राजभाषा कर्मियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ...
- डॉ. सी. जय शंकर बाबु
छठे वेतन आयोग आयोग ने सचिवालयों तथा अधीनस्थ कार्यालयों के हिंदी कर्मियों को समान वेतना की सिफारिश की थी । इसकी जानकारी देते हुए राजभाषा कर्मियों की समग्र स्थिति के संबंध विस्तृत जानकारी युग मानस ने यहाँ दी थी । इसके बाद जब वेतनमान लागू हो ही गए, अधिकांश कार्यालयों में राजभाषा हिंदी कर्मी इससे वंचित रह गए थे । इस पर भी युग मानस ने यहाँ जिक्र किया था ।
आखिर अब राजभाषा कर्मियों की आशा पूरी होने वाली है । अब उन्हें न्यायोचित वेतन देने का मार्ग खुल गया सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के सही प्रयोग से ।
भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग के संयुक्त सचिव (कार्मिक) एवं अपील अधिकारी (सूचना अधिकार अधिनियम) मधुलिका पी. सुकुल द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार – “सरकार ने व्यय विभाग संकल्प क्रमांक.1/1/2008-आईसी, दि.29.8.2008 में दिए गए आशोधन के अधीन छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट को एक पैकेज के रूप में स्वीकृति दी है । तदनुसार, केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग के बाहर विभिन्न अधीनस्थ कार्यालयों में वर्तमान सदृश पदनाम वाले पदों के लिए भी केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग के अनुरूप वेतनमान की स्वीकृति दी गई है ।” श्री रवि अग्रवाल बनाम केंद्रीय जन सूचना अधिकारी, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय के मामले (मामला सं.एए/65/2008) में अपील अधिकारी की हैसियत से उन्होंने उक्त सूचना दी है ।
प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के संवर्धन के लिए लोक प्राधिकारियों के नियंत्रणाधीन सूचना तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यावहारिक शासन पद्धति स्थापित करने के लिए भारत सरकार द्वारा अधिनियमित सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत श्री रवि अग्रवाल ने उक्त सूचना प्राप्त की है । युग मानस की तरफ से उन्हें बधाई । लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत में शिक्षित बुद्धिजीवी वर्ग को सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का बेहिचक प्रयोग करना चाहिए । उन्हें स्वयं सचेत रहते हुए निरक्षरों को भी सरकारी अधिनियमों, नियमों की जानकारी देते रहें ताकि सबको न्याय का फल सुलभ हो सके । सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के संबंध में अधिक जानकारी आप यहाँ से हासिल कर सकते हैं ।
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