पर्यटन केंद्र एवं तीर्थस्थल
तमिलभाषी श्री टी.ई.एस. राघवन जी का हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेज़ी पर समान अधिकार है । अध्यापन के अलावा, मौलिक लेखन एवं अनुवाद क्षेत्रों में उनकी प्रतिभा विशिष्ट रूप से विकसित हुई है । हिंदी में उनकी कई कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं । भारत के महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों एवं तीर्थस्थलों के संबंध उन्होंने कई कविताएँ लिखी है, उन छोटी-छोटी कविताओं से हमें रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी मिलती है । युग मानस के पाठकों के लिए उन कविताओं का धारावाहिक प्रकाशन यहाँ किया जा रहा है । उस क्रम में प्रस्तुत है प्रथम कविता –
कविता
कश्मीर
- टी.ई.एस. राघवन, चेन्नै
इस धरती का स्वर्ग तो माना है कश्मीर ।
बसा हुआ है ‘श्रीनगर’ झेलम नद के तीर ।।
‘शंकर मंदिर’, ‘डल झील’, ‘बुल्लर’ लखने योग्य ।
‘सोनमर्ग’ गुलमर्ग थान, दर्शन करने योग्य ।।
‘हरी किला’ ‘नगीर झील’, निहारने हैं योग्य ।
हजरतबल दरगाह, नज़र डालने योग्य ।।
आसपास में देखने लायक हैं ये स्थान –
‘मट्टन’ में रुद्र मंदिर सम्यक विराजमान ।
‘मार्तंड’ में सूर्य मंदिर सम्यक प्रकाशमान ।।
‘पहलगाम’ रमनीक है, पर्यटकों का स्थान ।
‘अवंतिपुर’ में चैत्य के, खंडहर विद्यमान ।।
(KASHMEER – A Hindi Poem by T.E.S. RAGHAVAN for YUGMANAS)
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