बहुत पहले से
पक्षियों ने उड़ान भरनी नहीं सीखी थी
मनुष्यों की पलकें आज सी
भारी नहीं थी ।
शोर अपने पाँवों तले
कुचलने की ताकत नहीं रखता था
तब से ही शायद या
उससे भी पहले
ठीक-ठाक नहीं मालूम
इतिहास का लंबा सूत्र थामें
और वर्तमान की राह पर खड़ी यह सब कह रही हूँ
तय था
जब से ही
पत्तों का झरना,
प्रेम का यूँ बरबाद होना,
हसरतों का यूँ जमा होना ।
ati sunder !!!
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