपावत से श्री गंगाप्रसाद पांडे, डॉ. पुष्करदत्त पाण्डेय, श्री दिनेशचन्द्र शास्त्री 'सुभाष', डॉ. विष्णुदत्त भट्ट, डॉ. उमापति जोशी, डॉ. कीर्तिवल्लभ शकटा, हरिद्वार से प्रो. मानसिंह, अहमदाबाद से डॉ. कन्हैया पाण्डेय, प्रतापगढ़ से डॉ, नागेशचन्द्र पाण्डेय तथा उदयपुर से प्रो. नरहरि पंड्याको ''वागविदांवर सम्मान'' ( ऐसे विद्वान् जिनकी वाक् की कीर्ति अंबर को छू रही है) से अलंकृत किया गया. उक्त सभी सम्मान ज्योतिश्पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के कर कमलों से प्रदान किये जाते समय सभागार करतल ध्वनि से गूँजता रहा.









अभियंता-आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ''वागविदांवर सम्मान'' से विभूषित









अंतर्जाल पर हिन्दी की अव्यावसायिक साहित्यिक पत्रिका दिव्य नर्मदा का संपादन कर रहे विख्यात कवि-समीक्षक अभियंता श्री संजीव वर्मा 'सलिल' को संस्कृत - हिंदी भाषा सेतु को काव्यानुवाद द्वारा सुदृढ़ करने तथा पिंगल व साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट अवदान के लिए 'वाग्विदान्वर सम्मान' से सम्मलेन द्वारा अलंकृत किया जाना अंतर्जाल जगत के लिया विशेष हर्ष का विषय है चुकी उक्त विद्वानों में केवल सलिल जी ही अंतर्जाल जगत से न केवल जुड़े हैं अपितु व्याकरण, पिंगल, काव्य शास्त्र, अनुवाद, तकनीकी विषयों को हिंदी में प्रस्तुत करने की दिशा में मन-प्राण से समर्पित हैं.









अंतर्जाल की अनेक पत्रिकाओं में विविध विषयों में लगातार लेखन कर रहे सलिल जी गद्य-पद्य की प्रायः सभी विधाओं में सृजन के लिए देश-विदेश में पहचाने जाते हैं. हिंदी साहित्य सम्मलेन के इस महत्वपूर्ण सारस्वत अनुष्ठान की पूर्णाहुति परमपूज्य ज्योतिश्पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज के प्रेरक संबोधन से हुई. स्वामी जी ने संकृत तथा हिंदी को भविष्य की भाषाएँ बताया तथा इनमें संभाषण व लेखन को जन्मों के संचित पुण्य का फल निरुपित किया.





सम्मलेन के अध्यक्ष वयोवृद्ध श्री भगवती प्रसाद देवपुरा, ने बदलते परिवेश में अंतर्जाल पर हिंदी के अध्ययन व शिक्षण को अपरिहार्य बताया.





Tuesday, May 19, 2009

कविता





हमारा भारत महान


-एमडी सादिक, चेन्नै


-हमसब भारतवासी एक हैं
मा-माता,गोमाता पूजनीय है
रा-राष्ट्रगीत का सम्मान करते

भा-भारत को विज्ञान में सर्वोपरि बनाते
-रखते कदम विकास की ओर
-तन,मन,धन को अर्पण करते
दे-देशभक्ति का मिसाल बताते सबको
-शक्ति का संचार करते हर क्षेत्र में

-मज़बूत इरादों के सपने सजाते
हा-हाथ से हाथ मिलकर आगे बढ़ते
-न कोई छोटा,न बड़ा,हम सब एक हैं नारा सुनाते
हमारा भारत देश महान

Friday, May 15, 2009

इरुंपनम टर्मिनल में हिंदी कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न







हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन,
इरुंपनम टर्मिनल में
हिंदी कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न


हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड, इरुंपनम टर्मिनल, कोच्ची में दि.9 मई, 2009 को हिंदी कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई । हिंदी समन्वयक श्रीमती के.बी. बेन्सी ने अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया । कार्यशाला में टर्मिनल के 15 अधिकारी शामिल हुए । कार्यशाला का उद्घाटन श्री ए.के. कृष्णन कुट्टी, वरिष्ठ प्रबंधक, इरुंपनम टर्मिनल ने किया । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इरुंपनम डिपो में सभी आयामों में राजभाषा कार्यान्वयन पूरी निष्ठा के साथ किया जा रहा है । कंप्यूटरों में हिंदी प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यशाला का विशिष्ट महत्व है । उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि कार्यशाला में प्रशिक्षित होने के बाद कंप्यूटर में हिंदी का भरपूर प्रयोग करते हुए राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी सभी लक्ष्य हासिल करने में सहयोग दें । श्री रमेश प्रभु, वरिष्ठ राजभाषा अनुवादक, एचपीसीएल क्षेत्रीय कार्यालय, कोच्ची ने कार्यशाला के उद्देश्य से प्रतिभागियों को अवगत कराया । कार्यशाला में व्याख्यान एवं प्रशिक्षण डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कोयंबत्तूर एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, कोयंबत्तूर द्वारा दिया गया । कंप्यूटर में यूनिकोड का प्रयोग, भाषाई कंप्यूटिंग के लिए उपलब्ध संसाधन, हिंदी शब्द संसाधन के आसान तरीकों से पवरपाइंट प्रस्तुति के साथ उन्होंने अवगत कराया । श्री रवींद्रनाथ ठाकुर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला सुसंपन्न हुई ।

Thursday, May 14, 2009

नव-गीत

नव-गीत

- आचार्य संजीव सलिल, जबलपुर ।

कहीं धूप क्यों?,

कहीं छाँव क्यों??...

सबमें तेरा

अंश समाया,

फ़िर क्यों

भरमाती है काया?

जब पाते तब-

खोते हैं क्यों?

जब खोते

तब पाते पाया।

अपने चलते

सतत दाँव क्यों?...

नीचे-ऊपर,

ऊपर-नीचे।

झूलें सब

तू डोरी खींचे,

कोई डरता,

कोई हँसता।

कोई रोये

अँखियाँ मींचे।

चंचल-घायल

हुए पाँव क्यों?...

तन पिंजरे में

मन बेगाना।

श्वास-आस का

ताना-बाना।

बुनता-गुनता

चुप सर धुनता।

तू परखे,

दे संकट नाना।

सूना पनघट,

मौन गाँव क्यों?...

***

Wednesday, May 13, 2009

कविता



पर्यावरण


- एमडी. सादिक, चेन्नै ।



खुदा की प्रकृति बड़ी न्यारी


सुंदर कोमल पेड़ बड़े उपकारी


राही को छाया देते


सबको फूल व फल देते


प्राणवायु देकर विष वायु लेते


पर्यावरण को साफ रखते


पशुओं की भूख मिटाते


पक्षियों का घर बासाते


इसी पेड़ के नीचे


गौतम बुद्ध बने


नानक ने ग्रंथ लिखे


लोग तपस कर महान बने


इसकी संजीविनी से स्वस्थ बने


पेड़ लगाना पुण्य कार्य है


आओ हम सब


कदम बढ़ाकर वृक्ष लगाएं


धरती पर हरियाली सजाकर


मानव जीवन में खुशहाली लाएँ ।

विविध



कोच्ची में भारतीय खाद्य निगम, दक्षिणांचल की आंचलिक हिंदी कार्यशाला संपन्न



भारतीय खाद्य निगम, दक्षिणांचल, चेन्नई की ओर से कोच्ची, केरल में दि.6 एवं 7 मई, 2009 को आंचलिक हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया । उद्घाटन समारोह में प्रबंधक (राजभाषा) श्री देवराज पणिक्कर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया । श्री सी. मंजप्पन, महाप्रबंधक (दक्षिण) ने किया । श्री इलंगो, महाप्रबंधक (केरल) ने समारोह की अध्यक्षता की । श्री हरिविक्रमन, महाप्रबंधक (वित्त और लेखा) तथा डॉ. वी. बालकृष्णन, उप निदेशक (कार्यान्वयन) अतिथियों के रूप में उपस्थित थे । कार्यशाला का आयोजन एवं संचालन डॉ. वी. एलुमलै, सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा) ने किया । कार्यशाला के उद्घाटन करते हुए श्री सी. मंजप्पन जी ने अपने उद्घाटन भाषाण में प्रतिभागियों को हिंदी में कार्य करने हेतु प्रेरित किया । उद्घाटन के अवसर पर श्री इलंगो, श्री हरिविक्रमन, डॉ. वी. एलुमलै आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए ।
6 मई को आयोजित सत्रों में डॉ. वी. बालकृष्णन, उप निदेशक (कार्यान्वयन) तथा श्री चाको, सहायक निदेशक (राजभाषा), केंद्रीय उत्पाद शुल्क कार्यालय, कोयंबत्तूर ने व्याख्यान दिए । 7 मई को आयोजित प्रथम सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कोयंबत्तूर एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, कोयंबत्तूर ने कंप्यूटर पर हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के लिए यूनिकोड के प्रयोग, भाषाई कंप्यूटिंग के लिए उपलब्ध संसाधन के संबंध में पवर पाइंट प्रस्तुति के साथ व्याख्यान दिया । कंप्यूटर पर हिंदी शब्द संसाधन के आसान तरीकों के संबंध में भी उन्होंने प्रशिक्षण दिया । दूसरे सत्र में डॉ. वी. एलुमलै तथा श्री देवराज पणिक्कर ने विभागीय विषयों पर व्याख्यान दिए ।
समापन सत्र में श्री सी. मंजप्पन, महाप्रबंधक (दक्षिण) ने प्रतिभागियों की प्रतिक्रियाओं की समीक्षा की तथा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्रों का वितरण किया । श्री देवराज पणिक्कर ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सुसंपन्न हुआ ।

Monday, May 11, 2009

कविता

मां की दुवाएं

(मातृ दिवस को समर्पित)

- डॉ. एस. बशीर, चेन्नै ।

मां की दुवाएं ले लो

हर मुश्किल को आसान कर लो

मां की गरिमा जान लो

मां की महिमा पहचान लो

मां के पैरों के तले जन्‍नत है

मां भगवान की सूरत है

मां के कण-कण में उल्फ़त है

मां के घर-घर में बरक़त है

मां के दिल में चाहत है, राहत है

मां ताक़त है तिज़ारत है

आप के पास मां होती तो

दुनियाँ बड़ी खूब सूरत।

मां न होतो जीवन सूखा दरख्‍त् है

इसलिए.... दोस्‍तो

मां की दुवाएं ले लो

हर काम को आसान कर लो।

Saturday, May 9, 2009

विविध



''बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव'' का पद्मश्री गिरिराज किशोर ने किया लोकार्पण


युवा प्रशासक एवं साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व को सहेजती पुस्तक ''बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव'' का लोकार्पण ब्रह्मानन्द डिग्री कॉलेज के प्रेक्षागार में आयोजित एक भव्य समारोह में किया गया। उमेश प्रकाशन, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का सम्पादन दुर्गा चरण मिश्र ने किया है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सुविख्यात साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर ने कहा कि अल्पायु में ही कृष्ण कुमार यादव ने प्रशासन के साथ-साथ जिस तरह साहित्य में भी ऊंचाईयों को छुआ है, वह समाज और विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। वे एक साहित्य साधक एवं सशक्त रचनाधर्मी के रूप में भी अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। ऐसे युवा व्यक्तित्व पर इतनी कम उम्र में पुस्तक का प्रकाशन स्वागत योग्य है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आभार ज्ञापन करते हुए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति उ0प्र0 के संयोजक पं0 बद्री नारायण तिवारी ने कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को सराहा और कहा कि 'क्लब कल्चर' एवं अपसंस्कृति के इस दौर में उनकी हिन्दी-साहित्य के प्रति अटूट निष्ठा व समर्पण शुभ एवं स्वागत योग्य है।

इस अवसर पर कृष्ण कुमार यादव की साहित्यिक सेवाओं का सम्मान करते हुए विभिन्न संस्थाओं द्वारा उनका अभिनंदन एवं सम्मान किया गया। इन संस्थाओं में भारतीय बाल कल्याण संस्थान, मानस संगम, साहित्य संगम, उत्कर्ष अकादमी, मानस मण्डल, विकासिका, वीरांगना, मेधाश्रम, सेवा स्तम्भ, पं0 प्रताप नारायण मिश्र स्मारक समिति एवं एकेडमिक रिसर्च सोसाइटी प्रमुख हैं।

कार्यक्रम में कृष्ण कुमार यादव के कृतित्व के विभिन्न पहलुओं पर विद्वानजनों ने प्रकाश डाला। डॉ0 सूर्य प्रसाद शुक्ल ने कहा कि श्री यादव भाव, विचार और संवेदना के कवि हैं। उनके भाव बोध में विभिन्न तन्तु परस्पर इस प्रकार संगुम्फित हैं कि इन्सानी जज्बातों की, जिन्दगी के सत्यों की पहचान हर पंक्ति-पंक्ति और शब्द-शब्द में अर्थ से भरी हुई अनुभूति की अभिव्यक्ति से अनुप्राणित हो उठी है। वरेण्य साहित्यकार डॉ0 यतीन्द्र तिवारी ने कहा कि आज के संक्रमणशील समाज में जब बाजार हमें नियमित कर रहा हो और वैश्विक बाजार हावी हो रहा हो ऐसे में कृष्ण कुमार जी की कहानियाँ प्रेम, सम्वेदना, मर्यादा का अहसास करा कर अपनी सांस्कृतिक चेतना के निकट ला देती है। डॉ0 राम कृष्ण शर्मा ने कहा कि श्री यादव की सेवा आत्मज्ञापन के लिए नहीं बल्कि जन-जन के आत्मस्वरूप के सत्यापन के लिए। भारतीय बाल कल्याण संस्थान के अध्यक्ष श्री रामनाथ महेन्द्र ने श्री यादव को बाल साहित्य का चितेरा बताया। प्रसिद्व बाल साहित्यकार डॉ0 राष्ट्रबन्धु ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि श्री यादव ने साहित्य के आदिस्रोत और प्राथमिक महत्व के बाल साहित्य के प्रति लेखन निष्ठा दिखाई है। समाजसेवी राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि श्री यादव में जो असीम उत्साह, ऊर्जा, सक्रियता और आकर्षक व्यक्तित्व का चुम्बकत्व गुण है उसे देखकर मन उल्लसित हो उठता है। अर्मापुर पी0जी0 कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ0 गायत्री सिंह ने श्री यादव के कृतित्व को अनुकरणीय बताया तो बी0एन0डी0 कॉलेज के प्राचार्य डॉ0 विवेक द्विवेदी ने श्री यादव के व्यक्तित्व को युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत माना। शम्भू नाथ टण्डन ने एक युवा प्रशासक और साहित्यकार पर जारी इस पुस्तक में व्यक्त विचारों के प्रसार की बात कही।

कार्यक्रम में अपने कृतित्व पर जारी पुस्तक से अभिभूत कृष्ण कुमार यादव ने आज के दिन को अपने जीवन का स्वर्णिम पल बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य साधक की भूमिका इसलिए भी बढ़ जाती है कि संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकला, स्थापत्य इत्यादि रचनात्मक व्यापारों का संयोजन भी साहित्य में उसे करना होता है। उन्होने कहा कि पद तो जीवन में आते जाते हैं, मनुष्य का व्यक्तित्व ही उसकी विराटता का परिचायक है।

स्वागत पुस्तक के सम्पादक श्री दुर्गा चरण मिश्र एवं संचालन उत्कर्ष अकादमी के निदेशक प्रदीप दीक्षित ने किया। कार्यक्रम के अन्त में दुर्गा चरण मिश्र द्वारा उमेश प्रकाशन, इलाहाबाद की ओर से सभी को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम में श्रीमती आकांक्षा यादव, डॉ0 गीता चौहान, सत्यकाम पहारिया, कमलेश द्विवेदी, मनोज सेंगर, डॉ0 प्रभा दीक्षित, डॉ0 बी0एन0 सिंह, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, पवन तिवारी सहित तमाम साहित्यकार, बुद्विजीवी, पत्रकारगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

आलोक चतुर्वेदी
उमेश प्रकाशन
100, लूकरगंज, इलाहाबाद





























Saturday, May 2, 2009

6-7 जून को जुटेगें देश के प्रख्यात साहित्यकार

रचनाकारों को सृजनगाथा अलंकरण


रायपुर । छत्तीसगढ़ की पहली और साहित्य, संस्कृति एवं भाषा की अंतरराष्ट्रीय मासिक वेब पत्रिका सृजनगाथा डॉट कॉम द्वारा दिये जाने वाला प्रतिष्ठित और तृतीय सृजनगाथा सम्मान की घोषणा कर दी गई है । मीडिया की विभिन्न विधाओं में प्रतिवर्ष दिये जाने वाला यह सम्मान इस वर्ष सर्व श्री रवि भोई, रायपुर (पत्रकारिता), श्री महावीर अग्रवील, दुर्ग (लघुपत्रिका), श्री शिवशरण पांडेय, रायगढ़ (फ़ोटोग्राफ़ी), रणवीर सिंह चौहान, दंतेवाड़ा (वेब-पत्रकारिता), मिर्जा मसूद, रायपुर (रेडियो), राजेश मिश्रा, रायपुर (इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता), अशोक सिंघई, कमलेश्वर साहू भिलाई, एवं बी. एल. पॉल, कोरिया (साहित्य) को दिया जा रहा है । सृजनगाथा के संपादक जयप्रकाश मानस ने बताया है कि यह सम्मान सृजनगाथा डॉट कॉम के तीन वर्ष पूर्ण होने पर 7 जून, 2009 को एक समारोह में प्रदान किया जायेगा । उक्त अवसर पर संस्था द्वारा ‘नयी प्रौद्योगिकी और साहित्य की चुनौतियाँ’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के नामचीन आलोचक, कवि, संपादक सर्वश्री केदार नाथ सिंह (दिल्ली), नंदकिशोर आचार्य (जयपुर), विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (गोरखपुर), विजय बहादुर सिंह (कोलकाता), मैनेजर पांडेय (दिल्ली), प्रो. धनंजय वर्मा (भोपाल), नंदकिशोर आचार्य (जयपुर), अरुण कमल (पटना), कर्मेन्दु शिशिर (पटना), राजेश जोशी (भोपाल), लीलाधर मंडलोई (दिल्ली), विश्वजीत सेन (पटना), प्रभात त्रिपाठी (रायगढ़), डॉ. बलदेव (रायगढ़), हेमंत शेष (जयपुर), विश्वरंजन, व अनिल विभाकर (रायपुर) आदि शिरकत करेंगे ।
लघु पत्रिका ‘नई दिशाएँ’ के प्रधान संपादक एस. अहमद ने बताया कि पत्रिका के दो वर्ष पूर्ण होने पर इसी तारतम्य में समकालीन कविता के वरिष्ठ हस्ताक्षर विश्वरंजन की कविताओं पर केंद्रित संगोष्ठी 6 जून को होगी जिसमें ये सभी वरिष्ठ रचनाकार भाग लेंगे । संगोष्ठी का विषय ‘विश्वरंजन की कविता में राजनीतिक परिप्रेक्ष्य’ रखा गया है । इसके अलावा देश के ये वरिष्ठ कवि अपनी कविताओं का भी पाठ करेंगे । उक्त अवसर पर श्री विश्वरंजन की कृति के तीसरे संस्करण का विमोचन भी किया जायेगा ।

दो आलोचकों को प्रतिवर्ष प्रमोद वर्मा सम्मान
प्रमोद वर्मा की स्मृति में संस्थान का गठन



मुक्तिबोध, परसाई और श्रीकांत वर्मा के समकालीन तथा हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक प्रमोद वर्मा की स्मृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान का विधिवत पंजीयन किया गया है, जिसका विस्तार किया जायेगा । संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय आलोचना, साहित्य एवं शिक्षा पर केंद्रित संगोष्ठियों का आयोजन विभिन्न शहरों में किया जायेगा । हर साल किसी युवा और प्रतिभावान आलोचक को शोधवृत्ति भी प्रदान की जायेगी । इस अनुक्रम में इस वर्ष 10-11 जुलाई को रायपुर में आलोचना और प्रमोद वर्मा पर राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया जा रहा है । संस्थान द्वारा प्रमोद वर्मा के लिखित साहित्य का समग्र पाँच खंडों में प्रकाशन भी किया जा रहा है, जिसका संपादन श्री वर्मा के आत्मीय मित्र और कवि विश्वरंजन कर रहे हैं । यह कृति राजकमल प्रकाशन द्वारा छापी जा रही है । इसके अलावा श्री वर्मा की स्मृति में दो राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्रारंभ किये जा रहे हैं । इसका उद्देश्य हिंदी में उस स्वस्थ आलोचना कर्म का सम्मान है जिनसे अपने समय के साहित्य, साहित्यकार और पाठक यानी मनीषा को नयी संचेतना और नयी दिशा से जुड़ने का द्वार खुलता हो । इस पुरस्कार के अंतर्गत दो आलोचकों को उनकी आलोचनात्क कृति या कर्म के लिए सम्मानित किया जायेगा। पुरस्कार के अंतर्गत दो चयनित आलोचकों को 10-11 जुलाई, 2009 को रायपुर में आयोजित दो दिवसीय साहित्य समारोह में 11,000 एवं 7,000 हज़ार नगद सहित प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं प्रमोद वर्मा समग्र की एक-एक प्रति प्रदान किया जायेगा । पुरस्कारों का चयन निर्णायक मंडल द्वारा किया जायेगा जिसमें श्री केदार नाथ सिंह, दिल्ली, डॉ. विजय बहादुर सिंह, कोलकाता, डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, गोरखपुर, प्रो. धनंजय वर्मा, भोपाल एवं श्री विश्वरंजन तथा संयोजक जयप्रकाश मानस, रायपुर हैं । संस्थान के संयोजक ने बताया है कि इसके लिए प्रविष्टि बुलायी गई है । प्रथम वर्ग के अंतर्गत आलोचक को अपनी प्रकाशित कृति (साहित्य-आलोचना) की दो प्रतियाँ भेजना होगा जो किसी भी अवधि में प्रकाशित हों । द्वितीय वर्ग के अंतर्गत युवा आलोचक को अपनी प्रकाशित कृति (साहित्य-आलोचना) की दो प्रतियाँ भेजना होगा जो 2000 से 2009 की अवधि में प्रकाशित हों । ऐसी कृतियों के प्रकाशक, पाठक, संस्थायें भी उक्तानुसार प्रविष्टि भेज सकते हैं । प्रविष्टि के साथ आलोचक का बायोडेटा एवं छायाचित्र आवश्यक होगा । प्रविष्टि प्राप्ति की अंतिम तिथि – 30 मई, 2009 रखी गयी है । प्रविष्टि प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, सी-2/15, न्यू शांति नगर, रायपुर, छत्तीसगढ़ के पते पर भिजवायी जा सकती है ।

जयप्रकाश मानस/एस. अहमद