Friday, August 1, 2008

समीक्षा


साहित्य सागर


स्वामी आत्मभोलानंद विशेषांक


-डॉ. सी. जय शंकर बाबु


भोपाल से श्री कमलकांत सक्सेना के संपादन में प्रकाशित होनेवाली सत्साहित्यिक शोध मासिकी साहित्य सागर के जुलाई 2008 के नियमित अंक के साथ स्वामी आत्मभोलानंद के व्यक्तित्व कृतित्व पर केंद्रित एक विशेषांक भी प्रकाशित किया गया है । 24.7.1954 को ग्वालियर में जन्मे श्री अजयकुमार श्रीवास्तव 1982 में कनखल, हरिद्वार में सन्यास ग्रहण के साथ ही स्वामी आत्मा भोलानंद जी के रूप में प्रचलित हुए है । स्वामी जी ने 1988 में भोपाल में विवेकानंद विद्यापीठ की स्थापना की है जिसे उन्होंने 2008 में रामकृष्ण मठ एवं मिशन, बेलूर को हस्तांतरित किया है । स्वामी जी ने 2007 में विवेकानंद सांस्कृतिक परिषद की स्थापना की है । इनकी विचारोत्तेजक कृति ‘चेतना के स्वर’ के अलावा ‘चेतना’ एवं ‘मर्यादा’ के नाम से दो स्मारिकाएँ भी प्रकाशित हुई है । स्वामी जी के 55 वें जन्मदिन के अवसर पर प्रकाशित इस विशेषांक में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा कुछ मंत्रियों के संदेश भी प्रकाशित हुए हैं । मुख्य मंत्री महोदय के संदेश में यह उल्लेख है कि “स्वामी जी ने विवेकानंद विद्यापीठ की स्थापना कर निर्धन बच्चों की शिक्षा का प्रबंध किया है जो उनके सामाजिक सरोकारों और मानवीय दृष्टिकोण का परिचायक है । उनकी कृति चेतना के स्वर स्वामी विवेकानंद के विचारों को प्रचारित-प्रसारित करने का जनहितैषी प्रयास है । स्वामी जी का बहुआयामी व्यक्तित्व और कृतित्व, अनुकरणीय एवं अभिनंदनीय हैं ।”
चूँकि साहित्य सागर अपने नाम के अनरूप साहित्यिक पत्रिका है, अतः स्वामी जी पर केंद्रित इस विशेषांक के निकालने के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए संपादकीय लिखा गया है कि “हिंदी साहित्य में गोस्वामी तुलसीदास जी से बड़ा कवि कोई नहीं है और जो व्यक्ति उनके द्वारा रचित रामचरित मानस की व्यख्या कर सकता है, उस पर नव्य दृष्टि से टीका और टिप्पणी कर सकता है, वह भी किसी बड़े से बड़े साहित्यकार से कम नहीं है ।.... वे मानस के अलौकिक श्रोता हैं, साथ ही वे मानस के प्रवचनकार हैं, मानस के टीकाकार हैं, मानस के रसज्ञ हैं ....साहित्य सागर के पाठकों का मानस के विलक्षण अध्येता एवं मानस की प्रतिभाशाली विभूति से परिचित कराना ही है ।” इस अंक में अंतरंग बहिरंग शीर्षक के अंतर्गत स्वामी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित विविध लेखकों के लेख प्रकाशित हुए हैं । रंग-तरंग शीर्षक से स्वामी जी की कविताएँ, प्रवचनों के अंशों के अलावा उनकी लेखनी से सृजित एक लेख भी है जिसका शीर्षक है – श्री राम और प्रबंधन के सूत्र । इस लेख में स्वामी जी ने सामाजिक जीवन में प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मानस के उदाहरण प्रबंधन पर सुंदर व्याख्या प्रस्तुत की है । साहित्य सागर के नियमित अंक से साथ उपलब्ध कराया गया यह विशेषांक पठनीय पड़ा है ।
पत्रिका का संपर्क-सूत्र –


साहित्य सागर, 161, शिक्षक कांग्रेस नगर, बाग मुगालिया, भोपाल (म.प्र.)-462 043
(SAAHITYA SAAGAR – A Review of a Hindi Magazine by Dr. C. JAYA SANKAR BABU for YUGMANAS)
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