समझौता
- श्यामल सुमन
यूँ तो हम हर साल होली मनाते हैं,
रावण के पुतले को पटाखों से सजाकर,
सामूहिक उत्सव में धूमधाम से जलाते हैं।
पटाखों की हर आवाज के साथ,
रावण अट्टाहास करता है,
क्योंकि भारत में कई कलियुगी रावण,
बड़े मजे से राज करता है।।
होकर व्यथित राम ने सोचा,
कुछ न कुछ अब करना होगा।
जल्द से जल्द किसी तरह भी,
राम के खाली पदों को भरना होगा।।
क्योंकि हर रावण के पीछे राम चाहिए,
अंगद और हनुमान चाहिए।
रावण बोला हे राम,
तू व्यर्थ देख रहा है सपना।
इतने बरस बीत गए,
क्या बनबा सका तू मंदिर अपना।।
राम बोला हे दशकंधर,
तेरी संख्या लगातार बढ रही है अंदर अंदर।
मेरे भक्त मेरे ही रथ पे होकर सवार,
कर दिया मुझको बेबस और लाचार।।
हे दशानन,
तेरे विचार लगते अब पावन।
तुम्हीं बताओ कोई राह,
जो पूरा हो जन जन की चाह।।
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
रावण के पुतले को पटाखों से सजाकर,
सामूहिक उत्सव में धूमधाम से जलाते हैं।
पटाखों की हर आवाज के साथ,
रावण अट्टाहास करता है,
क्योंकि भारत में कई कलियुगी रावण,
बड़े मजे से राज करता है।।
होकर व्यथित राम ने सोचा,
कुछ न कुछ अब करना होगा।
जल्द से जल्द किसी तरह भी,
राम के खाली पदों को भरना होगा।।
क्योंकि हर रावण के पीछे राम चाहिए,
अंगद और हनुमान चाहिए।
रावण बोला हे राम,
तू व्यर्थ देख रहा है सपना।
इतने बरस बीत गए,
क्या बनबा सका तू मंदिर अपना।।
राम बोला हे दशकंधर,
तेरी संख्या लगातार बढ रही है अंदर अंदर।
मेरे भक्त मेरे ही रथ पे होकर सवार,
कर दिया मुझको बेबस और लाचार।।
हे दशानन,
तेरे विचार लगते अब पावन।
तुम्हीं बताओ कोई राह,
जो पूरा हो जन जन की चाह।।
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
No comments:
Post a Comment