Friday, April 26, 2013

रवींद्रनाथ ठाकुर का पूजा गीत (हिंदी काव्यानुवाद आचार्य संजीव सलिल द्वारा)

बाङ्ग्ला-हिंदी भाषा सेतु:
 पूजा गीत
रवीन्द्रनाथ ठाकुर  
* 
जीवन जखन छिल फूलेर मतो

पापडि ताहार छिल शत शत। 

बसन्ते से हत जखन दाता

 रिए दित दु-चारटि  तार पाता, 

तबउ जे तार बाकि रइत कत  

आज बुझि तार फल धरेछे, 

ताइ हाते ताहार अधिक किछु नाइ। 

हेमन्ते तार समय हल एबे  

पूर्ण करे आपनाके से देबे  

रसेर भारे ताइ से अवनत। 
* 
पूजा गीत:  रवीन्द्रनाथ ठाकुर 
 
हिंदी काव्यानुवाद : संजीव 
 
फूलों सा खिलता जब जीवन  
 
पंखुरियां सौ-सौ झरतीं।
 
यह बसंत भी बनकर दाता  
 
रहा झराता कुछ पत्ती। 
 
संभवतः वह आज फला है  
 
इसीलिये खाली हैं हाथ।
 
अपना सब रस करो निछावर
 
हे हेमंत! झुककर माथ।
 
 *
इस बालकोचित प्रयास में हुई अनजानी त्रुटियों हेतु क्षमा प्रार्थना के साथ गुणिजनों से संशोधन हेतु निवेदन है.

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