Tuesday, April 10, 2012

डॉ. नरेन्द्र कोहली का व्यक्तित्व एवं कृतित्व


डॉ. नरेन्द्र कोहली का व्यक्तित्व एवं कृतित्व 

-    एम. शोभा*

मनुष्य जीवन भगवान का एक अपूर्व देन है। जीवन को सही अर्थों में जीना एक बात है और उसकी बराबर बात करते रहना एक अलग बात है।
प्रतिभावान लेखक कोहलीजी के लिए जीवन जीने के कर्म की परिभाषा है, जिजीविषा का पर्याय है। उनका समग्र लेखन उनकी जीवटता को स्पष्ट करता है।
जन्म :
6 जनवरी 1940 ई. को पंजाब के स्यालकोट (यह स्थान अब पाकिस्तान में है) में प्रातः साढ़े नौ बजे अपने दादा के घर पर जन्म लिये हुए इस साहित्यकार को जीवन के संघर्षों ने ही रचना संसार में पधारने की प्रेरणा दी थी।

परिवार:
डॉ. कोहलीजी के दादा हरिकिशन दास कोहलीजी अविभाजित पंजाब के वन विभाग में हेडक्लार्क थे। इनकी दो पत्नियाँ थी। बड़ी पत्नी भाइयाँ देवी और दूसरी पत्नी दुर्गादेवी थी। डॉ. कोहली दुर्गादेवी के पौत्र थे। डॉ. कोहली के पिता श्री परमानन्द कोहली थे। इनका जन्म भी स्यालकोट में हुआ था। इनकी आँखों में बचपन से कुकरे थे। इसलिए सातवीं आठवीं से आगे नहीं पढ़ सके थे। हरिकिशन दास ने अपने अंग्रेज अधिकारी से कहकर इन्हें अपने ही विभाग में अस्थायी क्लर्क की नौकरी दिलवा दी। इनको लिखने का शौक था। इनकी एकाध रचना छपी भी थी। बयासी वर्ष की अवस्था में आप स्वर्ग सिधारे। डॉ. कोहली जी की माता विद्यावती थी। उनका जन्म पंजाब के स्यालकोट जिले के एक छोटा व पिछड़ा गाँव कौलोकी में हुआ था। इस गाँव में कोई स्कूल नहीं था। इस कारण वे नहीं पढ़ पाई थी। इनका देहान्त 1992 में दिल्ली में हुआ।
शिक्षा:
कोहलीजी की शिक्षा लाहौर में देव समाज हाई स्कूल में छह वर्ष की अवस्था में आरम्भ हुई। सन् 1947 में देश विभाजन के बाद जब परिवार जमशेदपुर आ गये तो वहाँ धतकिडीड लोअर प्राइमरी स्कू में तीसरी कक्षा की पढ़ाई की। चौथी से सातवी तक की पढाई न्यू मिडिल इंग्लिश स्कूल में हुई। आठवीं से ग्यारहवीं तक की पढाई मिसेज़ के एम.पी.एम. हाई स्कूल में हुई। 1965 ई. में रामजस कॉलेज दिल्ली से एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से 1970 ई. में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
आजीविका:
डॉ. कोहली अब स्वतन्त्र लेखन कर रहे हैं । पूर्व में दिल्ली के पी.जी.डी.ए.वी. (सांध्य) कॉलेज में असिस्टेंट लेक्चरर के रूप में काम करने के बाद 1965 में गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में प्राध्यापक बने। और आगे यही कॉलेज मोतीलाल नेहरु कॉलेज बना अपनी 55 वर्ष की उम्र में स्वैच्छिक अवकाश ग्रहण करने तक इसी कॉलेज में कार्यरत रहे।
विवाह:
कोहलीजी का विवाह सन् 1965 में डॉ. मधुरिमा जी से हुआ। मधुरिमाजी दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएच.डी. ली और कमला नेहरु कॉलेज में प्राध्यापिका भी बनी। 1967 में मधुरिमा जी ने दो जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। एक लड़का और एक लड़की। लड़की सिर्फ़ चौबीस दिन जीवित रह सकी।
लड़का कार्तिकेय अब रामलाल आनन्द कॉलेज दिल्ली में अर्थशास्त्र का अध्यापन कर रहे हैं । छोटे पुत्र अगस्त्य का जन्म 1975 में हुआ था, वे अब अमेरिका में कार्यरत हैं

हिन्दी साहित्य को कोहली जी का योगदान

हिन्दी साहित्य को बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. कोहली का योगदान उल्लेखनीय है। मूलतः व्यंग्यकार होते हुए भी इन्होंने कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाई हैं । वे व्यंग्यकार, कथाकार, निबन्धकार आलोचक, समीक्षक, नाटककार और उपन्यासकर हैं। इनकी पहली रचना फ़रवरी 1960 में दो हाथ नामक इनकी कहानी प्रकाशित हुई। अब डॉ. कोहलीजी क श्रेष्ट पौराणिक उपन्यासकार के रूप में स्थापित हो चुके हैं इनके कृतित्व को साहित्यिक विधाओं के अनुसार ही वर्गीकृत किया जाना उचित है।
उपन्यास:
आतंक”, “अभिज्ञान”, “साथ सहा गया दुख”, “पुनरारम्भ”, “मेरा अपना संसार”, “जंगल की कहानियाँ”, “अभ्युदय – दो खण्ड(राम कथा), महासमर (महाभारत की कथा) आठ खण्ड”, “तोड़ो कारा तोड़ोवसुदेव।
कहानियाँ:
परिणति”, “कहानी का अभाव”, “दृष्टि में एकाएक”, “शटल”, “नमक का कैदी”, “संचित भूख”, नरेन्द्र कोहली की कहानियाँ समग्र कहानियाँ।
नाटक:
.(1) राम्बू की हत्या, (2) निर्णय रुका हुआ, (3) हत्यारे, (4) समग्र नाटक।
व्यंग्य:
.(1) एक और लाल तिकोन, (2) पाँच एब्सर्ड उपन्यास, (3) जगाने का अपराध, (4) त्रासदियाँ, (5) परेशानियाँ, (6) समग्र व्यंग्य, (7) मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनायें।
निबन्ध:
.(1) नेपथ्य, (2) माजरा क्या है, (3) जहाँ है धर्म वही है जय, (4) किसे जगाऊँ।
बालसाहित्य:
.(1) गणित का पूजन, (2) आसान रास्ता, (3) एक दिन मथुरा में, (4) हम सबका घर।
संस्मरण पत्र:
.(1) बाबानागार्जुन, (2) प्रतिवाद
अन्य:
.(1) नरेन्द्र कोहली की चुनी हुई रचनायें
इस प्रकार कोहली जी एक लेखक के रूप में बहुमुखी प्रतिभा, व्यक्तित्व के धनी हैं
(*करपगम विश्वविद्यालय, कोयम्बत्तूर में डॉ. पद्मावति अम्माल के निर्देशन में शोधरत हैं ।)

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