Sunday, July 20, 2008

युग मानस में अब सभी विधाओं की रचनाएँ प्रकाशित होंगी

युग मानस अब शीघ्र ही सभी विधाओं की रचनाओं से आपको स्वागत करेगा । मौलिक अप्रकाशित रचनाओं को वरीयता दी जाएगी । उत्कृत प्रकाशित रचनाएँ भी भेजी जा सकती हैं । चूँकि यह अव्यावसायिक अनुष्ठान है, रचनाकारों को मानदेय देना संभव नहीं है ।

2 comments:

Divya Narmada said...

स्वागतेय नीति, मैं श्रीघ्र ही रचनाएं भेजूंगा.

देवदत्त प्रसून said...

ईश्वर करे,अगले वर्ष फिर होली तक सारे पर्व साथ मनायें !!
अथ,अच्छी रचनाधर्मिता के लिये वधाई !!