‘राजभाषा साधन’ कंपैक्ट डिस्क के बहाने अपनी बात
राजभाषा के रूप में संवैधानिक मान्यता प्राप्त हिंदी भाषा भारत की बहु प्रचलित भाषा है । वैश्विक धरातल पर भी इसके विस्तार एवं विकास की संभावनाएँ नज़र आ रही हैं । जहाँ एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिकों को अपने राष्ट्र की विरासत के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए वहीं विश्व स्तर पर पहचान के लिए अपनी भाषा एवं अपनी संस्कृति के प्रति भी विशेष गौरव होना आवश्यक है । विश्व में हिंदी हमारी अस्मिता का प्रतीक है । भारत सरकार की राजभाषा नीति के आलोक में सरकारी कामकाज हिंदी का प्रयोग करना सरकारी कर्मियों का नैतिक दायित्व है । इस दायित्व को निभाने में किसी बहाने कोई छूट नहीं लिया जाना चाहिए । संवैधानिक प्रावधानों के प्रति हमें प्रतिबद्ध होना ज़रूरी है । वैश्वीकरण के इस दौर में भी हमें दूसरी राय की ज़रूरी नहीं है । हिंदी विश्व भाषा के रूप में विकसित होने के लिए योग्य, सक्षम व साधन संपन्न भाषा है । इसके विस्तार व विकास से दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा बढ़ेगी । हिंदी भारत में किसी एक प्रदेश या बोली से विकसित भाषा नहीं है । इसमें भारत की समस्त भाषाओं की सुगंध फैली हुई है । भूमंडलीकरण के दौर में वैश्विक धरातल पर भारतीय अस्मिता के लिए इसके विस्तार एवं विकास के लिए संकल्पबद्ध होना प्रत्येक भारतवासी का कर्त्तव्य है ।
सूचना-प्रौद्योगिकी ने आज हमारे जीवन के समस्त पहलुओं को प्रभावित किया है । भाषाओं के विकास की दिशा में यह वरदान साबित हुआ है । सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों का ध्यान भाषाओं की ओर भी आकृष्ट हुआ है । परिणामतः भाषाओं के विकास में उपयोगी कई उपकरण इनके द्वारा विसकित किए गए हैं । इनके प्रयोग से हम अपने कामकाज में गतिशीलता एवं गुणात्मकता सुनिश्चित कर सकते हैं । राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रयोग, प्रचार-प्रसार के लिए आज कई साधन उपलब्ध हैं । ऐसे साधनों एवं उपकरणों के प्रति जागरूकता के अभाव में इनका प्रयोग एवं सदुपयोग नहीं हो पाता है ।
आज भाषाई अनुप्रयोगों के लिए विकसित उपकरणों की संख्या सैकडों में है । भाषाओं के बहु आयामी विकास एवं प्रयोग के लिए ऐसे उपकरण कारगर साबित हुए हैं । विकसित तकनीकों का ही प्रयोग करते हुए अत्यंत कम खर्च से अधिकाधिक उपयोगी साधन ‘राजभाषा साधन’ के नाम से इस कंपैक्ट डिस्क के रूप में उपलब्ध कराने का विनम्र प्रयास मैंने किया है । इससे नराकास के सदस्य-कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन के लिए उपयोगी साधन उपलब्ध रहना सुनिश्चित हो पाएगा । मेरे इस कार्य के लिए नराकास, कोयंबत्तूर के अध्यक्ष महोदय श्री के. श्रीनिवासन जी ने सहर्ष स्वीकृति दी है तथा संरक्षण भी प्रदान किया है । उनके प्रोत्साहन एवं कई कार्यालयों की मांग के फलस्वरूप यह सी.डी. आपके प्रयोग के लिए इस रूप में प्रस्तुत है । इसमें संकलित तमाम साधन एवं उपकरण वैसे अंतरजाल पर सहज ही उपलब्ध हैं । मिसाल के तौर पर एकाध उपयोगी उपकरण मैंने इस सी.डी. में शामिल किया है । ऐसे उपकरणों की जानकारी एवं जागरूकता के अभाव अथवा कार्यालयों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध न होने जैसे कारणों से इन साधनों का समुचित उपयोग करने से कई राजभाषा कर्मी वंचित रह जाते हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में उपयोगी महत्वपूर्ण जानकारी, राजभाषा विभाग द्वारा जारी पुस्तकें, वार्षिक कार्यक्रम, हिंदी भाषा एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण कैलेंडर, परिपत्र, वेब साइट पर उपलब्ध कराई गई जानकारी, विभिन्न प्रपत्र आदि के अलावा हिंदी भाषाई ज्ञान को विकसित करने हेतु उपयोगी एकाध पुस्तकें भी ई-पुस्तकों के रूप में अंतरजाल से संग्रहित करके इसमें संकलित किया है । राजभाषा विभाग तथा अन्य सरकारी एवं निजी वेबसाइटों पर ये चीजें डाउनलोड हेतु उपलब्ध हैं । सदस्य कार्यालयों द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति से नराकास को अवगत कराने हेतु निर्धारित प्रश्नावलियों, प्रपत्रों को भी इसमें संकलित किया है । भाषाई अनुप्रयोगों में मुख्यतः अनुवाद कार्य हेतु भारत सरकार का उपक्रम प्रगत संगणन विकास केंद्र द्वारा विकसित ‘मंत्र’ साफ्टवेयर संस्थापन के लिए उपयोगी उपकरण भी सी.डी. में संकलित हैं । कंप्यूटर व इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं के सक्षम प्रयोग में उपयोगी यूनिकोड फांट अनुप्रयोगों के लिए अपेक्षित कुछ उपकरण, मदद व उनका संपर्क भी इस सी.डी. में मैंने संकलित किया है । इन सबके अलावा राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन के लिए को प्रेरित व उत्साहित करने तथा हिंदी प्रयोग व प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने में उपयोगी सामग्री भी इसमें शामिल है ।
आशा एवं विश्वास है, इस सी.डी. का सही रूप में उपयोग करते हुए भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में गतिशीलता लाने तथा हिंदी प्रयोग एवं प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने का भरपूर प्रयास अवश्य किया जाएगा । इस संकलन के संबंध में आपकी प्रतिक्रियाओं का सादर स्वागत है ।
- डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य-सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), क.भ.नि. संगठन, कोयंबत्तूर
Friday, June 13, 2008
‘राजभाषा साधन’ कंपैक्ट डिस्क के बहाने अपनी बात
Thursday, June 12, 2008
राजभाषा के पंख लगेंगे सालिम अली पक्षि विज्ञान केंद्र को
पक्षि विज्ञान केंद्र में अब हिंदी उड़ान भरेगी
26 मई, 2008 को मुझे सालिम अली पक्षि-विज्ञान एवं प्रकृति-विज्ञान केंद्र (Sálim Ali Centre for Ornithology and Natural History) देखने का सौभाग्य मिला । सुख्यात पक्षि-विज्ञानी डॉ. सालिम अली (1896 – 1987) की स्मृति में आनैकट्टी कोयंबत्तूर में 1990 में स्थापित यह केंद्र पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त केंद्र है । पक्षियों को केंद्रीय विषय बनाकर शोध, शिक्षा एवं जन सहभागिता द्वारा भारत के जैव-वैविद्य के संरक्षण तथा उसके उपयोग में मदद करना इस संस्था का संकल्पभाव है । हरियाली से भरी घाटियों के बीच स्थित यह केंद्र मनमोहक प्राकृतिक संपदा से सुशोभित है ।
चूँकि यह भारत सरकार की संस्था है और इसका एक राष्ट्रीय महत्व भी है, इसमें राजभाषा हिंदी का प्रयोग, प्रचार-प्रसार का अपना महत्व है । इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए मैंने नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत इस केंद्र को समिति का सदस्य बनने के लिए प्रेरित किया था । तदनुसार जो भी पत्र साकोन (SACON) की सेवा में भेजे गए उनका तत्काल जवाब देते हुए एर्ली बर्ड का उदाहरण स्थापित किया गया है । वास्तव में इस केंद्र में हिंदी के कार्यसाधक ज्ञान रखनेवाले कर्मियों की नितांत कमी है, मगर सब हिंदी सीखने में रुचि रखते हैं । इस केंद्र के कनिष्ठ प्रशासनिक प्रबंधक श्री आर. जय कुमार जी ने सबसे पहले हिंदी सीखने की इच्छा जाहिर की है । वैसे वायु सेना से सेवा-निवृत्त होने के कारण वे हिंदी अच्छी हिंदी बोल तो लेते हैं, मगर लिखना एवं पढ़ना भी तुरंत सीखना भी चाहते हैं । एक निष्ठावान प्रशासनिक अधिकारी के रूप में हिंदी के प्रति सकारात्मक भावना रखने वाले जय कुमार जी निश्चय ही अनुकरणीय आदर्श हैं ।
इस केंद्र के निदेशक प्रभारी डॉ. पी.ए. अजीज जी भी हिंदी जानते हैं और अपने दायित्व को ध्यान में रखते हुए केंद्र में हिंदी कार्यान्वयन के लिए वे तत्पर नज़र आए । उन्होंने हिंदी कार्यान्वयन के लिए अपेक्षित सभी कदम उठाने का आश्वासन दिया । उचित मार्ग-दर्शन के अभाव में कई मामलों में राजभाषा अनुपालन से वंचित यह केंद्र एक मामले में तो निश्चय ही अनुकरणीय है । यह अनुकरणीय तथ्य है कि इस केंद्र की वार्षिक रिपोर्ट नियमित रूप से हिंदी में भी जारी की जा रही है । अब धीरे-धीरे सभी मामलों में राजभाषा कार्यान्वयन सुनिश्चित करने हेतु कदम बढ़ाते हुए इस केंद्र ने राजभाषा को भी पंख जोड़ दिया है । निश्चय ही यह केंद्र इस दिशा में प्रगति की ओर बढ़ेगी, ऐसा मेरा विश्वास है ।
केंद्र के विभिन्न विभागों का दौरा करते हुए मैंने डॉ. एस. मुरलीधरन जी से भी मुलाक़ात की जो इस केंद्र में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं पारिस्थिति-विष-विज्ञान विभाग के प्रधान हैं । डॉ. मुरलीधरन जी से बोलते हुए मैंने महसूस किया कि मैं कोई हिंदी भाषी से ही बोल रहा हूँ । वे इतनी अच्छी हिंदी बोल लेते हैं । चर्चा के दौरान मुरली जी ने मेरे इस बात से सहमत थे कि भारतीय वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे अपनी शोधाध्यनों के परिणाम भारतीय भाषाओं के माध्यम से करें । इससे विज्ञान के साथ लोगों का लगाव बढ़ेगा, तब जाकर वैज्ञानिकों के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पूर्ति में जन सहयोग भी संभव है ।
इस केंद्र के विभिन्न विभागों के नामपट्ट हिंदी में भी प्रदर्शित करने की सलाह मैंने दी, जिसे निदेशक महोदय ने तत्काल सहर्ष स्वीकृति दी । इनके अनुवाद कार्य में मेरी ही मदद मांगी गई । मैंने सभी आवश्यक नामपट्टों, रबड़ मुहरों का अनुवाद किया है । इनका अनुवाद करते हुए मैंने महसूस किया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (माध्यमिक एवं उच्चतर शिक्षा विभाग) के तहत सक्रिय आयोग – वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा प्रकाशित विभिन्न शब्दावलियों के संकलनों की सूची तो उपलब्ध है । तमाम शब्दावली भी डाउनलोड अथवा देखने हेतु वेबसाइट पर उपलब्ध करा देते तो हिंदी के प्रयोग एवं प्रगति की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा । सालिम अली पक्षि-विज्ञान एवं प्रकृति-विज्ञान केंद्र के लिए मैंने जो भी अनुवाद किए है उनमें से कुछ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शब्दों का उल्लेख यहाँ कर रहा हूँ जो उस केंद्र के मुख्य विभागों एवं कार्यों के नाम, अधिकारियों के पदनाम भी हैं ।
Environmental Impact Assessment - पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन
Eco-toxicology - पारिस्थितिकी विष विज्ञान
Landscape Ecology- भू-दृश्य पारिस्थितिकी
Conservation Ecology - संरक्षण पारिस्थितिकी
Nature Education Officer - प्रकृति शिक्षा अधिकारी
Director in charge - निदेशक प्रभारी
Sr. Principal Scientist - वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक
Senior Scientist - वरिष्ठ वैज्ञानिक
Site Engineer - स्थल अभियंता
इस केंद्र में शोधाध्यन के लिए कई छात्र आते रहते हैं । उन सबका शोध मुख्यतः संबद्ध वैज्ञानिक विषयों पर ही केंद्रित होता है । हिंदी प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय के विज्ञान विषय के शोधार्थी इस केंद्र में पधार कर उपयुक्त शब्दावलियों पर भी शोध-कार्य करें तो इस केंद्र द्वारा समय समय पर प्रकाशित होने वाले वैज्ञानिक शोध-परिणामों को हिंदी में भी प्रकाशित करने में सुविधा हो सकती है । हिंदी भाषी विज्ञान विषयक छात्रों, शोधार्थियों एवं हिंदी प्रेमियों से मेरा अनुरोध है विज्ञान का प्रचार-प्रसार भारतीय भाषाओं के माध्यम करने में अपना भरपूर योगदान सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़े । तब निश्चय ही भारतीय भाषाएँ उनके योगदान के प्रति कृतज्ञ बन पाएंगी । आपकी सूचना हेतु सालिम अली केंद्र का संपर्क यहाँ दे रहा हूँ –
सालिम अली पक्षि-विज्ञान एवं प्रकृति-विज्ञान केंद्र
Sálim Ali Centre for Ornithology and Natural History
आनैकट्टि/Anaikatty (Post)
कोयंबत्तूर/Coimbatore – 641 108
दू.भाः91-422-2657102-105 फैक्सः91-422-2657101
http://www.sacon.org