Tuesday, December 4, 2012

चाँद पर पानी’ - श्रेष्ठतम लेखन की दिशा में गतिमान हैं कवयित्री आकांक्षा यादव



समीक्षा

चाँद पर पानी

श्रेष्ठतम लेखन की दिशा में गतिमान हैं कवयित्री आकांक्षा यादव


                समीक्ष्य बाल काव्य-कृति चाँद पर पानीकी रचनाकार आकांक्षा यादव की यह प्रथम बाल कृति बड़े मनोयोग से प्रस्तुत की गयी है। उद्योग नगर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस कृति में तीस बालोपयोगी कवितायें आद्यन्त तक प्रसारित हैं । ये बालमन की रुचि वाली हैं ही, इनके माध्यम से अल्पवयी पाठकों को पर्यावरण, पर्व, परिवेश, खेल, देशभक्ति, पशु-पक्षियों जैसे मानवेतर प्राणियों को तकनीकी के अतिरिक्त इलेक्ट्रानिक  विषयों की भी जानकारी दी गई है।

                कृति की संज्ञा इसकी प्रथम रचना चाँद पर पानीपर ही आधारित है। इस लघु रचना में बाल मनोविज्ञान का संस्पर्श अपने चरम पर है। बड़ी सरलता से बालिका कहती है कि-

चाँद पे निकला पानी,
सुनकर हुई हैरानी।

बड़ी होकर जाऊँगी,
पीने चाँद पर पानी। (चाँद पर पानी, पृ.सं.7)

    इस कमोवेष अविश्वसनीय कल्पना से ही ऊर्जान्वित होकर वह महत्वाकांक्षायें गढ़ने लगती है, सांकेतिक रूप से कहती है-असंभव शब्द को हमें अब कोई नया अर्थ देना होगा।

                ’मैं भी बनूंगा सैनिककी प्रारंभिक पंक्तियों में दशकों पूर्व की बहुश्रृत कवि माँ मुझे सैनिक बना दो/चाहता रणभूमि में जाना मुझे तलवार ला दोकी अनुगूँज पाठकों और श्रोताओं को पसंद आयेगी। रचना की आगे की पंक्तियों की रंजकता तथा मासूमियत कम हदयग्राही नहीं-

चुस्त वर्दी और लम्बे बूट,
उस पर पहनूँ आर्मी सूट।
मेरी तुम नजर उतारना,
तुम्हें करूँगा मैं सैल्यूट। (मैं भी बनूँगा सैनिक, पृ.सं. 8)

नटखट बंदर’ (पृ.सं. 13) तथा सूरज का संदेशरचनायें जीवन में परिश्रम, परोपकार की उपादेयता को रेखांकित करने के साथ-साथ सभी से सूर्य मानसिकता ग्रहण करने का आह्वान भी करती हैं। यथा-

जीवन में तुम सदा सभी के,
ज्ञान की ज्योति फैलाओ।
दूसरों के काम आकर,
परोपकारी कहलाओ। (सूरज का संदेश पृ.सं. 10)

आजकल के बच्चे बचपन से ही लैपटॉप पर खेलने लगे है। ऐसे में लैपटॉप के प्रति बाल आसक्ति उत्पन्न करने वाली कतिपय काव्य पंक्तियों का आस्वाद भी पाठक पसंद करेंगें-

लैपटॉप पापा जी लाए,
हम सबके यह दिल को भाए।
खेल खिलाए, ज्ञान बढ़ाए,
नई-नई ये बात बताए।

की बोर्डसे हो गई यारी,
माउसकी मैं करूँ सवारी।
मॉनीटरपर सब है दिखता,
कितना प्यारा है यह रिश्ता। (लैपटॉप, पृ.सं.12)

                कविता राखी का त्यौहार’, भाई और बहन के बीच दीर्घजीवी प्यार का वार्षिक पुनस्मरण है तो नव वर्ष का प्रथम प्रभातरचना में भी नववर्ष की पहली सुबह से लोक कल्याण की कामना की गई है-

नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
अच्छी-अच्छी बातें पढें।

कोई भूखा पेट न सोए,
संपन्नता के बीज बोए।

ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
दो सबको अच्छी सौगात। ( नव वर्ष का प्रथम प्रभात, पृ.सं. 20)

                तीस बाल गीतों से सुसज्जित इस कृति की लगभग सभी रचनायें सार्थकता की दृष्टि से उत्तमतर हैं। प्रत्येक को रुचिकर रेखाचित्रों से संबंलित करने के कारण किसी का भी मन उसे पढ़ना चाहेगा। मुझे विश्वास है कि यह कृति बच्चों और प्रौढ़ों के द्वारा समान रुचि से पढ़ी जायेगी।

कृति: चाँद पर पानी
कवयित्री: आकांक्षा यादव, टाइप 5  निदेशक बंगला, जी0पी00 कैम्पस, सिविल लाइन्स, इलाहाबाद (उ.प्र.) - 211001
प्रकाशन वर्ष: 2012
मूल्य: रु. 35/-पृष्ठ: 36
प्रकाशक : उद्योग नगर प्रकाशन, 695, न्यू कोट गांव, जी0टी0रोड, गाजियाबाद (उ0 प्र0)
समीक्षक: डॉ. कौशलेन्द्र पाण्डेय, 130, मारुतीपुरम्, लखनऊ   मो0: 09236227999

2 comments:

Dr. Mahendra Bhatnagar said...

रोचक गीत।
विषय, भाषा, बाल-मनोविज्ञान की दृष्टि से उत्कृष्ट।
*महेंद्रभटनागर
ग्वालियर
drmahendra02@gmail.com

Dr. Mahendra Bhatnagar said...

रोचक गीत।
विषय, भाषा, बाल-मनोविज्ञान की दृष्टि से उत्कृष्ट।
*महेंद्रभटनागर
ग्वालियर
drmahendra02@gmail.com