श्री कृष्ण भजन
स्व. शांति देवी वर्मा
हरि को बन्ना बनावें
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
कमलनयन में कजरा लगावें, मीठी-मीठी करें बतियाँ.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
कान्हा को कण में कुंडल पिन्हावें, नाक सुहाए नथुनिया.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
हरि को पान का बीडा खिलावें, लगते अधर कमल कलियाँ.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
किशन-कंठ में हार सुहाए, बांह बाजूबंद नौनगिया.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
दोउ तन मां कंगना बांधे, मेंहदी रचाएं रंगीली सखियाँ.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
धोकर पैर खडाऊं पिन्हावें, पहने न- छेड़ें गोपाल रसिया.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
अंग सजाये धोती-अंगरखा, श्याम-पीट छवि भली बनिया.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
शीश मोर का मुकुट सजावें, बेला चमेली जुही की कलियाँ.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
वनमाली है चित्त-चुरैया, 'शान्ति' पांय सबकी अँखियाँ.
हरि को बन्ना बनावें, गोकुल की गुपियाँ...
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प्रस्तुति - आचार्य संजीव सलिल
1 comment:
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...जय श्रीकृष्ण !!
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