Friday, June 13, 2008

‘राजभाषा साधन’ कंपैक्ट डिस्क के बहाने अपनी बात



‘राजभाषा साधन’ कंपैक्ट डिस्क के बहाने अपनी बात


राजभाषा के रूप में संवैधानिक मान्यता प्राप्त हिंदी भाषा भारत की बहु प्रचलित भाषा है । वैश्विक धरातल पर भी इसके विस्तार एवं विकास की संभावनाएँ नज़र आ रही हैं । जहाँ एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिकों को अपने राष्ट्र की विरासत के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए वहीं विश्व स्तर पर पहचान के लिए अपनी भाषा एवं अपनी संस्कृति के प्रति भी विशेष गौरव होना आवश्यक है । विश्व में हिंदी हमारी अस्मिता का प्रतीक है । भारत सरकार की राजभाषा नीति के आलोक में सरकारी कामकाज हिंदी का प्रयोग करना सरकारी कर्मियों का नैतिक दायित्व है । इस दायित्व को निभाने में किसी बहाने कोई छूट नहीं लिया जाना चाहिए । संवैधानिक प्रावधानों के प्रति हमें प्रतिबद्ध होना ज़रूरी है । वैश्वीकरण के इस दौर में भी हमें दूसरी राय की ज़रूरी नहीं है । हिंदी विश्व भाषा के रूप में विकसित होने के लिए योग्य, सक्षम व साधन संपन्न भाषा है । इसके विस्तार व विकास से दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा बढ़ेगी । हिंदी भारत में किसी एक प्रदेश या बोली से विकसित भाषा नहीं है । इसमें भारत की समस्त भाषाओं की सुगंध फैली हुई है । भूमंडलीकरण के दौर में वैश्विक धरातल पर भारतीय अस्मिता के लिए इसके विस्तार एवं विकास के लिए संकल्पबद्ध होना प्रत्येक भारतवासी का कर्त्तव्य है ।
सूचना-प्रौद्योगिकी ने आज हमारे जीवन के समस्त पहलुओं को प्रभावित किया है । भाषाओं के विकास की दिशा में यह वरदान साबित हुआ है । सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों का ध्यान भाषाओं की ओर भी आकृष्ट हुआ है । परिणामतः भाषाओं के विकास में उपयोगी कई उपकरण इनके द्वारा विसकित किए गए हैं । इनके प्रयोग से हम अपने कामकाज में गतिशीलता एवं गुणात्मकता सुनिश्चित कर सकते हैं । राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रयोग, प्रचार-प्रसार के लिए आज कई साधन उपलब्ध हैं । ऐसे साधनों एवं उपकरणों के प्रति जागरूकता के अभाव में इनका प्रयोग एवं सदुपयोग नहीं हो पाता है ।
आज भाषाई अनुप्रयोगों के लिए विकसित उपकरणों की संख्या सैकडों में है । भाषाओं के बहु आयामी विकास एवं प्रयोग के लिए ऐसे उपकरण कारगर साबित हुए हैं । विकसित तकनीकों का ही प्रयोग करते हुए अत्यंत कम खर्च से अधिकाधिक उपयोगी साधन ‘राजभाषा साधन’ के नाम से इस कंपैक्ट डिस्क के रूप में उपलब्ध कराने का विनम्र प्रयास मैंने किया है । इससे नराकास के सदस्य-कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन के लिए उपयोगी साधन उपलब्ध रहना सुनिश्चित हो पाएगा । मेरे इस कार्य के लिए नराकास, कोयंबत्तूर के अध्यक्ष महोदय श्री के. श्रीनिवासन जी ने सहर्ष स्वीकृति दी है तथा संरक्षण भी प्रदान किया है । उनके प्रोत्साहन एवं कई कार्यालयों की मांग के फलस्वरूप यह सी.डी. आपके प्रयोग के लिए इस रूप में प्रस्तुत है । इसमें संकलित तमाम साधन एवं उपकरण वैसे अंतरजाल पर सहज ही उपलब्ध हैं । मिसाल के तौर पर एकाध उपयोगी उपकरण मैंने इस सी.डी. में शामिल किया है । ऐसे उपकरणों की जानकारी एवं जागरूकता के अभाव अथवा कार्यालयों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध न होने जैसे कारणों से इन साधनों का समुचित उपयोग करने से कई राजभाषा कर्मी वंचित रह जाते हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में उपयोगी महत्वपूर्ण जानकारी, राजभाषा विभाग द्वारा जारी पुस्तकें, वार्षिक कार्यक्रम, हिंदी भाषा एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण कैलेंडर, परिपत्र, वेब साइट पर उपलब्ध कराई गई जानकारी, विभिन्न प्रपत्र आदि के अलावा हिंदी भाषाई ज्ञान को विकसित करने हेतु उपयोगी एकाध पुस्तकें भी ई-पुस्तकों के रूप में अंतरजाल से संग्रहित करके इसमें संकलित किया है । राजभाषा विभाग तथा अन्य सरकारी एवं निजी वेबसाइटों पर ये चीजें डाउनलोड हेतु उपलब्ध हैं । सदस्य कार्यालयों द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति से नराकास को अवगत कराने हेतु निर्धारित प्रश्नावलियों, प्रपत्रों को भी इसमें संकलित किया है । भाषाई अनुप्रयोगों में मुख्यतः अनुवाद कार्य हेतु भारत सरकार का उपक्रम प्रगत संगणन विकास केंद्र द्वारा विकसित ‘मंत्र’ साफ्टवेयर संस्थापन के लिए उपयोगी उपकरण भी सी.डी. में संकलित हैं । कंप्यूटर व इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं के सक्षम प्रयोग में उपयोगी यूनिकोड फांट अनुप्रयोगों के लिए अपेक्षित कुछ उपकरण, मदद व उनका संपर्क भी इस सी.डी. में मैंने संकलित किया है । इन सबके अलावा राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन के लिए को प्रेरित व उत्साहित करने तथा हिंदी प्रयोग व प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने में उपयोगी सामग्री भी इसमें शामिल है ।
आशा एवं विश्वास है, इस सी.डी. का सही रूप में उपयोग करते हुए भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में गतिशीलता लाने तथा हिंदी प्रयोग एवं प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने का भरपूर प्रयास अवश्य किया जाएगा । इस संकलन के संबंध में आपकी प्रतिक्रियाओं का सादर स्वागत है ।
- डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य-सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), क.भ.नि. संगठन, कोयंबत्तूर

No comments: