आज मैंने अपना ब्लाग युग मानस के नाम से शुरू किया है । मानवीय मूल्यों के विकास के लिए समर्पित यह ब्लाग भारतीय भाषाओं के संवर्धन आदि के लिए भी उपयोग करूँगा । 2 अक्तूबर, 1996 को युग मानस का अनुष्ठान साहित्यिक त्रैमासिकी के रूप में गुंतकल (आंध्र प्रदेश) से हुआ था । 2004 के मध्य तक सक्रिय रहा । कई विडंबनाओं के कारण मेरी मानस पुत्री 2004 पुनर्जीवित नहीं हो पा रही थी । इस ब्लाग स्पाट की कृपा से पुनः इस रूप में युग मानस सक्रिय हो रहा है । आप सबके अमूल्य सुझावों एवं प्रतिक्रियाओं का स्वागत है ।
Today I have initiated my blog in the name of YUG MANAS. This blog will be devoted for the humanitarian values and promotion of Indian Languages etc. I started preaching of the values through Yug Manas, a literary quarterly on 2nd October, 1996 from Guntakal (Andhra Pradesh). It was very much active up to mid 2004. Due to many unavoidable reasons my Manas could not be activated since 2004. I am thankful for this blog spot that YUG MANAS is reviving in this shape today. Your valuable suggestions and responses are invited.
Sunday, April 22, 2007
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1 comment:
Thank you for visiting my site. Unfortunately, I´ve written my recipes in Indonesien. I could not understand your languange, too.
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