Wednesday, October 25, 2017
बाल कविता
Tuesday, October 24, 2017
बाल कविताएँ ...... - डॉ.प्रमोद सोनवानी " पुष्प "
बाल कविता .. "चलो मंगल ग्रह में "
Tuesday, March 19, 2013
बाल कविता: जल्दी आना ...

बाल कविता:
Sunday, November 18, 2012
शिशु गीत सलिला : 1
Wednesday, November 14, 2012
बाल कविता - चाचा नेहरू की याद में..
Thursday, March 22, 2012
कविता - संस्कृत अमृत
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Tuesday, November 2, 2010
बाल मानस
एम.डी. सादिक, चेन्नई की दो कविताएँ
आप कर सकते हैं... लेकिन
आप बेच सकते हैं
कुछ भी
आप खो सकते हैं
कुछ भी
आप कर सकते हैं
कुछ भी
लेकिन खोना नहीं
माँ, मातृभाषा और मातृभूमि को ।
योग्यता
डॉक्टर के लिए एमबीबीएस
वकील के लिए एलएलबी
कलेक्टर-आईएएस
लेकिन एक राजनेता बनने के लिए ?
Friday, July 24, 2009
बाल दोहे

पेंग्विन सबकी मीत है
- आचार्य संजीव 'सलिल'
बर्फ बीच पेंग्विन बसी, नाचे फैला पंख ।
करे हर्ष-ध्वनि इस तरह, मानो गूँजे शंख ।।
लंबी एक कतार में, खड़ी पढ़ाती पाठ ।
अनुशासन में जो रहे, होते उसके ठाठ ।।
श्वेत-श्याम बाँकी छटा, सबका मन ले मोह ।
शांति इन्हें प्रिय, कभी भी, करें न किंचित क्रोध ।।
यह पानी में कूदकर, करने लगी किलोल ।
वह जल में डुबकी लगा, नाप रही भू-गोल ।।
हिम शिखरों से कूदकर, मौज कर रही एक ।
दूजी सबसे कह रही, खोना नहीं विवेक ।।
आँखें मूँदे यह अचल, जैसे ज्ञानी संत ।
बिन बोले ही बोलती, नहीं द्वेष में तंत ।।
माँ बच्चे को चोंच में, खिला रही आहार ।
हमने भी माँ से 'सलिल', पाया केवल प्यार ।।
पेंग्विन सबकी मीत है, गाओ इसके गीत ।
हिल-मिलकर रहना सदा, 'सलिल' सिखाती रीत ।।
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Sunday, July 12, 2009
बाल मानस
बाल गीत
- संजीव 'सलिल'
रुन-झुन करती आयी पारुल.
सब बच्चों को भायी पारुल.
बादल गरजे, तनिक न सहमी.
बरखा लख मुस्कायी पारुल.
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल.
गिरी-उठी, पानी में भीगी.
सखियों सहित नहायी पारुल.
मैया ने जब डांट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल.
छप-छप खेले, ता-ता थैया.
मेंढक के संग धायी पारुल.
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी.
भिगा-भीग मस्तायी पारुल.