Thursday, November 22, 2012

धन्यवाद स्वीकार कीजिये

गीत:




धन्यवाद स्वीकार कीजिये
संजीव 'सलिल'
*
धन्यवाद स्वीकार कीजिए...
*
आप आए थे कभी द्वार पर,
मत माँगे थे कर पसार कर।
तभी किये थे वादे हमसे-
बिसराए दिल्ली पधारकर।।
मिला आपको लाइसेंस है-
जी भर भ्रष्टाचार कीजिए,
धन्यवाद स्वीकार कीजिए...
*
मिलें आपको सुविधा-भत्ते,
जन-गण से छिन जाएँ लत्ते।
फूल, गंध, फल प्राप्य आपका-
जनता का मुरझाए पत्ते।।
घड़ा पाप का फूट जायेगा-
अधिक न भ्रष्टाचार कीजिए
धन्यवाद स्वीकार कीजिए...
*
कहें- कभी क्या कौन ले गया?
किसे कौन क्या कहाँ दे गया?
रीते हाथों जाता जीवन-
जीते जी सौ स्वप्न से गया।
सत्य जानकर भी अनजाने
बन मत दुष्टाचार कीजिए।
धन्यवाद स्वीकार कीजिए...
*


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