Friday, October 11, 2024

डॉ. गार्गी गुप्त द्विवागीश पुरस्कार से सम्मानित होंगे दिनेश कुमार माली जी

डॉ. गार्गी गुप्त द्विवागीश पुरस्कार से सम्मानित होंगे दिनेश कुमार माली जी

 

ओड़िया और हिंदी के बीच सेतु की विराट भूमिका के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान

 

 



 

सारस्वत साधक श्री दिनेश कुमार माली जी भारतीय अनुवाद परिषद के प्रतिष्ठित डॉ. गार्गी गुप्त द्विवागीश राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होंगे ।  माली जी को भारतीय अनुवाद परिषद, नई दिल्ली के महासचिव डॉ. पूरनचंद टंडन से प्राप्त पत्र में यह सूचना दी गयी है कि निर्णायक मंडल द्वारा वर्ष 2019-2020 के लिए उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुन लिया गया है ।  इस पुरस्कार के अंतर्गत 21,000/- रुपए की राशि का चैक, शॉल, प्रशस्ति-पत्र, प्रतीक- चिह्न तथा अविस्मरणीय सम्मान प्रदान किया जाएगा ।  सम्मान समारोह की तिथि व स्थान की सूचना शीघ्र ही दी जाएगी ।  यह पुरस्कार हिंदी में रचित अनुवाद-सिद्धांत और कला विषयक मौलिक पुस्तक को प्रतिवर्ष सम्मान प्रदान किया जाता है ।

 

दिनेश कुमार माली जी उड़िया साहित्य की उत्कृष्ट स्रोतस्विनी गंगा हिंदी पाठकों को सुलभ कराने का कार्य साहित्य के अनुसृजन के माध्यम से विगत दो दशकों से लगातार कर रहे हैं ।  तीस से अधिक विभिन्न विधाओं की रचनाओं के हिंदीकरण की उनकी साधना अनन्य, प्रणम्य, स्तुत्य व अनुकरणीय है ।  भारत भारती की सारस्वत साधना में माली जी जैसे साधकों की बड़ी आवश्यकता है, जिनके माध्यम से तमाम भाषाओं की रचनाएँ हिंदी में तथा सभी भारतीय भाषाओं में अनुसृजित होकर प्रत्येक भाषा की रचना सभी भारतीय भाषाओं में आस्वादित करने का सौभाग्य सुलभ हो  पाएगा । 

 

दिनेश कुमार माली शब्द योजना की दृष्टि से अपर शब्द-शिल्पी हैं ।  गद्यानुवाद की अद्भुत क्षमता के अलावा काव्यानुवाद में वे सिद्धहस्त हैं ।  काव्यानुवाद में गेयात्मकता का गुण वे सहज ही जोड़ देते हैं । माली जी द्वारा अनूदित कृतियों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि अतुकांत को तुकांत बनाने में उनकी अपार प्रतिभा    है ।  भाषा में प्रवाह, प्रौढ़ता के साथ चमत्कारिक शब्द-प्रयोगों उनकी अद्भुत प्रतिभा है ।  कुशल अनुवाद माली जी ने ओड़िया के अलावा संबलपुरी-कोसली, अंग्रेज़ी से भी कई रचनाओं का अनुवाद किया है ।

 

श्री दिनेश कुमार माली जी समूचे भारतवर्ष व दुनिया के कई देशों के हिंदी पाठकों के बीच सुख्यात हैं ।  वे अपनी सर्जना के माध्यम से हिंदी भाषा के संवर्धन में विशिष्ट योगदान दे रहे हैं ।  हिंदी लेखन, हिंदी पत्रकारिता तथा प्रशासनिक कामकाज में हिंदी के प्रयोग व प्रचार-प्रसार में उनका बड़ा योगदान है ।  भारतीय संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों के प्रसार हेतु समर्पित साहित्यकार श्री दिनेश कुमार माली साहित्यिक साधना के माध्यम से हिंदी साहित्य को सुसमृद्ध कर रहे हैं।  कवि, उपन्यासकार, आलोचक, अनुवादक, अनुसंधाता तथा राजभाषा व राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी भाषा को सुसमृद्ध करने के लिए वे लगातार साहित्यिक जगत को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।

 

श्री दिनेश कुमार माली जी हिंदी के संवर्धन, प्रचार-प्रसार में अतिविशिष्ट योगदान दे रहे हैं । उनकी चार दर्जन से अधिक कृत्रियाँ प्रकाशित हुई हैं।  एक आलोचक के रूप में स्वस्थ आलोचना परंपरा को स्थापित करते हुए कवि उद्भ्रांत की उत्कृष्ट रचनाओं की आलोचना के अलावा पर्यावरणीय आलोचना और ओड़िया साहित्य की आलोचना में भी उन्होंने विशिष्ट योगदान दिया है ।  पेश से इंजीनीयर व खनन विशेषज्ञ दिनेश माली जी तालचेर स्थित महानदी कोल फील्ड्स, तलचेर, ओड़िसा में महाप्रबंधक के पद पर सेवारत हैं ।

 

दिनेश माली जी की प्रकाशित साहित्यिक कृतियाँ हैं – न हन्यते (एक श्रद्धांजलि)’(1998),‘पक्षीवास (ओड़िया उपन्यास का अनुवाद)’(2010)(यश पब्लिकेशन, नई दिल्ली से प्रकाशित),‘रेप तथा अन्य कहानियाँ (ओड़िया कहानियों का अनुवाद)(2011) (राजपाल एंड संस, नई दिल्ली से प्रकाशित)’, ‘बंद-कमरा(ओड़िया उपन्यास का अनुवाद)(2011),(राजपाल एंड संस, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित)’, ओड़िया भाषा की प्रतिनिधि कविताएं (2011)(यश पब्लिकेशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित), सरोजिनी साहू की दलित कहानियाँ (2012)(यश पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली), जगदीश मोहंती की श्रेष्ठ कहानियाँ (2012)(बोधि प्रकाशन ,जयपुर से प्रकाशित ), ओड़िया भाषा की प्रतिनिधि कहानियाँ (2014)(यश पब्लिकेशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित), चीन में सात दिन(यात्रा-संस्मरण)(2015), बीच में छाया (ओड़िया कहानी-संग्रह का हिंदी अनुवाद),(2015), अपना-अपना कुरुक्षेत्र (ओड़िया उपन्यास का हिंदी अनुवाद) (2015), सप्तरंगी सपने (संबलपुरी कविता संग्रह का हिंदी अनुवाद) (2016), मेरा तालचेर (स्थानीय कविताओं का संग्रह) (ऑनलाइन गाथा, लखनऊ से प्रकाशित)(2016), चकाडोला की ज्यामिति(बिरंचि महापात्रा की कविताएं)(2016), डॉ विमला भंडारी की रचनाधर्मिता (आलोचना पुस्तक)(2016), साहित्यिक सफर का एक दशक (समीक्षा-साक्षात्कार-संस्मरण-अनुवाद)(2016), शिखर तक संघर्ष (पूर्व कोयला सचिव श्री प्रकाश चन्द्र पारख की अँग्रेजी पुस्तक “क्रूसेडर ऑर कोन्स्पिरेटर?” का हिंदी अनुवाद) (2018), त्रेता: एक सम्यक मूल्यांकन (हिंदी के शीर्षस्थ कवि उद्भ्रांत के महाकाव्य त्रेता की आलोचना)(2018), सीमंतिनी (श्री ब्रहमशंकर मिश्रा के ओड़िया कविता संग्रह का हिंदी अनुवाद)(2018), स्मृतियों में हार्वर्ड (ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ओड़िया कवि श्री सीताकान्त महापात्र का हिंदी अनुवाद) (2018), विषादेश्वरी (डॉ सरोजिनी साहू के ओड़िया उपन्यास का हिंदी अनुवाद)(2018), अमावस्या का चाँद (बेरिस्टर गोविंद दास के ओड़िया उपन्यास का हिंदी अनुवाद)(2019), राधामाधव : एक समग्र मूल्यांकन ((हिंदी के शीर्षस्थ कवि उद्भ्रांत के महाकाव्य ‘राधामाधव’ त्रेता की आलोचना)(2019), दो कवि : एक दृष्टि (ओड़िया कवि डॉ॰ सीताकान्त महापात्र और हिंदी कवि डॉ॰ सुधीर सक्सेना का तुलनात्मक अध्ययन)(2019), मेरे लिए ओड़िशा(यात्रा-संस्मरण) (2019), हलधर नाग का काव्य संसार (पद्मश्री हलधर नाग की कविताओं का अनुवाद)(2020), सीता (नंदिनी साहू कृत अंग्रेज़ी महाकाव्य का हिंदी अनुवाद)((2020) । (इनके अलावा निम्नसूचित कृतियाँ भी प्रकाशित हुई हैं) हलधर नाग का काव्य संसार (पद्मश्री हलधर नाग की कविताओं का अनुसृजन) (2020), सीता (नंदिनी साहू कृत अंग्रेज़ी महाकाव्य का हिंदी अनुवाद) (2020), कालजयी ओड़िया कहानियाँ (2021), महिषासुर का मुँह (2021), अनाद्यसूक्त आलोचना (2021), मिथकीय सीमा से परे : रुद्रावतार (आलोचना) (2021), हलधर नाग के लोक-साहित्य पर विमर्श (2021), रामायण-प्रसंगों पर हलधर नाग के काव्य एवं युगीन विमर्श (2022), झड़ पक्षी के गीत (2022), कृष्ण चरित पर आधारित हलधर नाग का महाकाव्य प्रेम-पहचान (2023), अदिति की आत्मकथा (2023), अंध-कंध कवि (भीम भोई की आत्म कथा) (2023), गांधी महात्मा एवं सत्यधर्मी – कुछ अनन्य प्रसंग (2024), पिताओं और पुत्रों की (कविता–संग्रह) (2024), सौंदर्य जल में नर्मदा – एक पर्यावरणीय आलोचना (2024), A Relegated Life Story: A FICTIONAL PORTRAYAL OF SAINT-POET BHIM BHOI (2024), Folklores of Kumaon (Original in Hindi by Prof. Prabha Pant (2024), सीता विमर्श (संपादित आलेख संकलन)(2024), रश्मि-लोचन (संत कवि भीम भोई के जीवन पर आधारित उपन्यास)(2024) आदि । श्री दिनेश कुमार माली जी के बारे में https://www.dineshkumarmali.in/ से हासिल की जा सकती है ।

 

राजस्थान में जन्मे निष्ठावान साहित्य साधक श्री दिनेश माली जी के ओड़िया, हिंदी व अंग्रेज़ी साहित्यिक अवधान के आलोक में प्रतिष्ठित डॉ. गार्गी गुप्त द्विवागीश राष्ट्रीय पुरस्कार चयनित होने पर साहित्यिक दुनिया ने उन्हें बधाइयाँ दी हैं ।  विगत तीन दशकों में हिंदी साहित्य जगत के लिए निरंतर दिनेश कुमार माली जी के बहुआयामी अवधान के लिए प्राप्त कई पुरस्कार, सम्मान, उपाधियों के क्रम में यह एक विशिष्ट अनुवाद पुरस्कार है ।  गतिशील साहित्य सेवी दिनेश माली जी को ‘युग मानस’ का हार्दिक अभिनंदन ।