Wednesday, February 1, 2012

मुक्तिका


...संबंध हैं

संजीव 'सलिल'

*

कांच के घर की तरह संबंध हैं.

हथौड़ों की चोट से प्रतिबंध हैं..



पग उठाये चल पड़े श्रम जिस तरफ.

सफलता के उस तरफ अनुबंध हैं..



कौरवी दरबार सी संसद सजी.

भ्रष्ट मंत्री, दुष्ट सांसद अंध हैं..



प्रशासन वैताल, विक्रम आम जन.

लाड थक-झुक-चुक गए स्कंध हैं..



सृष्टि बगिया लगा माली चुन रहा.

'सलिल' सुरभित सुमन स्नेहिल गंध हैं..



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