Friday, August 1, 2008

कविता

प्‍यार
- डॉ. एस. बशीर, चेन्नै ।
दो अक्षरों का मिलन
चार आँखों की दास्तान
दो दिलों का फर्माना
खुदा दिया वरदान।
यही प्‍यार है सनम
दिल धड़कता है
किसी की याद में
किसी की चाह में
किसी की इतबार में
यही प्‍यार है सनम
आंखें निहारती हैं
किसी की राह में
किसी के इंतज़ार में।
लेकिन दिल !
ढेर सारा दर्द बख्‍श कर
हमें वीरान में छोड़कर
खुद चैन से सो जाता है।
हमें बेचैन करता है।

(PYAAR – A Hindi Poem by Dr.S. BASHEER for YUGMANAS)
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