Saturday, December 17, 2011

कविता - माँ


माँ









- ज्योति शेट्टी, मंगलूर

माँ तू क्यों है इतनी प्यारी

जग में सबसे न्यारी न्यारी

दया ममता की राजदुलारी

हर सुख सुविधाओं के लिए तू खुद बलिहारी

माँ तू क्यों है इतनी प्यारी !





तेरी छत्रछाया में पली हूँ मैं

तेरी आँचल के साये में बड़ी हूँ मैं

तेरी कृपा से आज खडी हूँ मैं

तेरे आशीर्वाद से आगे बढ़ रही हूँ मैं

माँ तू क्यों है इतनी प्यारी !



हर मुश्किल में, हंसकर लड़ना सिखाया

नेक इनसान बनकर, जीना सिखाया

स्वाभिमान के राह पर चलना सिखाया

स्वच्छ सरल जीवन की राह दिखाया

चुका नहीं सकते हम तेरे उपकार

ममता की पवित्र मूरत है तू

माँ तू क्यों है इतनी प्यारी !



भगवान का वरदान हो तुम

तुम होतो इस जग में जीवन में

बस ! मेरे लिए सब कुछ हो तुम

तुमने जो कुछ किया कुर्बान

मैं सदा तेरे मेहरबान



माँ तू क्यों है इतनी प्यारी !



1 comment:

  1. KAVITA BHAAVANAAPURN HAI MAA KE BAARE MEY KOI BEE KUCH BHEE LIKHE OKAVITAA BANJAATEE. ROJ KEE GHATANAAO PAR ROCHAK RACHNAA KARE SUBH KAAMANAAYE

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